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कर्पूरी ठाकुर को मिले भारत रत्न की उपाधि - राजद नेता

जिले में विभिन्न स्थानों पर जननायक कर्पूरी ठाकुर की 97वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. वहीं दरभंगा के कर्पूरी चौक पर उनकी प्रतिमा पर विभिन्न संगठनों ने माल्यार्पण कर उन्हें याद किया. कर्पूरी ठाकुर के माल्यार्पण करने के बाद राजद नेता नजरे आलम ने सरकार से मांग किया कि जननायक स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया जाए.

कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण
कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण
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Published : Jan 24, 2021, 3:33 PM IST

दरभंगाः जिले में विभिन्न स्थानों पर जननायक कर्पूरी ठाकुर की 97वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. वहीं दरभंगा के कर्पूरी चौक पर उनकी प्रतिमा पर विभिन्न संगठनों के द्वारा माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया. सभी ने उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व के बारे में प्रकाश डाला. वहीं कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद राजद नेता नजरे आलम ने सरकार से मांग किया कि जननायक स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया जाए.

राजद नेताओं ने किया माल्यार्पण
राजद नेताओं ने किया माल्यार्पण

लोकप्रियता के कारण उन्हें कहा जाता है जननायक
लोजपा नेता प्रदीप ठाकुर ने कहा कि जननायक स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपना कर्तव्य निर्वहन करते हुए शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने सारा जीवन शोषित, पीड़ित एवं वंचित को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे. समाज में समरसता कायम करने के लिए उनका योगदान अविश्वसनीय रहा है. उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें जननायक कहा जाता था.

याद किए गए कर्पूरी ठाकुर
याद किए गए कर्पूरी ठाकुर

ये भी पढ़ें- लालू की सेहत को लेकर CM नीतीश चिंतित, कहा- अब उनकी स्वास्थ्य की जानकारी नहीं लेता, क्योंकि...

भारत छोड़ो आंदोलन के समय जननायक ने 26 महीने काटे थे जेल
गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर के पितौझिया गांव के एक नाई परिवार में हुआ था. जिसे वर्तमान में कर्पूरीग्राम के नाम से जाना जाता है. कर्पूरी ठाकुर ने भारत छोड़ो आंदोलन के समय 26 महीने जेल में बिताए थे. वहीं जननायक हमेशा गरीबों, मुजलिमों के लिए लड़े. सबसे पहले 1977 में पिछड़ों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का काम किया. उन्होंने शिक्षा को आम लोगों तक पहुंचा कर समाज में बदलाव लाने का काम किया था. साथ ही दबे कुचले समाज को सत्ता में हिस्सेदारी देने का भी काम किया.

दरभंगाः जिले में विभिन्न स्थानों पर जननायक कर्पूरी ठाकुर की 97वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. वहीं दरभंगा के कर्पूरी चौक पर उनकी प्रतिमा पर विभिन्न संगठनों के द्वारा माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया. सभी ने उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व के बारे में प्रकाश डाला. वहीं कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद राजद नेता नजरे आलम ने सरकार से मांग किया कि जननायक स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया जाए.

राजद नेताओं ने किया माल्यार्पण
राजद नेताओं ने किया माल्यार्पण

लोकप्रियता के कारण उन्हें कहा जाता है जननायक
लोजपा नेता प्रदीप ठाकुर ने कहा कि जननायक स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपना कर्तव्य निर्वहन करते हुए शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने सारा जीवन शोषित, पीड़ित एवं वंचित को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे. समाज में समरसता कायम करने के लिए उनका योगदान अविश्वसनीय रहा है. उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें जननायक कहा जाता था.

याद किए गए कर्पूरी ठाकुर
याद किए गए कर्पूरी ठाकुर

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भारत छोड़ो आंदोलन के समय जननायक ने 26 महीने काटे थे जेल
गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर के पितौझिया गांव के एक नाई परिवार में हुआ था. जिसे वर्तमान में कर्पूरीग्राम के नाम से जाना जाता है. कर्पूरी ठाकुर ने भारत छोड़ो आंदोलन के समय 26 महीने जेल में बिताए थे. वहीं जननायक हमेशा गरीबों, मुजलिमों के लिए लड़े. सबसे पहले 1977 में पिछड़ों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का काम किया. उन्होंने शिक्षा को आम लोगों तक पहुंचा कर समाज में बदलाव लाने का काम किया था. साथ ही दबे कुचले समाज को सत्ता में हिस्सेदारी देने का भी काम किया.

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