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भागलपुर: वित्त रहित शिक्षकों का फूटा गुस्सा, नियमित करने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन

वित्त रहित शिक्षकों ने नियमित वेतन की मांग में प्रदर्शन किया. उनका कहना हा कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए ये जरूरी है कि शिक्षकों का वेतन नियमित और समय पर दिया जाए.

शिक्षकों की धरना प्रदर्शन
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Published : Jul 4, 2019, 7:41 PM IST

भागलपुर: बिहार में शिक्षा की हालत खराब है. सरकार कितने भी दावे करे पर हालात जस की तस है. भागलपुर के समाहरणालय परिसर में 'अनुदान नहीं वेतनमान' फोरम के बैनर तले वित्त रहित शिक्षकों ने धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान शिक्षकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी की और वेतन को नियमित करने की मांग की.

7 साल से वेतन नहीं मिला
वित्त रहित शिक्षकों को नियमित पैसा नहीं मिलने के कारण शिक्षक काफी मुश्किल में हैं. उनका कहना है कि उन्हें नियमित कर दूसरे शिक्षकों की तरह वेतन दिए जाएं. शिक्षकों का कहना है कि उन्हें सात साल से वेतन नहीं मिला है. जिसके कारण हमारी हालत दिन-ब-दिन खराब हो रही है. उन्होंने कहा कि भूखे रहने से अच्छा है मर जाना. हम लोगों को वेतन दो या हमारे बारे में कुछ सोचो.

शिक्षकों को नियमित वेतन की मांग

'जब तक शिक्षक भूखा है, विकास का सागर सूखा है'
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने आप को विकास पुरुष होने का दवा करते हैं. लेकिन वित्तरहित शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा. हम भूखे मर रहे हैं. ऐसे में उन्हें विकास पुरूष कैसे कहा जा सकता है. शिक्षकों का कहना है हम सुबह से शाम तक काम करते हैं. इसके बाद भी 7 साल से हमें वेतन नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि, 'जब तक शिक्षक भूखा है, विकास का सागर सूखा है'. ऐसे में सरकार को हमारी मांग पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और इसका समाधान भी जल्द निकालना चाहिए.

सीएम को चेतावनी
धरना दे रहे शिक्षकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी जाती है, तो हम आंदोलन को और विस्तार करेंगे. पटना पहुंचकर भूख हड़ताल करेंगे. उन्होंने सीएम की ओर से वित्त रहित शिक्षकों पर की गई टिप्पणी पर भी कड़ा ऐतराज जताया. उनका कहना है कि हम उन्हें आगामी चुनाव में बता देंगे कि एबीसीडी क्या होता है. आंदोलनकारियों ने धरना प्रदर्शन के बाद जिलाधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा.

भागलपुर: बिहार में शिक्षा की हालत खराब है. सरकार कितने भी दावे करे पर हालात जस की तस है. भागलपुर के समाहरणालय परिसर में 'अनुदान नहीं वेतनमान' फोरम के बैनर तले वित्त रहित शिक्षकों ने धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान शिक्षकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी की और वेतन को नियमित करने की मांग की.

7 साल से वेतन नहीं मिला
वित्त रहित शिक्षकों को नियमित पैसा नहीं मिलने के कारण शिक्षक काफी मुश्किल में हैं. उनका कहना है कि उन्हें नियमित कर दूसरे शिक्षकों की तरह वेतन दिए जाएं. शिक्षकों का कहना है कि उन्हें सात साल से वेतन नहीं मिला है. जिसके कारण हमारी हालत दिन-ब-दिन खराब हो रही है. उन्होंने कहा कि भूखे रहने से अच्छा है मर जाना. हम लोगों को वेतन दो या हमारे बारे में कुछ सोचो.

शिक्षकों को नियमित वेतन की मांग

'जब तक शिक्षक भूखा है, विकास का सागर सूखा है'
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने आप को विकास पुरुष होने का दवा करते हैं. लेकिन वित्तरहित शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा. हम भूखे मर रहे हैं. ऐसे में उन्हें विकास पुरूष कैसे कहा जा सकता है. शिक्षकों का कहना है हम सुबह से शाम तक काम करते हैं. इसके बाद भी 7 साल से हमें वेतन नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि, 'जब तक शिक्षक भूखा है, विकास का सागर सूखा है'. ऐसे में सरकार को हमारी मांग पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और इसका समाधान भी जल्द निकालना चाहिए.

सीएम को चेतावनी
धरना दे रहे शिक्षकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी जाती है, तो हम आंदोलन को और विस्तार करेंगे. पटना पहुंचकर भूख हड़ताल करेंगे. उन्होंने सीएम की ओर से वित्त रहित शिक्षकों पर की गई टिप्पणी पर भी कड़ा ऐतराज जताया. उनका कहना है कि हम उन्हें आगामी चुनाव में बता देंगे कि एबीसीडी क्या होता है. आंदोलनकारियों ने धरना प्रदर्शन के बाद जिलाधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा.

Intro:भागलपुर के समाहरणालय परिसर में अनुदान नहीं वेतनमान फोरम के बैनर तले वित्त रहित शिक्षा विषमता पूर्वक अनुदान निधि से प्रभावित शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया । इस दौरान शिक्षकों ने बिहार के मुखिया नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की धरना प्रदर्शन के बाद एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।


Body:इस दौरान क्षेत्रीय संयोजक धनंजय मिश्रा ने कहा कि हम लोगों को 35 साल से वेतन नहीं मिला है ,जब भी सरकार अनुदान देती है तो तरह-तरह के जांच पड़ताल करती है ।

उन्होंने कहा कि यदि हमारी मांगे नहीं मानी जाती है तो हम लोग पटना जाएंगे और पटना को पाठ देंगे ।

भूखे रहने से अच्छा है मर जाना । उन्होंने कहा कि हम लोगों को या तो वेतन दो या हमलोगों के बारे में कुछ सोचो ।

उन्होंने मुख्यमंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि ईट से ईट बजा देंगे ।
धमकी देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि अनुदान रहित शिक्षक एबीसीडी नहीं जानते हैं ,उन्हें आगामी चुनाव में बता देंगे एबीसीडी क्या होता है ।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने आप को विकास पुरुष होने का दवा करते हैं , उन्हें लज्जा आनी चाहिए कि तुम्हारा वित्तीय रहित शिक्षक मर रहा है , भूखा है नंगा है और कहते हैं कि विकास कर रहे हैं । हम लोग भिखारी के तरह दर-दर भटक रहे हैं । मेरे बच्चे भूखे हैं नंगे हैं । हम लोग सुबह से शाम तक काम करते हैं इसके बाद भी 7 साल से वेतन नहीं मिल रहा है । सरकार मुझे धोखा में रख रही है ।


Conclusion:VISUAL
BYTE - धनंजय मिश्रा ( क्षेत्रीय संयोजक )
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