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एक्टू ने केन्द्र सरकार की मजदूर नीति का किया विरोध, कहा- नहीं मानी सरकार तो होगा उग्र आंदोलन - मजदूर नीति का किया विरोध

मिथिलेश्वर सिंह ने कहा कि यह कानून जनतंत्र को कुचलने वाला कानून है. देशभर के मजदूर संगठन सरकार के इस कानून का विरोध कर रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस कानून पर एक बार फिर विचार करना चाहिए.

एक्टू का प्रदर्शन
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Published : Aug 30, 2019, 9:25 AM IST

दरभंगा: ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन के बैनर तले मजदूरों ने केंद्र सरकार के खिलाफ गुरुवार को धरना दिया. समाहरणालय स्थित धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों ने सरकार के नए श्रम कानून के विरोध में नारेबाजी की. आंदोलनकारियों ने मजदूरों के पक्ष में कानून बनाने की मांग की.

'कंपनियों के पक्ष में है कानून'
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार ने मजदूर हितैषी 44 श्रम कानूनों को रद्द कर चार संहिता कानून बनाने का निर्णय लिया है. नए संहिता में संगठित और असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ मजदूरों के जनतांत्रिक अधिकार, सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम मजदूरी और काम के घंटे जैसे नियमों को कॉर्पोरेट और आउटसोर्सिंग कंपनियों के पक्ष में कर दिया गया है.

दरभंगा
नारे लगाते प्रदर्शनकारी

'मजदूरों के खिलाफ है श्रम नीति'
मीडिया से बात करते हुए ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन के जिला सचिव मिथिलेश्वर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार देश के 44 पुराने श्रम कानूनों को समाप्त करके 4 संहिता बनाने जा रही है. इस संहिता में तमाम नियमों को पूंजीपतियों के पक्ष में कर दिया गया है. यह कानून मजदूरों के खिलाफ है.

एक्टू के जिला सचिव का बयान

'देशभर में हो रहा है विरोध'
मिथिलेश्वर सिंह ने कहा कि यह कानून जनतंत्र को कुचलने वाला कानून है. देशभर के मजदूर संगठन सरकार के इस कानून का विरोध कर रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस कानून पर एक बार फिर विचार करना चाहिए. यदि सरकार इसी तरह मनमानी करती रही तो और उग्र आंदोलन किया जाएगा.

दरभंगा: ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन के बैनर तले मजदूरों ने केंद्र सरकार के खिलाफ गुरुवार को धरना दिया. समाहरणालय स्थित धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों ने सरकार के नए श्रम कानून के विरोध में नारेबाजी की. आंदोलनकारियों ने मजदूरों के पक्ष में कानून बनाने की मांग की.

'कंपनियों के पक्ष में है कानून'
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार ने मजदूर हितैषी 44 श्रम कानूनों को रद्द कर चार संहिता कानून बनाने का निर्णय लिया है. नए संहिता में संगठित और असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ मजदूरों के जनतांत्रिक अधिकार, सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम मजदूरी और काम के घंटे जैसे नियमों को कॉर्पोरेट और आउटसोर्सिंग कंपनियों के पक्ष में कर दिया गया है.

दरभंगा
नारे लगाते प्रदर्शनकारी

'मजदूरों के खिलाफ है श्रम नीति'
मीडिया से बात करते हुए ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन के जिला सचिव मिथिलेश्वर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार देश के 44 पुराने श्रम कानूनों को समाप्त करके 4 संहिता बनाने जा रही है. इस संहिता में तमाम नियमों को पूंजीपतियों के पक्ष में कर दिया गया है. यह कानून मजदूरों के खिलाफ है.

एक्टू के जिला सचिव का बयान

'देशभर में हो रहा है विरोध'
मिथिलेश्वर सिंह ने कहा कि यह कानून जनतंत्र को कुचलने वाला कानून है. देशभर के मजदूर संगठन सरकार के इस कानून का विरोध कर रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस कानून पर एक बार फिर विचार करना चाहिए. यदि सरकार इसी तरह मनमानी करती रही तो और उग्र आंदोलन किया जाएगा.

Intro:ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन के बैनर तले दर्जनों की संख्या में मजदूरों ने केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों पर हमले और उनका संगहिताकरण के खिलाफ मजदूरों ने दरभंगा समाहरणालय स्थित धरना स्थल पर एक दिवसीय धरना देते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ जम के नारेबाजी करते हुए, कहा कि अगर सरकार हमलोगों की मांगों को विचार नही करती है, तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और भी उग्र किया जायेगा।


Body:वहीं धरना पर बैठे धरनार्थियों का कहना था केंद्र सरकार द्वारा मजदूर हितौसी 44 श्रम कानूनों को रद्द करते हुए, उनके जगह चार संहिता बनाने का निर्णय लिया है। जिसमें, मजदूरी संहिता विधेयक, पेशागत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थितियों संहिता विधेयक संसद से पास कराया जा चुका है। इन नए संहिताओं के द्वारा संगठित व असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ मजदूरों के जनतांत्रिक अधिकार, सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम मजदूरी, काम के घंटे इत्यादि मजदूर वर्ग के अधिकारों को, कॉर्पोरेट व आउटसोर्सिंग कंपनियों के पक्ष में कुंद कर दिया गया है। जिसके खिलाफ हम लोग आज धरना दे रहे हैं।


Conclusion:वही मीडिया से बात करते हुए ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन के जिला सचिव मिथिलेश्वर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार देश के 44 पुराने श्रम कानूनों को समाप्त करके 4 संहिता बनाने जा रही है। उस संहिता में कॉर्पोरेट और आउटसोर्सिंग कंपनी को ध्यान में रखकर तमाम चीज पूंजीपतियों के पक्ष तथा मजदूरों के खिलाफ संहिताये बनाई गई है। इस काम पूरे देश में मजदूर संगठनों के द्वारा विरोध किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह से देश के अंदर जनतंत्र को कुचलने के साथ ही जनवादी अधिकार छीनने का काम किया जा रहा है। वही उन्होंने कहा कि इसका प्रबल विरोध और एक प्रखर आंदोलन देश में आने वाले दिनों में हम लोगों के द्वारा किया जाएगा।
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