दरभंगाः सरकार और जिला प्रशासन डीएमसीएच में बेहतर इलाज की व्यवस्था का दावा भले करते हों लेकिन कोरोना महामारी के दौरान अस्पताल की कुव्यवस्था की पोल यहां के डॉक्टर ही खोल रहे हैं. डीएमसीएच के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. यूसी झा ने डीएमसीएच के प्राचार्य को पत्र लिख कर उन्हें विभागाध्यक्ष के पद से मुक्त करने की मांग कर डाली है. यह पत्र फिलहाल सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. यह पत्र काफी चर्चा का विषय भी बना हुआ है. दरअसल इसकी वजह अस्पताल के मेडिसिन विभाग में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचना है. इसको लेकर जिलाधिकारी ने मेडिसिन विभागाध्यक्ष से स्पष्टीकरण मांगा था.
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भेज रहे थे संदेश
मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. यूसी झा ने डीएमसी के प्राचार्य को संबोधित अपने पत्र में कहा है कि मेडिसिन विभाग में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा है. 5 मई को उन्होंने ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए अस्पताल अधीक्षक, प्राचार्य, डीएम और विभाग के अधिकारियों को त्राहिमाम संदेश भेजा. क्योंकि ऑक्सीजन की कमी के कारण मेडिसिन विभाग के आइसीयू में भर्ती में बहुत से मरीजों की मौत होने की चिंता उन्हें सता रही थी. उन्होंने लिखा है कि बड़ी मुश्किल से उप विकास आयुक्त की पहल पर ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई और मरीजों की जान बच सकी.
ऑक्सीजन आपूर्ति की बनी रहती है समस्या
डॉ. यूसी झा ने लिखा है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति की लगातार समस्या बनी हुई है. इसके लिए वे बार-बार जिम्मेवार अधिकारियों से गुहार लगाते रहते हैं. उन्होंने लिखा है कि मरीजों के इलाज में अस्पताल का हर सीनियर और पीजी डॉक्टर अपनी पूरी क्षमता लगा कर काम कर रहा है. इसके बावजूद उनसे कुव्यवस्था को लेकर डीएम और अन्य अधिकारियों के द्वारा स्पष्टीकरण मांगा जाता है.
प्राचार्य को नहीं मिला है पत्र
उन्होंने कहा है कि ऑक्सीजन की व्यवस्था करना अधीक्षक, प्राचार्य और स्वास्थ्य विभाग का काम है न कि मेडिसिन के विभागाध्यक्ष का. डॉ. यूसी झा ने इसको लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्हें उनके पद से विमुक्त करते हुए किसी सक्षम डॉक्टर को मेडिसिन विभागाध्यक्ष के पद पर नियुक्त करने का आग्रह किया है. हालांकि डीएमसी के प्राचार्य डॉ. केएन मिश्रा ने कहा है कि उन्हें अब तक मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. यूसी झा का पत्र नहीं मिला है।
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NMCH अधिक्षक ने की थी इस्तीफे की पेशकश
बता दें कि इससे पहले राजधानी पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधिक्षक डॉक्टर विनोद कुमार सिंह ने 17 अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा था. इस पत्र में नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधिक्षक डॉ. विनोद कुमार सिंह ने खुद को अपने पद से मुक्त करने की मांग की थी. इसकी वजह उन्होंने ऑक्सीजन की कमी बताई थी.
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