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SDO की पहल पर बाबा नागार्जुन पुस्तकालय का खुला ताला, कहा- किताबों से जुड़ेगी नई पीढ़ी - एसडीओ प्रदीप कुमार झा

एसडीओ प्रदीप कुमार झा ने कहा कि तरौनी गांव का चयन आदर्श गांव के रूप में विकसित करने के लिए किया गया है. इसी क्रम में नागार्जुन पुस्तकालय की फिर से शुरुआत करने का निर्णय लिया गया.

दरभंगा
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Published : Nov 25, 2019, 10:31 AM IST

दरभंगा: बेनीपुर अनुमंडल के तरौनी गांव स्थित जनकवि बाबा नागार्जुन के पुस्तकालय का ताला एसडीओ प्रदीप कुमार झा की पहल के बाद खुल गया है. जिससे ग्रामीणों के साथ-साथ बाहर से आने वाले लोग भी इसका लाभ ले सकेंगे. यह पुस्तकालय पिछले 5 सालों से बंद पड़ा था. दरअसल, इस पुस्तकालय का भवन 1993 ई में तत्कालीन डीएम अमित खरे ने बनवाया था जबकि इसका संचालन 2000 में शुरू हुआ था.

2014 से बंद पड़ा था पुस्तकालय
बेनीपुर अनुमंडल पदाधिकारी को पुस्तकालय का पदेन अध्यक्ष और प्रखंड विकास पदाधिकारी को सचिव बनाया गया था. इसके अलावा पुस्तकालय के संचालन के लिए ग्रामीणों ने एक कमेटी की गठन किया. जिसका अध्यक्ष नागार्जुन के छोटे पुत्र श्यामा कांत मिश्र को बनाया गया. साथ ही जिले के साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को इसके सदस्य के रूप में जोड़ा गया.

नागार्जुन पुस्तकालय का खुला ताला

ग्रामीणों ने बताया कि कुछ वर्षों तक पुस्तकालय का संचालन सही तरीके से चलता रहा, लेकिन 2014 में गांव के आपसी राजनीति के चलते पुस्तकालय पर ताला लग गया.

ये भी पढ़ेंः दरभंगा में जल्द होगा एम्स का निर्माण - जेपी नड्डा

...ताकि नई पीढ़ी नागार्जुन को जान सके
एसडीओ प्रदीप कुमार झा ने कहा कि तरौनी गांव का चयन आदर्श गांव के रूप में विकसित करने के लिए किया गया है. सात निश्चय योजना के तहत यहां पिछले दो महीनों से लगातार काम हो रहा है. इसी क्रम में पता चला कि यहां एक पुस्तकालय भी है, जो की बंद पड़ा है. फिर इसे शुरू करने का निर्णय लिया गया. ताकि नई पीढ़ी भी पुस्तक से जुड़ें और नागार्जुन के बारे में जाने सके.

दरभंगा: बेनीपुर अनुमंडल के तरौनी गांव स्थित जनकवि बाबा नागार्जुन के पुस्तकालय का ताला एसडीओ प्रदीप कुमार झा की पहल के बाद खुल गया है. जिससे ग्रामीणों के साथ-साथ बाहर से आने वाले लोग भी इसका लाभ ले सकेंगे. यह पुस्तकालय पिछले 5 सालों से बंद पड़ा था. दरअसल, इस पुस्तकालय का भवन 1993 ई में तत्कालीन डीएम अमित खरे ने बनवाया था जबकि इसका संचालन 2000 में शुरू हुआ था.

2014 से बंद पड़ा था पुस्तकालय
बेनीपुर अनुमंडल पदाधिकारी को पुस्तकालय का पदेन अध्यक्ष और प्रखंड विकास पदाधिकारी को सचिव बनाया गया था. इसके अलावा पुस्तकालय के संचालन के लिए ग्रामीणों ने एक कमेटी की गठन किया. जिसका अध्यक्ष नागार्जुन के छोटे पुत्र श्यामा कांत मिश्र को बनाया गया. साथ ही जिले के साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को इसके सदस्य के रूप में जोड़ा गया.

नागार्जुन पुस्तकालय का खुला ताला

ग्रामीणों ने बताया कि कुछ वर्षों तक पुस्तकालय का संचालन सही तरीके से चलता रहा, लेकिन 2014 में गांव के आपसी राजनीति के चलते पुस्तकालय पर ताला लग गया.

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...ताकि नई पीढ़ी नागार्जुन को जान सके
एसडीओ प्रदीप कुमार झा ने कहा कि तरौनी गांव का चयन आदर्श गांव के रूप में विकसित करने के लिए किया गया है. सात निश्चय योजना के तहत यहां पिछले दो महीनों से लगातार काम हो रहा है. इसी क्रम में पता चला कि यहां एक पुस्तकालय भी है, जो की बंद पड़ा है. फिर इसे शुरू करने का निर्णय लिया गया. ताकि नई पीढ़ी भी पुस्तक से जुड़ें और नागार्जुन के बारे में जाने सके.

Intro:बेनीपुर अनुमंडल के तरौनी गांव स्थित जनकवि बाबा नागार्जुन के पुस्तकालय का ताला एसडीओ प्रदीप कुमार की पहल पर 5 वर्षों के बाद खुला। वही पुस्तकालय की दुर्दशा को देख कर नाराजगी जाहिर करते हुए एसडीओ ने कहा कि इस पुस्तकालय में बाबा नागार्जुन द्वारा लिखित रचना को पढ़कर युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। वही उन्होंने ग्रामीणों से उन्होंने अपील की कि बाबा नागार्जुन पुस्तकालय को समृद्ध बनाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय का जीर्णोद्धार कार्य शुरू कर दिया गया है। बाबा नागार्जुन सहित अन्य कलाकारों की लिखी पुस्तकों को रखने का बेहतर प्रबंधन कराया जाएगा।


Body:दरअसल पुस्तकालय का भवन 1993 ई में तत्कालीन डीएम अमित खरे ने बनवाया था तथा पुस्तकालय का संचालन 2000 में शुरू हुआ। पुस्तकालय संचालन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। जिसके पदेन अध्यक्ष बेनीपुर अनुमंडल पदाधिकारी एवं सचिव प्रखंड विकास पदाधिकारी को बनाया गया था। साथ ही जिला के कुछ साहित्यकारों, पत्रकारों एवं बुद्धिजीवियों को इस पुस्तकालय का सदस्य और बाबा नागार्जुन के छोटे पुत्र श्यामा कांत मिश्र को पुस्तकालय अध्यक्ष बनाया गया था। कुछ वर्षों तक पुस्तकालय का संचालन ठीक-ठाक से चलता रहा, लेकिन 2014 में गांव के आपसी राजनीति के चलते पुस्तकालय पर ताला लग गया। इस पुस्तकालय के विकास में एमएलसी सह जल संसाधन मंत्री संजय झा, राजद के वरिष्ठ नेता सह अलीनगर के राजद विधायक अब्दुल बारी सिद्धकी व पूर्व सांसद भोगेंद्र झा ने भी सहयोग किया था।

वही ग्रामीण शंकर झा ने कहा कि एक बार हम लोगों ने पुस्तक की स्थिति को देखा था, तो बढ़िया नहीं था। जिसके बाद हम लोगों ने उसको साफ सुथरा करके अलमीरा में रख दिए थे। इन तीन-चार सालों में क्या स्थिति है हम नहीं बता सकते हैं। वहीं उन्होंने कहा कि हम लोग चाहते हैं कि बाबा नागार्जुन के नाम पर जो यह पुस्तकालय है, यह बहुत बड़ा धरोहर है। इसको कम से कम राजनीति से अलग करके सही तरीके से हमारे ग्रामीण या फिर पदाधिकारी सही तरीके से संचालित करें। ताकि इस पुस्तकालय से ग्रामीण को भी लाभ मिले और बाहर के जो लोग यहां आते हैं उनको भी लाभ मिल सके।


Conclusion:वही मौके पर पहुंचे बेनीपुर के अनुमंडल पदाधिकारी प्रदीप कुमार झा ने कहा कि तरौनी गांव को हमलोगों ने आदर्श गांव के रूप में चयनित किया था। जिसको लेकर सात निश्चय योजना के तहद विगत दो महीनों से लगातार काम कर रहे हैं। इसी क्रम में हमलोगों को पता चला कि यहां पर एक पुस्तकालय भी है। तो पुस्तकालय के संवर्धन के लिए, पुस्तकालय के विकास के लिए योजना बना रहे है। ताकि आम जनजीवन इससे कुछ सीखें, इनके कृतियों को पढ़े और उससे कुछ प्रेरणा ले। वही उन्होंने कहा कि हमने पुस्तकालय के अंदर का विजिट किया है और किताबों की स्थिति बढ़िया देखी है। वहीं उन्होंने कहा कि इसका विस्तार कैसे हो सकता है इस पर हम लोग विचार कर रहे हैं।

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शंकर झा, ग्रामीण
प्रदीप कुमार झा, अनुमंडल पदाधिकारी बेनीपुर
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