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WIT की घटी लोकप्रियता, 120 में से मात्र 46 सीटों पर हुआ एडमिशन - Shortage of teachers in WIT Darbhanga

पूर्वी भारत के पहले महिला प्रौद्योगिकी संस्थान डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम डब्ल्यूआईटी का हाल खस्ताहाल हो गया है. इस बार के नामंकन वर्ष में दो तिहाई सीटें खाली रह गई. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने साल 2005 में कॉलेज का उद्घाटन किया था. अब फिर से संस्थान की गरिमा वापस लाने की कवायद यूनिवर्सिटी और कॉलेज ने शुरू कर दी है. पढ़ें पूरी खबर...

दरभंगा
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Published : Feb 20, 2021, 5:35 PM IST

Updated : Feb 20, 2021, 10:57 PM IST

दरभंगा: देशभर में लड़कियों की पढ़ाई को लेकर बीते कुछ दशक से काफी जोर दिया गया. कई ऐसी योजनाओं को लागू किया गया कि जिससे बिटियां घर से निकल कर स्कूल और कॉलेजों में पहुंचे. चाहे राष्ट्रीय स्तर पर हो या प्रदेश स्तर पर हर सरकार ने कॉलेजों और स्कूलों को खोलने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. लेकिन कॉलेजों को खोलने के कुछ सालों बाद ही ये अभावों का शिकार हो गए. जिस कारण अब इन कॉलेज में दाखिलों का सिलसिला भी थम गया है. इन्हीं कॉलेज में से एक है देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाईल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर पूर्वी भारत का पहला महिला प्रौद्योगिकी संस्थान.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें:नीतीश कुमार हैं व्यवहारिक समाजवाद के प्रणेता- राम बच्चन राय

पूर्व राष्ट्रपति ने किया था उद्घाटन
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में आने वाले इस संस्थान का डब्ल्यूआईटी के नाम से भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 30 दिसंबर 2005 को उद्घाटन किया था. 2018 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में इस संस्थान के नाम में उनका नाम जोड़ दिया गया. संस्थान के 15 साल के इतिहास में इसकी ख्याति देश-विदेश में रही है और यहां की लड़कियां डिग्री हासिल करने के बाद देश विदेश के कई बड़ी एमएनसी में नौकरी पाती थी. लेकिन पिछले कुछ सालों से इस संस्थान की ख्याति घट गई है. यहां अब लड़कियां नामांकन लेने में उतना उत्साह नहीं दिखाती हैं.

दरभंगा
पूर्व राष्ट्रपति ने किया था उद्घाटन

यह भी पढ़ें:पटना: पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार 12वें दिन बढ़ोतरी, लोगों में आक्रोश

महज 46 सीटों पर हुआ एडमिशन
आलम यह है कि बीते नामंकन वर्ष में चार विषयों की कुल 120 सीटों में इस साल महज 46 सीटों पर एडमिशन हुए हैं. बाकी सीटें खाली रह गई हैं. दरअसल, संस्थान की ओर से पिछले कई बार से प्लेसमेंट की व्यवस्था नहीं की गई और यहां अच्छे शिक्षकों का भी अभाव है. वहीं, इस संस्थान के पास करीब 60 एकड़ जमीन है. जिसमें से आधी जमीन अतिक्रमण का शिकार है.

कैंपस प्लेसमेंट नहीं होने के चलते घटा नामंकन दर
एपीजे अब्दुल कलाम डब्ल्यूआईटी की छात्रा प्रियंका कुमारी ने कहा कि इस कॉलेज में छात्राओं के नामांकन नहीं लेने की सबसे बड़ी वजह यहां प्लेसमेंट सुविधा नहीं होना है. उन्होंने कहा कि लड़कियां यहां एडमिशन लेती हैं तो उन्हें उम्मीद रहती है कि संस्थान में ही कंपनियां आएंगी और उनका नौकरी के लिए चयन होगा. लेकिन यहां ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि बाहर जाकर नौकरी ढूंढने में काफी परेशानी होती है. इस कारण साल दर साल नामंकन दर घटता जा रहा है.

यह भी पढ़ें:बिहार बजट: सीतामढ़ी के किसानों को उम्मीद, केसीसी कार्ड बनवाने में मिले सहूलियत
जल्द लौटेगी कॉलेज की पुरानी गरिमा
वहीं, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कहा डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का नाम जुड़ा होने की वजह से यह न सिर्फ मिथिला और बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक गौरवपूर्ण संस्थान है. उन्होंने कहा इस संस्थान में अच्छे शिक्षकों की कमी है और प्लेसमेंट की सुविधा नहीं है. कुलपति ने कहा कि संस्थान के पास करीब 60 एकड़ जमीन है जिसमें से आधी जमीन पर लोगों का अतिक्रमण है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने संस्थान में सुधार की प्रक्रिया शुरू कर दी है. प्रो. एसपी सिंह ने कहा कि यहां अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी और दूसरी समस्याओं को भी दूर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में कुछ साल जरूर लगेंगे. लेकिन विश्वास है कि संस्थान की पुरानी गरिमा वापस लौटेगी.

प्रो. एसपी सिंह, कुलपति, एलएनएमयू
प्रो. एसपी सिंह, कुलपति, एलएनएमयू

दरभंगा: देशभर में लड़कियों की पढ़ाई को लेकर बीते कुछ दशक से काफी जोर दिया गया. कई ऐसी योजनाओं को लागू किया गया कि जिससे बिटियां घर से निकल कर स्कूल और कॉलेजों में पहुंचे. चाहे राष्ट्रीय स्तर पर हो या प्रदेश स्तर पर हर सरकार ने कॉलेजों और स्कूलों को खोलने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. लेकिन कॉलेजों को खोलने के कुछ सालों बाद ही ये अभावों का शिकार हो गए. जिस कारण अब इन कॉलेज में दाखिलों का सिलसिला भी थम गया है. इन्हीं कॉलेज में से एक है देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाईल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर पूर्वी भारत का पहला महिला प्रौद्योगिकी संस्थान.

देखें रिपोर्ट

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पूर्व राष्ट्रपति ने किया था उद्घाटन
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में आने वाले इस संस्थान का डब्ल्यूआईटी के नाम से भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 30 दिसंबर 2005 को उद्घाटन किया था. 2018 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में इस संस्थान के नाम में उनका नाम जोड़ दिया गया. संस्थान के 15 साल के इतिहास में इसकी ख्याति देश-विदेश में रही है और यहां की लड़कियां डिग्री हासिल करने के बाद देश विदेश के कई बड़ी एमएनसी में नौकरी पाती थी. लेकिन पिछले कुछ सालों से इस संस्थान की ख्याति घट गई है. यहां अब लड़कियां नामांकन लेने में उतना उत्साह नहीं दिखाती हैं.

दरभंगा
पूर्व राष्ट्रपति ने किया था उद्घाटन

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महज 46 सीटों पर हुआ एडमिशन
आलम यह है कि बीते नामंकन वर्ष में चार विषयों की कुल 120 सीटों में इस साल महज 46 सीटों पर एडमिशन हुए हैं. बाकी सीटें खाली रह गई हैं. दरअसल, संस्थान की ओर से पिछले कई बार से प्लेसमेंट की व्यवस्था नहीं की गई और यहां अच्छे शिक्षकों का भी अभाव है. वहीं, इस संस्थान के पास करीब 60 एकड़ जमीन है. जिसमें से आधी जमीन अतिक्रमण का शिकार है.

कैंपस प्लेसमेंट नहीं होने के चलते घटा नामंकन दर
एपीजे अब्दुल कलाम डब्ल्यूआईटी की छात्रा प्रियंका कुमारी ने कहा कि इस कॉलेज में छात्राओं के नामांकन नहीं लेने की सबसे बड़ी वजह यहां प्लेसमेंट सुविधा नहीं होना है. उन्होंने कहा कि लड़कियां यहां एडमिशन लेती हैं तो उन्हें उम्मीद रहती है कि संस्थान में ही कंपनियां आएंगी और उनका नौकरी के लिए चयन होगा. लेकिन यहां ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि बाहर जाकर नौकरी ढूंढने में काफी परेशानी होती है. इस कारण साल दर साल नामंकन दर घटता जा रहा है.

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जल्द लौटेगी कॉलेज की पुरानी गरिमा
वहीं, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कहा डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का नाम जुड़ा होने की वजह से यह न सिर्फ मिथिला और बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक गौरवपूर्ण संस्थान है. उन्होंने कहा इस संस्थान में अच्छे शिक्षकों की कमी है और प्लेसमेंट की सुविधा नहीं है. कुलपति ने कहा कि संस्थान के पास करीब 60 एकड़ जमीन है जिसमें से आधी जमीन पर लोगों का अतिक्रमण है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने संस्थान में सुधार की प्रक्रिया शुरू कर दी है. प्रो. एसपी सिंह ने कहा कि यहां अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी और दूसरी समस्याओं को भी दूर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में कुछ साल जरूर लगेंगे. लेकिन विश्वास है कि संस्थान की पुरानी गरिमा वापस लौटेगी.

प्रो. एसपी सिंह, कुलपति, एलएनएमयू
प्रो. एसपी सिंह, कुलपति, एलएनएमयू
Last Updated : Feb 20, 2021, 10:57 PM IST
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