दरभंगाः बिहार में दरभंगा किसान काउंसिल की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानून (withdrawal of agricultural law) वापस लेने की घोषणा को किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत पर विजय जुलूस निकाला गयी. सभा को संबोधित करते हुए बिहार राज्य किसान काउंसिल राज्य अध्यक्ष ललन चौधरी ने कहा कि कॉर्पोरेट विरोधी संयुक्त किसान संघर्ष की ऐतिहासिक जीत है. पीएम मोदी और बीजेपी किसानों के सामने झुकने और कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करने के लिए मजबूर हुए.
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'यह किसानों की जीत है. 700 से अधिक किसानों की मौत के लिए नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार जिम्मेदार है. यह जीत भविष्य के संघर्षों के लिए और अधिक आत्मविश्वास देती है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार को हिंदुस्तान के किसानों ने संघर्षों एवं बलिदानों के बदौलत पीछे हटने के लिए मजबूर किया. बिहार भर में उन लाखों किसानों, कृषि कामगारों को बधाई है, जिन्होंने इन अधिनियमों के खिलाफ, अत्यधिक दमन के बावजूद एक वर्ष से अधिक समय तक दृढ़ संघर्ष का नेतृत्व किया है.' -ललन चौधरी, अध्यक्ष, बिहार राज्य किसान काउंसिल
'अखिल भारतीय किसान सभा की मांग है कि प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार को अपनी असंवेदनशील और हठी नीतियों के कारण सैकड़ों लोगों के मौत की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए. संयुक्त किसान आंदोलन के हाथों नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए यह दूसरी हार है. इससे पहले उन्हें किसानों के नेतृत्व में एकजुट विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर रोक लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा था.' -श्याम भारती, सचिव, जिला किसान काउंसिल
उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक जीत के लिए किसानों ने महान बलिदान किया है. भारत की जनता ने इस संघर्ष में किसानों पर विश्वास जताया और समर्थन में बड़े पैमाने पर सामने आए. हालांकि, इस ऐतिहासिक किसान संघर्ष की अन्य मूलभूत मांग (सभी किसानों की सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य, उत्पादन की वास्तविक लागत (सी 2+50%) के आधार पर) की गारंटी देने के लिए एक केंद्रीय अधिनियम अभी भी पूरा नहीं हुआ है. इस मांग को पूरा करने की नाकामी ने भारत में कृषि संकट को बढ़ा दिया है और पिछले 25 वर्षों में 4 लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है. पीएम मोदी के नेतृत्व वाले भाजपा शासन काल के पिछले 7 वर्षों में करीब 1 लाख किसानों ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली है.
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