भागलपुर: बिहार में शिक्षा की हालत खराब है. सरकार कितने भी दावे करे पर हालात जस की तस है. भागलपुर के समाहरणालय परिसर में 'अनुदान नहीं वेतनमान' फोरम के बैनर तले वित्त रहित शिक्षकों ने धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान शिक्षकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी की और वेतन को नियमित करने की मांग की.
7 साल से वेतन नहीं मिला
वित्त रहित शिक्षकों को नियमित पैसा नहीं मिलने के कारण शिक्षक काफी मुश्किल में हैं. उनका कहना है कि उन्हें नियमित कर दूसरे शिक्षकों की तरह वेतन दिए जाएं. शिक्षकों का कहना है कि उन्हें सात साल से वेतन नहीं मिला है. जिसके कारण हमारी हालत दिन-ब-दिन खराब हो रही है. उन्होंने कहा कि भूखे रहने से अच्छा है मर जाना. हम लोगों को वेतन दो या हमारे बारे में कुछ सोचो.
'जब तक शिक्षक भूखा है, विकास का सागर सूखा है'
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने आप को विकास पुरुष होने का दवा करते हैं. लेकिन वित्तरहित शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा. हम भूखे मर रहे हैं. ऐसे में उन्हें विकास पुरूष कैसे कहा जा सकता है. शिक्षकों का कहना है हम सुबह से शाम तक काम करते हैं. इसके बाद भी 7 साल से हमें वेतन नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि, 'जब तक शिक्षक भूखा है, विकास का सागर सूखा है'. ऐसे में सरकार को हमारी मांग पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और इसका समाधान भी जल्द निकालना चाहिए.
सीएम को चेतावनी
धरना दे रहे शिक्षकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी जाती है, तो हम आंदोलन को और विस्तार करेंगे. पटना पहुंचकर भूख हड़ताल करेंगे. उन्होंने सीएम की ओर से वित्त रहित शिक्षकों पर की गई टिप्पणी पर भी कड़ा ऐतराज जताया. उनका कहना है कि हम उन्हें आगामी चुनाव में बता देंगे कि एबीसीडी क्या होता है. आंदोलनकारियों ने धरना प्रदर्शन के बाद जिलाधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा.