दरभंगा : बिहार के दरभंगा में रातों-रात गायब हुए तालाब पर जिलाधिकारी के आदेश के बाद गुरुवार को बड़ी कारवाई हुई है. सदर अंचलाधिकारी इन्द्रासन साह और DCLR संजीत कुमार पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे और तालाब को अतिक्रमणमुक्त कराने की कार्रवाई शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि इस तालाब को 19 दिसंबर 2022 से पूर्व की जो स्थिति थी उसे बहाल कराया जा रहा है.
डीएम के आदेश के बाद बुलडोजर एक्शन : डीसीएलआर संजीत कुमार के मुताबिक विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर 4 में नीम पोखर के पास एक तालाब की चोरी की खबर चलने के बाद कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने बताया कि तालाब को चुराया नहीं गया था बल्कि उसका स्वरूप बदल दिया गया था. कलेक्टर के आदेश के बाद हम लोग 19 दिसंबर 2022 की स्थिति बहाल करने के लिए दलबल यहां आए हुए हैं. क्रेन की मदद से तालाब को खोदा जा रहा है. जो भी सामान इस जमीन पर थे उसे कब्जे में ले लिया गया है.
''मीडिया से खबर मिली की रातोंरात तालाब की चोरी कर ली गई है. बता दें कि तालाब चोरी नहीं हुआ था बल्कि तालाब का स्वरूप बदल दिया गया था. बांस की बनी चाहरदीवारी और झोपड़ी को तोड़कर कब्जे में ले लिया गया है. जेसीबी से खोदकर तालाब को पुराने स्थिति में ला रहे हैं''- संजीत कुमार, DCLR दरभंगा
जमीन मालिक का दावा- 'कभी तालाब था ही नहीं' : वहीं, जमीन पर मालिकाना हक जताने वाले यशवंत कुमार मंडल ने कहा कि हम लोगों को साल 1945 में दरभंगा राज से जमीन बंदोबस्त है. उसमें दो खेसरा अंकित किया गया है. 131 और 132 एक खेसरा है. एक खेसरा बकास तथा दूसरा गौरमजरुआ खास है. उन्होंने कहा कि प्रशासन के द्वारा उक्त खेसरा के जमीन को जलाशय कहा जा रहा है, जो वास्तव में कभी जलाशय था ही नहीं.
''अभी जहां भी नई कॉलोनी बस रही हैं. ऊंचे ऊंचे मकान बन रहे हैं और उस मकान का पानी खाली पड़े जगह पर लग रहा है. जिसके कारण डबरा जैसा देखने लगता है. जबकि खतियान में आम का पेड़ लीची का पेड़ कटहल का पेड़ आदि तो नहीं लिखा रहता. यह सारा चीज पोखर में तो नहीं होता है. जिला प्रशासन के इस आदेश के विरुद्ध मैं न्यायालय की शरण लूंगा.''- यशवंत कुमार मंडल, जमीन पर दावा करने वाले
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