दरभंगाः महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय में मिथिलांचल के धरोहरों के संरक्षण को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. इसमें नेशनल म्यूजियम नई दिल्ली, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, बिहार विधान परिषद और पड़ोसी देश नेपाल के कई पुरातत्वविद शामिल हुए. इस दौरान पुरातत्वविदों ने धरोहरों के संरक्षण के लिए जन जागरुकता को महत्वपूर्ण बताया.
अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय के असिस्टेंट क्यूरेटर डॉ. शिवकुमार मिश्र ने कहा कि पुरातात्विक दृष्टि से मिथिला क्षेत्र बहुत समृद्ध है. यहां धरोहरों के अनुसंधान, उत्खनन और संरक्षण की बहुत जरूरत है. लेकिन मिथिलांचल के विद्वान इसमें ज्यादा रुचि नहीं दिखाते. इसलिए इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. इसमें भारत के नेशनल म्यूजियम, दिल्ली के ज्वाइंट डीजी डॉ. संजय मंजुल, एएसआई के अधिकारी समेत नेपाल से भी पुरातत्वविद शिरकत कर रहे हैं.
धरोहरों की दृष्टि से बिहार का काफी महत्व
मिथिलांचल के धरोहरों के विशेषज्ञ रामशरण अग्रवाल ने कहा कि बिहार धरोहरों की दृष्टि से भारत में काफी महत्व रखता है. उन्होंने कहा कि जब तक जन जागरण से धरोहरों के संरक्षण को नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक इनका बचना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि अब तक सरकारी अधिकारियों में धरोहरों के संरक्षण की रुचि नहीं जगी है, जनता ही यह रुचि जगा सकती है.
दरभंगा की कई धरोहरें विश्व भर में चर्चित
वहीं, बिहार विधान परिषद के परियोजना निदेशक भैरव लाल दास ने कहा कि दरभंगा की कई धरोहरें विश्व भर में चर्चित रही हैं. यहां के कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के लक्ष्मीश्वर विलास पैलेस के बारे में टाइम मैगजीन ने छापा था कि इसका नक्शा देखकर ही इंग्लैंड के लोग इसकी खूबसूरती की चर्चा करते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी धरोहरों के संरक्षण की जरूरत है.