दरभंगा: बिहार में कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस धीरे- धीरे अपना पांव पसार रहा है. इसको लेकर डीएमसीएच प्रशासन की ओर से एहतियात बरती जा रही है. डीएमसीएच के नेत्र विभाग में तत्काल 5 बेड सुरक्षित रखने का निर्देश दिये गये हैं.
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इसके अलावा डीएमसीएच के प्राचार्य ने इस बीमारी के मद्देनजर मंगलवार को न्यूरो, आंख, इएनटी, मेडिसिन, दंत और एनेस्थिसिया के विभागाध्यक्ष के साथ बैठक करेंगे. इस बैठक में ब्लैक फंगस के मरीजों की इलाज के लिए व्यवस्थाओं पर चर्चा की जाएगी. साथ ही कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए प्रोटोकॉल पर विचार किया जाएगा.
बेगूसराय से आई बुजुर्ग महिला को भेजा गया पटना
दरअसल डीएमसीएच के आपातकालीन विभाग में रविवार को बेगूसराय से एक 70 साल की महिला इलाज करवाने के लिए आई. संभवत: वह ब्लैक फंगस से संक्रमित थी. लेकिन डीएमसीएच में उसे प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर उपचार को लेकर पटना रेफर कर दिया गया. हालांकि महिला की कोरोना जांच की गई तो उसकी रिपोर्ट नेगेटिव थी.
चिकित्सकों ने ब्लैक फंगस होने की जताई थी आशंका
इस संबंध में महिला के बेटे देवेश ने कहा कि उसकी मां को कोरोना हो गया था. डॉक्टरी सलाह से दवा चलने के बाद वह ठीक हो गई. लेकिन पिछले 10 दिन से उसकी नांक और मुंह से खुन निकलता है और एक आंख से दिखाई नहीं पड़ता है. इसके बाद हमने उपचार के लिए बेगूसराय के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. वहां के चिकित्सकों ने ब्लैक फंगस होने की बात कही. अब मां को इलाज के लिए पटना लेकर जा रहे हैं.
ब्लैक फंगस को लेकर बैठक
डीएमसीएच के प्राचार्य डॉ. केएन मिश्रा ने बताया कि ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार के लिए नेत्र विभाग में 5 बेड सुरक्षित रखे गए हैं. जल्द ही इसको लेकर संबंधित विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की जाएगी. बैठक में प्रोटोकॉल के अनुरूप मरीजों के बेहतर इलाज और सुविधा पर चर्चा की जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि रविवार को ब्लैक फंगस की संभावित महिला मरीज आई थी. उसे बेहतर उपचार के लिए पटना रेफर कर दिया गया है.
'कमजोर इम्यूनिटी वाले के बनाता है शिकार'
ब्लैक फंगस को लेकर विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि ये वातावरण में मौजूद है. खासकर मिट्टी में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है. यह स्वस्थ और मजबूत इम्यूनिटी वाले लोगों पर अटैक नहीं करता. जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, उन्हें यह अपना शिकार बनाता है. इस बिमारी में मरीजों को नाक में दिक्कत, बुखार, सांस लेने में दिक्कत, कफ या खखार में खून आना, सीने में दर्द, धुंधला दिखाई पड़ना, सिरदर्द, चेहरे के एक हिस्से में दर्द महसूस होना या वो सूज जाना, चेहरा सुन्न पड़ जाना, चेहरे का रंग बदल रहा हो, पलकें सूजने लगी हों और दांत हिलने की शिकायतें हो सकती है. इससे बचाव के लिए समय पर इलाज शुरू करवाएं. इस बीमारी का इलाज संभव है.
गंभीर मरीजों का इलाज डीएमसीएच में नहीं
बता दें कि डीएमसीएच फिलहाल ब्लैक फंगस के गंभीर रोगियों के उपचार में कारगर नहीं है. यहां वैसे मरीजों का उपचार हो सकता है, जो प्रथम स्टेज में हो और दवा से ठीक होने वाले हो. वहीं, स्वास्थ्य विभाग की ओर से ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने डीएमसीएच को दो सौ एंटी फंगल की वायल भेजी हैं. साथ ही ब्लैक फंगस के मरीजों का त्वरित इलाज को लेकर एम्स पटना और आईजीआईएमएस को सेंटर आफ एक्सीलेंस बनाया गया है.