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मां सरस्वती की प्रतिमा निर्माण पर महंगाई का असर, 500 से 15 हजार रुपये तक बिक रही हैं मूर्तियां

मूर्ति की खरीदारी करने आए एक युवक ने कहा कि महंगाई तो काफी बढ़ गई है. जिस कारण हम लोगों ने अपने बाहरी बजट की कटौती की है. उन्होंने कहा कि महंगाई कितनी भी बढ़ जाए हम लोग आस्था पर भारी नहीं पड़ने देंगे.

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मां सरस्वती की प्रतिमा
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Published : Jan 29, 2020, 9:30 AM IST

Updated : Jan 29, 2020, 3:27 PM IST

दरभंगा: माघ महीने की बसंत पंचमी के दिन होने वाली मां सरस्वती की पूजा लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. इसको लेकर दरभंगा के हसनक, मौलगंज सहित कई जगहों पर कुंभकार की टोली मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. इस बार मां सरस्वती की प्रतिमा के निर्माण पर भी महंगाई का असर देखने को मिल रहा है. बाजार में एक फुट से लेकर दस फुट तक की मूर्ति की कीमत 500 रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक है.

'महंगाई आस्था पर नहीं पड़ने देंगे भारी'
वहीं, सरस्वती पूजा को लेकर शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों के छात्र और अभिवावकों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. महंगाई के इस दौर में भी हर सड़क, गली तक में पूजा समितियों की ओर से हर्षोल्लास के साथ सरस्वती पूजा की तैयारी चल रही है. जिसको लेकर कई पूजा समिति अपने बजट के हिसाब से मूर्तियों की खरीदारी कर रहे हैं. मूर्ति की खरीदारी करने आए एक युवक ने कहा कि महंगाई तो काफी बढ़ गई है. जिस कारण हम लोगों ने अपने बाहरी बजट की कटौती की है. उन्होंने कहा कि महंगाई कितनी भी बढ़ जाए हम लोग आस्था पर भारी नहीं पड़ने देंगे.

देखें रिपोर्ट

महंगाई के चलते ग्राहकों में आ रही है कमी
कुंभकार ने बताया कि एक मूर्ति को बनाने में पांच दिन से लेकर दस दिनों का वक्त लगता है. जबकि अब शहर में ना तो मिट्टी मिलती है और ना ही बांस इत्यादि. साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले साल जो मिट्टी 600 रुपये में मिल रही थी, वो इस साल 1200 रुपये में खरीद कर मूर्ति का निर्माण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले ग्राहकों की कमी नहीं होती थी, लेकिन लगातार बढ़ रही महंगाई के चलते पिछले वर्षों से ग्राहकों में लगातार कमी आ रही है, जिसके चलते उचित मेहनताना भी नहीं मिल पा रहा है.

दरभंगा: माघ महीने की बसंत पंचमी के दिन होने वाली मां सरस्वती की पूजा लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. इसको लेकर दरभंगा के हसनक, मौलगंज सहित कई जगहों पर कुंभकार की टोली मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. इस बार मां सरस्वती की प्रतिमा के निर्माण पर भी महंगाई का असर देखने को मिल रहा है. बाजार में एक फुट से लेकर दस फुट तक की मूर्ति की कीमत 500 रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक है.

'महंगाई आस्था पर नहीं पड़ने देंगे भारी'
वहीं, सरस्वती पूजा को लेकर शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों के छात्र और अभिवावकों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. महंगाई के इस दौर में भी हर सड़क, गली तक में पूजा समितियों की ओर से हर्षोल्लास के साथ सरस्वती पूजा की तैयारी चल रही है. जिसको लेकर कई पूजा समिति अपने बजट के हिसाब से मूर्तियों की खरीदारी कर रहे हैं. मूर्ति की खरीदारी करने आए एक युवक ने कहा कि महंगाई तो काफी बढ़ गई है. जिस कारण हम लोगों ने अपने बाहरी बजट की कटौती की है. उन्होंने कहा कि महंगाई कितनी भी बढ़ जाए हम लोग आस्था पर भारी नहीं पड़ने देंगे.

देखें रिपोर्ट

महंगाई के चलते ग्राहकों में आ रही है कमी
कुंभकार ने बताया कि एक मूर्ति को बनाने में पांच दिन से लेकर दस दिनों का वक्त लगता है. जबकि अब शहर में ना तो मिट्टी मिलती है और ना ही बांस इत्यादि. साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले साल जो मिट्टी 600 रुपये में मिल रही थी, वो इस साल 1200 रुपये में खरीद कर मूर्ति का निर्माण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले ग्राहकों की कमी नहीं होती थी, लेकिन लगातार बढ़ रही महंगाई के चलते पिछले वर्षों से ग्राहकों में लगातार कमी आ रही है, जिसके चलते उचित मेहनताना भी नहीं मिल पा रहा है.

Intro:माघ महीने के बसंत पंचमी के दिन होने वाला ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इसको लेकर दरभंगा के हसनक, मौलगंज सहित कई जगहों पर कुंभकार की टोली मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रुप देने में लगे हुए है। इस बार सरस्वती की प्रतिमा के निर्माण पर भी महंगाई का असर देखने को मिल है। बाजार में एक फुट से लेकर दस फुट तक कि मिलने वाली मूर्ति की कीमत 500 सौ रुपया से लेकर 15 हजार तक है।


Body:पांच सौ रुपया से लेकर पंद्रह हजार रुपया तक कि मूर्ति की हो रही है बिक्री

वही सरस्वती पूजा को लेकर शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाको के छात्र और अभिवावकों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। महंगाई के इस दौर में भी हर सड़क, गली तक मे पूजा समितियों द्वारा हर्षोल्लास पूर्वक सरस्वती पूजा की तैयारी चल रही हैं। जिसको लेकर विभिन पूजा समिति अपने बजट की हिसाब से मूर्तियां की खरीदारी कर रहे है। वही मूर्ति की ख़रीदारी करने पहुंचे मिथुन कुमार ने कहा की महंगाई तो काफी बढ़ गई है। जिस कारण हमलोगो ने अपने बाहरी बजट को कटौती की है। वही उन्होंने कहा कि महंगाई कितनी भी बढ़ जाये हमलोग आस्था पर भारी नहीं पड़ने देंगे।


Conclusion:महंगाई की वजह से कारोबार में पड़ रहा है फर्क


वही कुंभकार उमेश पंडित कहना है कि एक मूर्ति को बनाने पांच दिन से लेकर दस दिनो का वक्त लगता है। जबकि अब शहर में ना तो मिट्टी मिलती है और ना ही बांस इत्यादि। साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले साल जो मिट्टी 600 रुपये में मिल रही थी, वो इस साल 12 सौ रुपये खरीद कर मूर्ति का निर्माण कर रहे है। वही उन्होंने कहा कि पहले ग्राहकों की कमी नही होती थी, लेकिन लगातार बढ़ रहे महगाई के चलते पिछले वर्षों से ग्राहकों में लगातार कमी आ रही है। जिसके चलते उचित मेहनताना भी नही मिल पा रहा है।

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मिथुन कुमार झा, ग्राहक
बैजू पंडित, कुंभकार
Last Updated : Jan 29, 2020, 3:27 PM IST
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