ETV Bharat / state

मौसम की बेरुखी से खेतों में पड़ी दरार, सरकारी नलकूप सालों से हैं बंद

जिले में लगभग 70 फ़ीसदी लोगों के आजीविका का साधन कृषि और पशुपालन है. लेकिन, यहां के किसानों के लिए समुचित सिंचाई व्यवस्था एक गंभीर चुनौती बनी हुई है.

खेतों में पड़ी दरार
author img

By

Published : Jun 12, 2019, 1:12 PM IST

दरभंगा: बिहार में भीषण गर्मी से पूरा जन-जीवन त्रस्त हो चुका है. इस चिलचिलाती गर्मी से जहां लोगों का जीना मुहाल है. वहीं, खेतों की स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है. यहां लगे नलकूप पिछले कई वर्षों से खराब पड़े हैं. जिससे सिंचाई नहीं होने से खेत में दरार आनी शुरू हो गयी है. पानी नहीं पटने के कारण फसलों का नुकसान हो रहा है. जिससे किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है.

मौसम की बेरुखी से खेतों में पड़ी दरार


किसानों के लिए बड़ी चुनौती
खेत में लगे मूंग की फसल सूख कर बर्बाद होने के कगार पर हैं. अब किसान खेतों में धान का बिचड़ा बोने के लिए प्रकृति पर निर्भर हैं. जिले में लगभग 70 फ़ीसदी लोगों के आजीविका का साधन कृषि और पशुपालन है. लेकिन, यहां के किसानों के लिए समुचित सिंचाई व्यवस्था एक गंभीर चुनौती बनी हुई है. सिंचाई के लिए सरकारी स्तर पर उपलब्ध कराए गए सरकारी नलकूप काम नहीं कर रहे हैं.

20 वर्षों से नलकूप खराब
किसान संतोष यादव ने बताया कि पिछले 20 साल से यहां नलकूप खराब है. पानी नहीं पटने से फसलों को काफी नुकसान हो रहा है. बारिश के नहीं होने से पूरा खेत बंजर हो गया है. उन्होंने कहा कि गांव में चापाकल के सूख जाने के कारण लोगों में पानी के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है. दूसरी तरफ खेतों में लगी मूंग की फसल और सब्जियां भी मुरझा गई हैं. अगर सरकारी स्तर पर इस भीषण गर्मी में बंद पड़े नलकूपों को चालू करवा दिया जाता तो किसानों को काफी हद तक राहत मिल जाती.

darbhanga
बंद नलकूप


50% कम हुई बारिश
जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन ने कहा कि जून महीने में जितनी बारिश होनी चाहिए थी उससे 50 प्रतिशत कम हुई है. जिससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है. इस क्रम में कृषि विभाग ने आकस्मिक फसल योजना चालू किया है. जिसमें रोपनी नहीं होने की स्थिति में धान की जगह अन्य फसल की खेती की जाएगी. वहीं, उन्होंने नलकूप के संबंध में कहा कि दरभंगा जिला में 440 नलकूप हैं. जिसमें से अभी 110 नलकूप चालू हैं. शेष नलकूप को चालू कराने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि बचे नलकूप पंचायत के मुखिया के अधीन रहेगा. इसकी मरम्मत के लिए राशि भी 130 पंचायतों को भेज दी गई है.

इतने हैं नलकूप
बता दें कि खेतों में पानी पटाने के लिए किसान निजी पंपसेट का सहारा ले रहे हैं. किसान को पानी पटाने के लिए 150 रुपया प्रति घंटा की दर से पानी लेना पड़ रहा है. वहीं, सरकारी नलकूप की बात करें तो दरभंगा जिला में 440 सरकारी नलकूप है. जिसमें से मात्र 110 नलकूप चालू अवस्था में है. शेष 330 नलकूप मोटर की खराबी के कारण बंद पड़ा है.

दरभंगा: बिहार में भीषण गर्मी से पूरा जन-जीवन त्रस्त हो चुका है. इस चिलचिलाती गर्मी से जहां लोगों का जीना मुहाल है. वहीं, खेतों की स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है. यहां लगे नलकूप पिछले कई वर्षों से खराब पड़े हैं. जिससे सिंचाई नहीं होने से खेत में दरार आनी शुरू हो गयी है. पानी नहीं पटने के कारण फसलों का नुकसान हो रहा है. जिससे किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है.

मौसम की बेरुखी से खेतों में पड़ी दरार


किसानों के लिए बड़ी चुनौती
खेत में लगे मूंग की फसल सूख कर बर्बाद होने के कगार पर हैं. अब किसान खेतों में धान का बिचड़ा बोने के लिए प्रकृति पर निर्भर हैं. जिले में लगभग 70 फ़ीसदी लोगों के आजीविका का साधन कृषि और पशुपालन है. लेकिन, यहां के किसानों के लिए समुचित सिंचाई व्यवस्था एक गंभीर चुनौती बनी हुई है. सिंचाई के लिए सरकारी स्तर पर उपलब्ध कराए गए सरकारी नलकूप काम नहीं कर रहे हैं.

20 वर्षों से नलकूप खराब
किसान संतोष यादव ने बताया कि पिछले 20 साल से यहां नलकूप खराब है. पानी नहीं पटने से फसलों को काफी नुकसान हो रहा है. बारिश के नहीं होने से पूरा खेत बंजर हो गया है. उन्होंने कहा कि गांव में चापाकल के सूख जाने के कारण लोगों में पानी के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है. दूसरी तरफ खेतों में लगी मूंग की फसल और सब्जियां भी मुरझा गई हैं. अगर सरकारी स्तर पर इस भीषण गर्मी में बंद पड़े नलकूपों को चालू करवा दिया जाता तो किसानों को काफी हद तक राहत मिल जाती.

darbhanga
बंद नलकूप


50% कम हुई बारिश
जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन ने कहा कि जून महीने में जितनी बारिश होनी चाहिए थी उससे 50 प्रतिशत कम हुई है. जिससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है. इस क्रम में कृषि विभाग ने आकस्मिक फसल योजना चालू किया है. जिसमें रोपनी नहीं होने की स्थिति में धान की जगह अन्य फसल की खेती की जाएगी. वहीं, उन्होंने नलकूप के संबंध में कहा कि दरभंगा जिला में 440 नलकूप हैं. जिसमें से अभी 110 नलकूप चालू हैं. शेष नलकूप को चालू कराने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि बचे नलकूप पंचायत के मुखिया के अधीन रहेगा. इसकी मरम्मत के लिए राशि भी 130 पंचायतों को भेज दी गई है.

इतने हैं नलकूप
बता दें कि खेतों में पानी पटाने के लिए किसान निजी पंपसेट का सहारा ले रहे हैं. किसान को पानी पटाने के लिए 150 रुपया प्रति घंटा की दर से पानी लेना पड़ रहा है. वहीं, सरकारी नलकूप की बात करें तो दरभंगा जिला में 440 सरकारी नलकूप है. जिसमें से मात्र 110 नलकूप चालू अवस्था में है. शेष 330 नलकूप मोटर की खराबी के कारण बंद पड़ा है.

Intro:ज्येष्ठ माह चल रहा है और आने वाले कुछ दिनों में आषाढ़ माह शुरू हो जाएगा। लेकिन वर्षा नही तथा प्रचंड धूप के चलते खेतों में दरार पड़ चुकी है। खेतों में लगी मूंग की फसल सूख कर बर्बाद होने के कगार पर है और अब किसान खेतों में धान का बिचड़ा बोने के लिए आकाश की ओर टकटकी लगाए हैं। कब बारिश की बूंदे टपके और दरार फटी खेतों को जोत कर धान के बीज तैयार कर सके। यहां के लगभग 70 फ़ीसदी लोगों के आजीविका का साधन कृषि व पशुपालन है। परंतु यहां के किसानों के लिए समुचित सिंचाई व्यवस्था एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। सिंचाई के लिए सरकारी स्तर पर उपलब्ध कराए गए सरकारी नलकूप हाथी का दांत बनकर रह गया है। वहीं इस बार मानसून की बेरुखी तथा अब तक समुचित वर्षा नहीं होने से किसान परेशान है। क्योंकि खरीफ फसल के उत्पादन पर काली छाया मंडराने लगा है।

दरअसल पिछले वर्ष भी मौसम की बेरुखी के चलते खेतों में लगी धान की फसल बर्बाद हो गई थी और इस वर्ष भी अभी तक वर्षा नहीं होने के कारण खेतों में दरार पड़ गई है। जिसके चलते किसानों की चिंता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। बेबस किसान अब तो भगवान भरोसे ही हैं, क्योकि उनको समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वे करे तो क्या करें। अगर समय पर वर्षा नहीं हुआ तो उनके सामने भुखमरी जैसी समस्या उत्पन्न हो जाएगी। क्योंकि अधिकांश सरकारी नलकूप खराब पड़े हैं। जो चालू है वह किसी काम का नहीं है। वही दूसरी तरफ निजी पंपसेट मालिक 150 रुपया प्रति घंटा के दर से ले रहे हैं। जो दरार पड़ी खेतों में पानी देना काफी महंगा पड़ रहा है। वहीं सरकारी नलकूप की बात करें तो दरभंगा जिला में 440 सरकारी नलकूप है। जिसमें से मात्र 110 नलकूप चालू अवस्था में है शेष 330 नलकूप मोटर की खराबी तो कहीं बिजली की गड़बड़ी सहित अन्य कारणों से बंद पड़ा है।

किसानों का कहना है कि एक तरफ प्रचंड गर्मी व धूप के कारण जहां गांव में चापाकल के सूख जाने के कारण लोग पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। तो दूसरी तरफ किसानों के खेतों में लगी मूंग की फसल तथा सब्जियां भी मुरझा गई है। सरकारी स्तर पर इस भीषण गर्मी में बंद पड़े नलकूपों को चालू करवा दिया जाता तो किसानों को काफी हद तक राहत मिल जाती। किसानों की मानें तो बाढ़ और सुखाड़ का दंश झेलते झेलते अब हम लोगों का कमर टूट चुका है। जुलाई के प्रथम सप्ताह में रोपनी हो जाने पर लागत कम और उपज अधिक होती है। परंतु अभी तक खेतों में बिछड़े ही नहीं गिराए जा सके हैं, तो रोपनी कैसे होगी। पानी के अभाव में फिलहाल किसान आकाश की ओर टकटकी लगाए बारिश का इंतजार कर रहे हैं।

वहीं जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन ने कहा कि जून महीना में भी जितना बारिश होना चाहिए था समान्यतः से 50% कम है। इसके कारण किसानों को काफी परेशानी हो रही है। लेकिन कृषि विभाग की ओर से आकस्मिक फसल सूत्रण बनाया जा रहा है। जिसमें रोपनी नहीं होने की स्थिति में धान की जगह पर अन्य जो फसल है। जिसकी शुरुआत जुलाई के बाद होता है उसका आंकलन किया जा रहा है। साथ ही उसके बीज के वितरण की योजना भी बनाई जा रही है। वहीं उन्होंने नलकूप के संबंध में कहा कि दरभंगा जिला में 440 नलकूप हैं जिसमें से अभी 110 नलकूप चालू हैं। शेष नलकूप को चालू कराने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि बच्चे नलकूप पंचायत के मुखिया के अधीन रहेगा और मरम्मत के लिए राशि भी 130 पंचायतों को भेज दी गई है। शेष बचे नलकूप को अगले चरण में चालू कराने का काम किया जाएगा।


Byte ----------------
संतोष यादव, किसान
डॉ त्यागराजन, जिलाधिकारी दरभंगा


Body:NO


Conclusion:NO
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.