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बिहार के 'लाल किले' पर फहरा तिरंगा, युवाओं ने धरोहर को बचाने का दिया संदेश

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Published : Aug 15, 2019, 4:23 PM IST

इस किले पर 56 साल के बाद पहली बार पिछले साल 2018 में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था. इस बार भी यहां के युवाओं ने जोश के साथ 62 फीट ऊंचे किले पर ध्वजारोहण किया.

राज किला

दरभंगाः बिहार के लाल किले के नाम से मशहूर दरभंगा राज किला पर 73वें स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा झंडा शान से फहराया गया. गौरवशाली दरभंगा और मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के सदस्यों ने 62 फीट ऊंचे किले पर ध्वजारोहण किया. इस अवसर पर इन युवाओं में जोश और खुशी की लहर थी.

youth of darbhanga
झंडे के साथ दरभंगा के युवा

उपेक्षित है ये किला
झंडा फहराने के बाद गौरवशाली दरभंगा के संतोष चौधरी ने बताया कि पिछले साल राज किले पर 56 साल के अंतराल पर पहली बार राष्ट्र ध्वज फहराया गया था. उन्होंने कहा कि ये किला दिल्ली के लाल किले से भी 10 फिट ऊंचा है. लेकिन ये किला उपेक्षित है. वे लोग इस पर ध्वजारोहण कर लोगों को अपनी विरासत के प्रति जागरूक कर रहे हैं.

royal fort
62 फीट ऊंचे राज किला

युवाओं में दिखा जोश
मिथिला स्टूडेंट यूनियन के गोपाल चौधरी ने कहा कि राज किले पर ध्वजारोहण कर उन्हें बेहद खुशी हो रही है. उनकी टीम ये काम आगे भी करती रहेगी. लेकिन दुख इस बात का है कि राज किला पर ध्वजारोहण के लिये न तो जिला प्रशासन और न ही जन प्रतिनिधि आगे आते हैं. उन्होंने अपील किया कि सभी लोगों को इस काम में युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए.

राज किला पर झंडा फहराने के बाद बयान देते युवा

आखिरी बार 1962 में फहरा था तिरंगा
बता दें कि दरभंगा का राज किला मुगल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है. इसमें फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजे की झलक मिलती है. इसका निर्माण महाराजा कामेश्वर सिंह ने 1940 के दशक में शुरू किया था. देश की अजादी के बाद इसका निर्माण रुक गया. इस किले पर आखिरी बार महाराजा कामेश्वर सिंह ने 1962 में तिरंगा फहराया था. उनके निधन के बाद इस पर ध्वजारोहण बंद हो गया था. यह किला उपेक्षित पड़ा है. सरकार भी इसके संरक्षण के प्रयास नहीं करती है.

दरभंगाः बिहार के लाल किले के नाम से मशहूर दरभंगा राज किला पर 73वें स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा झंडा शान से फहराया गया. गौरवशाली दरभंगा और मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के सदस्यों ने 62 फीट ऊंचे किले पर ध्वजारोहण किया. इस अवसर पर इन युवाओं में जोश और खुशी की लहर थी.

youth of darbhanga
झंडे के साथ दरभंगा के युवा

उपेक्षित है ये किला
झंडा फहराने के बाद गौरवशाली दरभंगा के संतोष चौधरी ने बताया कि पिछले साल राज किले पर 56 साल के अंतराल पर पहली बार राष्ट्र ध्वज फहराया गया था. उन्होंने कहा कि ये किला दिल्ली के लाल किले से भी 10 फिट ऊंचा है. लेकिन ये किला उपेक्षित है. वे लोग इस पर ध्वजारोहण कर लोगों को अपनी विरासत के प्रति जागरूक कर रहे हैं.

royal fort
62 फीट ऊंचे राज किला

युवाओं में दिखा जोश
मिथिला स्टूडेंट यूनियन के गोपाल चौधरी ने कहा कि राज किले पर ध्वजारोहण कर उन्हें बेहद खुशी हो रही है. उनकी टीम ये काम आगे भी करती रहेगी. लेकिन दुख इस बात का है कि राज किला पर ध्वजारोहण के लिये न तो जिला प्रशासन और न ही जन प्रतिनिधि आगे आते हैं. उन्होंने अपील किया कि सभी लोगों को इस काम में युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए.

राज किला पर झंडा फहराने के बाद बयान देते युवा

आखिरी बार 1962 में फहरा था तिरंगा
बता दें कि दरभंगा का राज किला मुगल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है. इसमें फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजे की झलक मिलती है. इसका निर्माण महाराजा कामेश्वर सिंह ने 1940 के दशक में शुरू किया था. देश की अजादी के बाद इसका निर्माण रुक गया. इस किले पर आखिरी बार महाराजा कामेश्वर सिंह ने 1962 में तिरंगा फहराया था. उनके निधन के बाद इस पर ध्वजारोहण बंद हो गया था. यह किला उपेक्षित पड़ा है. सरकार भी इसके संरक्षण के प्रयास नहीं करती है.

Intro:दरभंगा। बिहार के लाल किले के नाम से मशहूर दरभंगा राज किला पर देश के 73वें स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा झंडा शान से फहराया। गौरवशाली दरभंगा और मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के सदस्यों ने 62 फीट ऊंचे किले पर ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर इन युवाओं का जोशोखरोश देखते ही बनता था।


Body:गौरवशाली दरभंगा के संतोष चौधरी ने बताया कि पिछले साल राज किले पर 56 साल के अंतराल पर पहली बार राष्ट्र ध्वज फहराया गया था। उन्होंने कहा कि ये किला दिल्ली के लाल किले से भी 10 फ़ीट ऊंचा है। यह उपेक्षित है। वे इस पर ध्वजारोहण कर लोगों को अपनी विरासत के प्रति जागरूक कर रहे हैं।

मिथिला स्टूडेंट यूनियन के गोपाल चौधरी ने कहा कि राज किले पर ध्वजारोहण कर उन्हें बेहद खुशी हो रही है। उनकी टीम ये काम आगे भी करती रहेगी। लेकिन दुख इस बात का है कि राज किला पर ध्वजारोहण के लिये न तो जिला प्रशासन और न ही जन जन प्रतिनिधि आगे आते हैं। उन्होंने अपील की सभी लोगों को इस काम मे युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए और उन्हें ध्वजारोहण के लिए हर संभव सुविधा दी जानी चाहिए।


Conclusion:बता दें दरभंगा का राज किला मुग़ल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। इसमें फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजे की झलक मिलती है। इसका निर्माण महाराजा कामेश्वर सिंह ने 1940 के दशक में शुरू किया था। देश की अज़ादी के बाद इसका निर्माण रुक गया। इस किले पर आखिरी बार महाराजा कामेश्वर सिंह ने 1962 में तिरंगा फहराया था। उनके निधन के बाद इस पर ध्वजारोहण बंद हो गया था। यह किला उपेक्षित पड़ा है। सरकार इसके संरक्षण के प्रयास नहीं करती है।

बाइट 1- संतोष चौधरी, सदस्य, गौरवशाली दरभंगा
बाइट 2- गोपाल चौधरी, सदस्य, एमएसयू

ptc के साथ
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विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
दरभंगा



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