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LNMU की अनोखी पहल, ISRO से करार कर बच्चों को दिखा रहे स्पेस की दुनिया

इसरो देशभर के बच्चों को चंद्रयान और मिशन मंगल से जुड़ी जानकारियां देने के लिए ऑनलाइन कोर्स चला रहा है. इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों और युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करना है.

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Published : Jun 10, 2020, 9:05 PM IST

दरभंगा: अंतरिक्ष विज्ञान की रोचक जानकारियां अब बिहार के सुदूर गांवों के बच्चों तक पहुंच रही हैं. दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएनएमयू) की संयुक्त कोशिशों ने खगोल जैसे जटिल विषय के ज्ञान को अब घर बैठे ही मुहैया कराने की कवायद शुरू की है. इसरो के ऑनलाइन कोर्सेज के जरिए लोग अब अंतरिक्ष के गुर सीख रहे हैं.

पिछले सालों में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. इसरो ने मिशन मंगल को सफलतापूर्वक पूरा किया था. वहीं, चंद्रयान-2 की भी लॉन्चिंग हुई थी, जो असफल रहने के बावजूद भी अपनी कई उपलब्धियों की वजह से दुनिया भर में चर्चित रहा. अंतरिक्ष के क्षेत्र में हासिल इन उपलब्धियों से जुड़ी बातों को छात्रों और युवाओं तक पहुंचाने के लिए इसरो ने बिहार के ललित नारायण मिथिला विवि के साथ करार किया है.

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कॉन्सेप्ट इमेज

फ्री में कोर्स कराता है इसरो
इसरो और एलएनएमयू के संयुक्त प्रयास से बिहार में कई कोर्स चलाए जा रहे हैं. फिलहाल, 'ओवरव्यू ऑफ प्लेनेटरी जियोसाइंसेज विद स्पेशल इंफैसिस टू द मून एंड मार्स' नामक कोर्स चल रहा है. सबसे अहम बात कि ये कोर्सेज पूरी तरह से फ्री होते हैं. कोई भी इसमें पंजीकरण करा सकता है. ईटीवी भारत संवाददाता ने एलएनएमयू के भूगोल विभाग के तहत संचालित इसके कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ. मनुराज शर्मा से खास बातचीत की.

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एलएनएमयू के कोर्स को-ऑर्डिनेटर से बात करते संवाददाता

LNMU के कोर्स कोऑर्डिनेटर ने दी जानकारी
डॉ. मनुराज शर्मा ने बताया कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में साल-दर-साल जो उपलब्धियां हासिल कर रहा है. इसरो उन्हें भारत के छात्रों-युवाओं तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है. इसरो अपनी इकाई इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग देहरादून के माध्यम से अंतरिक्ष विज्ञान, उपग्रह, मौसम, बाढ़-सूखा, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं आदि पर कोर्सेज चला रहा है. फिलहाल, मिशन मंगल और चंद्रयान मिशन से मिली तस्वीरों को डाउनलोड कर उनके बारे में जानकारी एकत्रित करने का पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है. इसमें विवि के 55 छात्र नामांकित हैं.

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इसरो के मुफ्त पाठ्यक्रम का लाभ लेते बच्चे

इस पहल में LNMU है बिहार से एकमात्र विवि
एलएनएमयू ने कहा कि इसरो की इस कवायद में शामिल होने वाले विवि में बिहार से ललित नारायण मिथिला विवि इकलौता है. ये कोर्सेज आईआईआरएस देहरादून से ऑनलाइन चलते हैं. विवि इस कोर्स को रिसीव कर छात्रों तक ऑनलाइन उनके घर तक पहुंचाता है. पढ़ाई के बाद इसकी परीक्षा ऑनलाइन होती है. साथ ही पास होने वाले छात्रों को सर्टिफिकेट भी ऑनलाइन दिए जाते हैं.

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घर बैठे कर सकते हैं इसरो का मुफ्त कोर्स

चलाए जा रहे अनगिनत कोर्सेज
जानकारी के मुताबिक इसरो की ओर से ऐसे अनगिनत कोर्स चलाए जाते हैं. यहां वे उत्तर बिहार और मिथिलांचल की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ज्यादातर कोर्सेज का चुनाव करते हैं. इन इलाकों में काफी प्राकृतिक आपदा आती है. ऐसे में यहां के बच्चों के लिए भूकंप, सूखा, मौसम विज्ञान और खेती को लेकर पाठ्यक्रम किया जा चुके हैं. वर्तमान में मिशन मंगल और चंद्रयान पर चौथा कोर्स चल रहा है. इसमें विवि में नामांकित कोई भी छात्र प्रवेश ले सकता है. लेकिन वे छात्र के प्रारंभिक ज्ञान, रुचि और समझने की क्षमता को परख कर ही कोर्स में प्रवेश देते हैं.

पेश है रिपोर्ट

स्किल डेवलपमेंट है एकमात्र उद्देश्य
बता दें कि इन तमाम कोर्सेज को चलाने के पीछे इसरो का एकमात्र उद्देश्य बच्चों और युवाओं के कौशल का विकास कर उन्हें स्किल्ड बनाना है. कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ. मनुराज शर्मा की मानें तो आईआईआरएस देहरादून की ओर से मिले इस सर्टिफिकेट का बहुत महत्व है. छात्र आगे इस विषय में शोध कर सकते हैं. खासकर जो छात्र और युवा मौसम विज्ञान, प्राकृतिक आपदा, खेती जैसे क्षेत्रों में करिअर बनाने के इच्छुक हैं उन्हें इन कोर्सेज से काफी फायदा मिलेगा.

दरभंगा: अंतरिक्ष विज्ञान की रोचक जानकारियां अब बिहार के सुदूर गांवों के बच्चों तक पहुंच रही हैं. दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएनएमयू) की संयुक्त कोशिशों ने खगोल जैसे जटिल विषय के ज्ञान को अब घर बैठे ही मुहैया कराने की कवायद शुरू की है. इसरो के ऑनलाइन कोर्सेज के जरिए लोग अब अंतरिक्ष के गुर सीख रहे हैं.

पिछले सालों में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. इसरो ने मिशन मंगल को सफलतापूर्वक पूरा किया था. वहीं, चंद्रयान-2 की भी लॉन्चिंग हुई थी, जो असफल रहने के बावजूद भी अपनी कई उपलब्धियों की वजह से दुनिया भर में चर्चित रहा. अंतरिक्ष के क्षेत्र में हासिल इन उपलब्धियों से जुड़ी बातों को छात्रों और युवाओं तक पहुंचाने के लिए इसरो ने बिहार के ललित नारायण मिथिला विवि के साथ करार किया है.

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फ्री में कोर्स कराता है इसरो
इसरो और एलएनएमयू के संयुक्त प्रयास से बिहार में कई कोर्स चलाए जा रहे हैं. फिलहाल, 'ओवरव्यू ऑफ प्लेनेटरी जियोसाइंसेज विद स्पेशल इंफैसिस टू द मून एंड मार्स' नामक कोर्स चल रहा है. सबसे अहम बात कि ये कोर्सेज पूरी तरह से फ्री होते हैं. कोई भी इसमें पंजीकरण करा सकता है. ईटीवी भारत संवाददाता ने एलएनएमयू के भूगोल विभाग के तहत संचालित इसके कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ. मनुराज शर्मा से खास बातचीत की.

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एलएनएमयू के कोर्स को-ऑर्डिनेटर से बात करते संवाददाता

LNMU के कोर्स कोऑर्डिनेटर ने दी जानकारी
डॉ. मनुराज शर्मा ने बताया कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में साल-दर-साल जो उपलब्धियां हासिल कर रहा है. इसरो उन्हें भारत के छात्रों-युवाओं तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है. इसरो अपनी इकाई इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग देहरादून के माध्यम से अंतरिक्ष विज्ञान, उपग्रह, मौसम, बाढ़-सूखा, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं आदि पर कोर्सेज चला रहा है. फिलहाल, मिशन मंगल और चंद्रयान मिशन से मिली तस्वीरों को डाउनलोड कर उनके बारे में जानकारी एकत्रित करने का पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है. इसमें विवि के 55 छात्र नामांकित हैं.

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इसरो के मुफ्त पाठ्यक्रम का लाभ लेते बच्चे

इस पहल में LNMU है बिहार से एकमात्र विवि
एलएनएमयू ने कहा कि इसरो की इस कवायद में शामिल होने वाले विवि में बिहार से ललित नारायण मिथिला विवि इकलौता है. ये कोर्सेज आईआईआरएस देहरादून से ऑनलाइन चलते हैं. विवि इस कोर्स को रिसीव कर छात्रों तक ऑनलाइन उनके घर तक पहुंचाता है. पढ़ाई के बाद इसकी परीक्षा ऑनलाइन होती है. साथ ही पास होने वाले छात्रों को सर्टिफिकेट भी ऑनलाइन दिए जाते हैं.

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घर बैठे कर सकते हैं इसरो का मुफ्त कोर्स

चलाए जा रहे अनगिनत कोर्सेज
जानकारी के मुताबिक इसरो की ओर से ऐसे अनगिनत कोर्स चलाए जाते हैं. यहां वे उत्तर बिहार और मिथिलांचल की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ज्यादातर कोर्सेज का चुनाव करते हैं. इन इलाकों में काफी प्राकृतिक आपदा आती है. ऐसे में यहां के बच्चों के लिए भूकंप, सूखा, मौसम विज्ञान और खेती को लेकर पाठ्यक्रम किया जा चुके हैं. वर्तमान में मिशन मंगल और चंद्रयान पर चौथा कोर्स चल रहा है. इसमें विवि में नामांकित कोई भी छात्र प्रवेश ले सकता है. लेकिन वे छात्र के प्रारंभिक ज्ञान, रुचि और समझने की क्षमता को परख कर ही कोर्स में प्रवेश देते हैं.

पेश है रिपोर्ट

स्किल डेवलपमेंट है एकमात्र उद्देश्य
बता दें कि इन तमाम कोर्सेज को चलाने के पीछे इसरो का एकमात्र उद्देश्य बच्चों और युवाओं के कौशल का विकास कर उन्हें स्किल्ड बनाना है. कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ. मनुराज शर्मा की मानें तो आईआईआरएस देहरादून की ओर से मिले इस सर्टिफिकेट का बहुत महत्व है. छात्र आगे इस विषय में शोध कर सकते हैं. खासकर जो छात्र और युवा मौसम विज्ञान, प्राकृतिक आपदा, खेती जैसे क्षेत्रों में करिअर बनाने के इच्छुक हैं उन्हें इन कोर्सेज से काफी फायदा मिलेगा.

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