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दरभंगा: किसान संगठन ने कृषि कानून के खिलाफ मनाया काला दिवस

आज किसान आंदोलन को 6 महीने पूरे होने पर काला दिवस मनाया जा रहा है. जिले में किसान महासभा और अखिल भारतीय किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने आज के दिन को काला दिवस के रूप में मनाया है.

काला दिवस
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Published : May 26, 2021, 3:41 PM IST

दरभंगा: किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने और किसान-मजदूर विरोधी मोदी सरकार के निरंकुश कुशासन के 7 साल पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 26 मई को राष्ट्रव्यापी ‘काला दिवस’ मनाने का आह्वान किया गया था. इस आह्वान के समर्थन में किसान महासभा और अखिल भारतीय किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए काला दिवस मनाया है.

इसे भी पढ़ें: पटना: कृषि कानून के खिलाफ जाप ने मनाया काला दिवस, वापस लेने की मांग

मोदी सरकार कृषि कानून थोपने पर आमादा
भाकपा माले के जिला सचिव बैद्यनाथ यादव ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 के कार्यकाल में सबसे पहले किसानों से जमीन छीनने का कानून बनाया था. जिससे इंडस्ट्री को सुविधा हो. इसके लिए उन्होंने अध्यादेश लाया. जमीन छीनने के कानून का सभी ने पुरजोर विरोध किया. आखिरकार उसे कानूनी रूप नहीं दिया जा सका और अब किसानों के भारी विरोध के बावजूद मोदी सरकार तीन काले कृषि कानून थोपने पर आमादा है.

जनता को हर रोज नये संकट में धकेल रही मोदी सरकार
अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष शिवन यादव ने कहा कि मोदी सरकार कृषि कानूनों को रद्द कराने को लेकर चुप्पी साधे हुए है. अब किसान आंदोलन को कोरोना फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है. जबकि तथ्य यह है कि पांच राज्यों के चुनाव प्रचार और कुंभ मेला से देश में कोरोना बढ़ा है. जिसको लेकर देश भर के लोगों में आक्रोश है. कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह से मोदी सरकार ने लापरवाही और उदासीनता का परिचय दिया, उसके परिणामस्वरूप देश में मौत का तांडव जारी है.

ये भी पढ़ें: कृषि कानून के खिलाफ अखिल भारतीय खेत मजदूर सभा ने मनाया काला दिवस, PM का फूंका पुतला

किसान हुए लाचार
किसान सभा के जिलाध्यक्ष राजीव कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण किसान दिन-प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे हैं. वहीं सरकार किसानों की मांगों को टालती ही जा रही है. 22 जनवरी के बाद सरकार ने किसानों से चर्चा बंद कर दी है. लेकिन सरकार ने कोई मानवीयता नहीं दिखाई है. वहीं उन्होंने कहा कि बॉर्डर पर जो भी किसान पंहुचे है, उनका कहना है कि हम और संघर्ष तेज करेंगे, लड़ेंगे और जीत कर ही लौटेंगे. उनके इस संघर्ष में पूरे देश के किसान उनके साथ है.

किसानों को कोरोना काल में 10 हजार प्रति माह भत्ता दे सरकार
धरनाा में सीपीआई के जिला सचिव नारायण झा ने कहा कि कोरोना काल में सभी किसानों को सरकार 10 हजार प्रतिमाह सहायता भत्ता भुगतान करें. अभी तक गेहूं सहित सभी किसी भी रवि फसल का पैक्स के माध्यम से खरीदारी नहीं शुरू की गई है. प्रदेश में कहीं-कहीं खरीदारी शुरू भी हुई है तो किसानों का भुगतान नहीं हो पाया है. सरकार अविलंब एमएसपी के आधार पर सभी किसानों से उनका फसल क्रय करें और अविलंब उसका भुगतान करें.

दरभंगा: किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने और किसान-मजदूर विरोधी मोदी सरकार के निरंकुश कुशासन के 7 साल पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 26 मई को राष्ट्रव्यापी ‘काला दिवस’ मनाने का आह्वान किया गया था. इस आह्वान के समर्थन में किसान महासभा और अखिल भारतीय किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए काला दिवस मनाया है.

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मोदी सरकार कृषि कानून थोपने पर आमादा
भाकपा माले के जिला सचिव बैद्यनाथ यादव ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 के कार्यकाल में सबसे पहले किसानों से जमीन छीनने का कानून बनाया था. जिससे इंडस्ट्री को सुविधा हो. इसके लिए उन्होंने अध्यादेश लाया. जमीन छीनने के कानून का सभी ने पुरजोर विरोध किया. आखिरकार उसे कानूनी रूप नहीं दिया जा सका और अब किसानों के भारी विरोध के बावजूद मोदी सरकार तीन काले कृषि कानून थोपने पर आमादा है.

जनता को हर रोज नये संकट में धकेल रही मोदी सरकार
अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष शिवन यादव ने कहा कि मोदी सरकार कृषि कानूनों को रद्द कराने को लेकर चुप्पी साधे हुए है. अब किसान आंदोलन को कोरोना फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है. जबकि तथ्य यह है कि पांच राज्यों के चुनाव प्रचार और कुंभ मेला से देश में कोरोना बढ़ा है. जिसको लेकर देश भर के लोगों में आक्रोश है. कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह से मोदी सरकार ने लापरवाही और उदासीनता का परिचय दिया, उसके परिणामस्वरूप देश में मौत का तांडव जारी है.

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किसान हुए लाचार
किसान सभा के जिलाध्यक्ष राजीव कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण किसान दिन-प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे हैं. वहीं सरकार किसानों की मांगों को टालती ही जा रही है. 22 जनवरी के बाद सरकार ने किसानों से चर्चा बंद कर दी है. लेकिन सरकार ने कोई मानवीयता नहीं दिखाई है. वहीं उन्होंने कहा कि बॉर्डर पर जो भी किसान पंहुचे है, उनका कहना है कि हम और संघर्ष तेज करेंगे, लड़ेंगे और जीत कर ही लौटेंगे. उनके इस संघर्ष में पूरे देश के किसान उनके साथ है.

किसानों को कोरोना काल में 10 हजार प्रति माह भत्ता दे सरकार
धरनाा में सीपीआई के जिला सचिव नारायण झा ने कहा कि कोरोना काल में सभी किसानों को सरकार 10 हजार प्रतिमाह सहायता भत्ता भुगतान करें. अभी तक गेहूं सहित सभी किसी भी रवि फसल का पैक्स के माध्यम से खरीदारी नहीं शुरू की गई है. प्रदेश में कहीं-कहीं खरीदारी शुरू भी हुई है तो किसानों का भुगतान नहीं हो पाया है. सरकार अविलंब एमएसपी के आधार पर सभी किसानों से उनका फसल क्रय करें और अविलंब उसका भुगतान करें.

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