दरभंगाः बिहार राज शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के तत्वाधान में आयोजित हड़ताल के कारण स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है. आलम यह है कि क्लास में बैग रखकर बच्चे स्कूल के बाहर खेलते नजर आ रहे हैं. जिन स्कूलों में नियमित शिक्षक हैं, उस स्कूल का ताला तो खुलता है, लेकिन शिक्षकों के कमी के कारण पढ़ाई नहीं हो पाती है.
बाहर घूमते हैं बच्चे
समान काम के बदले समान वेतन, राज्य कर्मी का दर्जा, सेवा शर्त, पुरानी पेंशन नीति के समर्थन में शिक्षकों की हड़ताल सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. बच्चे स्कूल तो जरूर आते हैं, लेकिन पढ़ाई नहीं होने के कारण क्लास में बैग रखकर बाहर घूमते रहते हैं या फिर घर चले जाते हैं.
शिक्षकों ने जताई नाराजगी
धरना पर बैठे शिक्षक ने कहा कि भारत के संविधान में समान काम के बदले समान वेतन का सिद्धांत लागू है. यहां के नियोजित शिक्षक तमाम सरकारी काम करते हैं. इसलिए हमलोगों को राज्यकर्मी का दर्जा देना बिहार सरकार का संवैधानिक दायित्व है. उन्होंने कहा कि जब सांसद और विधायक को ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत पेंशन का लाभ दिया जा सकता है, तो फिर 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों को ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत लाभ क्यों नहीं दिया जा सकता.
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हड़ताल के कारण अधूरा है सिलेबस
वहीं, स्कूली छात्रा ने बताया कि हड़ताल के कारण स्कूल में शिक्षक कम आ रहे हैं. जिसके चलते हम लोगों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है. पहले हमारे यहां 8 पीरियड की पढ़ाई होती थी. लेकिन शिक्षक के हड़ताल पर चले जाने के कारण तीन पीरियड ही पढ़ाई होती है. जिसके चलते खाली समय हमलोग खेल कूद कर बिताते हैं. छात्राओं ने शिक्षक और सरकार से अपील की है कि जल्द से जल्द इस हड़ताल को खत्म कर दें. क्योंकि अभी तक हमलोगों का सिलेबस भी खत्म नहीं हुआ है.
'पढ़ाई बंद करवा देते हैं शिक्षक'
स्कूल के प्राचार्य बताते हैं कि इस कैंपस में बीआरसी है. जिसके चलते हड़ताली नियोजित शिक्षक यहीं रहते हैं, जब पठन-पाठन शुरू होता है तो वे लोग यहां आकर पढ़ाई बंद करवा देते हैं. जिससे परेशान होकर छात्र-छात्राएं घर चले जाते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इस हड़ताल के चलते स्कूल में पढ़ रहे छात्र छात्राओं के भविष्य पर भी असर पड़ रहा है.