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भारत सरकार की योजना का दिखा असर, मखाना की खेती से लाखों कमा रहे किसान

भारत सरकार ने पिछले साल के बजट में मखाना की ग्लोबल ब्रांडिंग के लिए राशि की घोषणा की थी. साथ ही बिहार सरकार ने भी इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. अब इन योजनाओं का धरातल पर असर दिखने लगा है.

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भारत सरकार की योजना का दिखा असर
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Published : Mar 28, 2021, 2:21 PM IST

दरभंगा: दरभंगा जिले के कई किसान मखाना के साथ मछली पालन तिलहन और दलहन की खेती और सिंघाड़ा लगाकर लाखों रुपए का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं. अब इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए दरभंगा के मखाना अनुसंधान केंद्र की ओर से किसानों को ट्रेनिंग दी जा रही है.

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तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत
इसी के तहत तीन दिवसीय एक प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत हुई. इसमें दरभंगा मधुबनी और समस्तीपुर जिलों के 40 से ज्यादा किसान शामिल हो रहे हैं. इस ट्रेनिंग का मकसद मखाना और उसके साथ ली जाने वाली दूसरी फसलों का उत्पादन बढ़ाना और किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ देना है.

भारत सरकार की योजना का दिखा असर

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'फिलहाल मखाना का उत्पादन 2 टन प्रति हेक्टेयर होता है। इसे बढ़ाकर कम से कम साढ़े 3 से 4 टन प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है. किसान मखाना के साथ दूसरी फसलें लगाकर ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाएं. इसी की ट्रेनिंग शिविर में दी जा रही है.- डॉ. बीआर जाना, मखाना अनुसंधान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक

'मखाना के साथ-साथ तालाब में मछली पालन किया जा सकता है और साथ में सिंघाड़ा की खेती भी की जा सकती है. इससे किसानों को काफी फायदा होगा. सरकार अगर किसानों को इस खेती में सब्सिडी दे तो किसान आत्मनिर्भर हो सकते हैं.- मुरारी महाराज, मखाना अनुसंधान केंद्र के वरीय तकनीकी अधिकारी

'पिछले 2 साल से 10 से 11 एकड़ में मखाना की खेती कर रहे हैं. साथ ही उसमें सिंघाड़ा की खेती करते हैं. बाद में दलहन और तिलहन की फसल लगाते हैं. वे इस खेत में गेहूं की खेती भी करते हैं. इससे उन्हें हर साल प्रति एकड़ 1 लाख रुपये से ज्यादा का का शुद्ध मुनाफा हो रहा है. किसानों को पारंपरिक धान-गेहूं की खेती छोड़ कर व्यावसायिक खेती की तरफ रुख करना चाहिए'. - धीरेंद्र कुमार, किसान

दरभंगा: दरभंगा जिले के कई किसान मखाना के साथ मछली पालन तिलहन और दलहन की खेती और सिंघाड़ा लगाकर लाखों रुपए का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं. अब इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए दरभंगा के मखाना अनुसंधान केंद्र की ओर से किसानों को ट्रेनिंग दी जा रही है.

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तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत
इसी के तहत तीन दिवसीय एक प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत हुई. इसमें दरभंगा मधुबनी और समस्तीपुर जिलों के 40 से ज्यादा किसान शामिल हो रहे हैं. इस ट्रेनिंग का मकसद मखाना और उसके साथ ली जाने वाली दूसरी फसलों का उत्पादन बढ़ाना और किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ देना है.

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'फिलहाल मखाना का उत्पादन 2 टन प्रति हेक्टेयर होता है। इसे बढ़ाकर कम से कम साढ़े 3 से 4 टन प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है. किसान मखाना के साथ दूसरी फसलें लगाकर ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाएं. इसी की ट्रेनिंग शिविर में दी जा रही है.- डॉ. बीआर जाना, मखाना अनुसंधान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक

'मखाना के साथ-साथ तालाब में मछली पालन किया जा सकता है और साथ में सिंघाड़ा की खेती भी की जा सकती है. इससे किसानों को काफी फायदा होगा. सरकार अगर किसानों को इस खेती में सब्सिडी दे तो किसान आत्मनिर्भर हो सकते हैं.- मुरारी महाराज, मखाना अनुसंधान केंद्र के वरीय तकनीकी अधिकारी

'पिछले 2 साल से 10 से 11 एकड़ में मखाना की खेती कर रहे हैं. साथ ही उसमें सिंघाड़ा की खेती करते हैं. बाद में दलहन और तिलहन की फसल लगाते हैं. वे इस खेत में गेहूं की खेती भी करते हैं. इससे उन्हें हर साल प्रति एकड़ 1 लाख रुपये से ज्यादा का का शुद्ध मुनाफा हो रहा है. किसानों को पारंपरिक धान-गेहूं की खेती छोड़ कर व्यावसायिक खेती की तरफ रुख करना चाहिए'. - धीरेंद्र कुमार, किसान

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