दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय अक्सर अपने कारनामों के लिए पूरे बिहार में सुर्खियों में रहता है. कभी किसी परीक्षार्थी की कॉपी पर पूर्णांक से ज्यादा अंक देने के मामले में तो कभी किसी छात्र के एडमिट कार्ड पर किसी हीरोइन की या हनुमानजी की तस्वीर चिपका देने को लेकर. अब एक बार फिर अपने कारनामे को लेकर विवि चर्चा में है. ये मामला ज्यादा संजीदा है.
विश्वविद्यालय में की शिकायत
सीएम साइंस कॉलेज के स्नातक तृतीय खंड भौतिकी प्रतिष्ठा के एक छात्र की उत्तर पुस्तिका पर एक प्रश्न के उत्तर पर वीक्षक अंक देना ही भूल गए हैं. इसे संयोग कहें, बड़ी लापरवाही कहें या फिर कोई साजिश, इसी छात्र की पिछले साल की परीक्षा में भी उत्तर पुस्तिका पर वीक्षक ने एक उत्तर पर अंक नहीं दिया था. जब छात्र को कम अंक को लेकर शंका हुई तो, उसने विश्वविद्यालय में इसकी शिकायत की. लेकिन, इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई तो, उसने दोनों बार सूचना के अधिकार के तहत अपनी कॉपी निकलवाई.
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मुआवजे की मांग
इसके लिए उसे प्रति कॉपी 2 हजार रुपये शुल्क के तौर पर भरने पड़े. जब कॉपी निकल कर सामने आई तो विश्वविद्यालय के इस कारनामे का खुलासा हुआ. अब पीड़ित छात्र इसके लिए मुआवजा मांग रहा है. वहीं, अन्य छात्रों में भी इसको लेकर आक्रोश है और वे विश्वविद्यालय के खिलाफ आंदोलन के अलावा कोर्ट जाने के भी मूड में हैं. वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में एक जांच समिति बनाई है और परीक्षार्थी के छूटे हुए प्रश्नोत्तर पर अंक देने की बात भी कह रहा है. हालांकि विश्वविद्यालय के इस कारनामे से एक बार फिर उसकी किरकिरी हो रही है और विश्वविद्यालय सुर्खियों में है.
शिकायत पर नहीं हुई सुनवाई
सीएम साइंस कॉलेज के स्नातक भौतिकी प्रतिष्ठा तृतीय वर्ष के छात्र रूपेश कुमार मिश्रा ने कहा कि विश्वविद्यालय में उसने अपने परीक्षा परिणाम में कम अंक आने की शिकायत की तो, उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई.
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"विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि वीक्षक की मर्जी पर निर्भर है कि किसी परीक्षार्थी को कितने अंक देता है. आखिरकार थक-हार कर मैंने 2 हजार रुपये चुका कर सूचना के अधिकार के तहत अपनी कॉपी निकलवाई तो, पता चला कि उसकी उत्तर पुस्तिका के एक प्रश्नोत्तर पर अंक ही नहीं दिया गया है. पिछले साल स्नातक द्वितीय खंड की परीक्षा में भी मेरे साथ ऐसा ही हुआ था और तब भी मुझे 2 हजार खर्च कर अपनी कॉपी आरटीआई से निकलवानी पड़ी थी. अगर किसी छात्र के पास हर कॉपी निकलवाने के लिए 2 हजार रुपये न हो, तो विवि उसके भविष्य के साथ ऐसा ही खिलवाड़ करेगा. विश्वविद्यालय के इस कारनामे से मुझे मानसिक प्रताड़ना हुई है. जिसके लिए मुझे मुआवजा मिलना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं कोर्ट जाऊंगा"- रूपेश कुमार मिश्रा, छात्र
कई तरीकों से शोषण
वहीं, छात्र संगठन मिथिला स्टूडेंट यूनियन के विश्वविद्यालय प्रभारी अमन सक्सैना ने कहा कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में छात्रों का कई तरीकों से शोषण होता है. परीक्षा में कम अंक देकर उनसे स्क्रूटनी के लिए डेढ़ सौ रुपये वसूले जाते हैं और फिर परिणाम कुछ भी नहीं आता.
"हर छात्र के पास आरटीआई से 2 हजार खर्च कर कॉपी निकलवाने की आर्थिक हैसियत नहीं होती है. पीड़ित छात्र रुपेश के मामले में दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब उसकी कॉपी पर किसी उत्तर पर अंक नहीं दिए गए हैं. विश्वविद्यालय को एक सप्ताह का समय दिया गया है. अगर विश्वविद्यालय छात्र की मांग पर कार्रवाई नहीं करता है, तो वे लोग परिसर में बड़ा आंदोलन करेंगे और जरूरत पड़ी तो कोर्ट भी जाएंगे"- अमन सक्सैना, विश्वविद्यालय प्रभारी
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दोषी वीक्षक पर कार्रवाई
इस मामले में ईटीवी भारत से बात करते हुए विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. सत्येंद्र कुमार राय ने कहा कि उन्हें परीक्षार्थी की लिखित शिकायत मिली है. इस मामले में वे प्रति कुलपति को फाइल बढ़ा रहे हैं और इस पर एक जांच समिति बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि परीक्षार्थी के छूटे हुए प्रश्नोत्तर पर अंक दे दिए जाएंगे. दोषी वीक्षक पर कार्रवाई की जाएगी और उन्हें भविष्य में कॉपी जांच की प्रक्रिया से अलग कर दिया जाएग.