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तीन कृषि कानून की वापसी से संतुष्ट नहीं किसान संगठन, 26 नवंबर को राज्य भर में आंदोलन का ऐलान

अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS ) ने पीएम के कृषि कानून (Withdrawal of all three Agricultural Laws) वापस लेने के फैसले का स्वागत किया है लेकिन अब भी कई मांगों के पूरा न होने के कारण इनके बीच रोष है. ऐसे में 26 नवंबर को राज्य भर में आंदोलन और दिसंबर में हर जिले के समाहरणालय पर धरना प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया है.पढ़ें पूरी खबर..

Withdrawal of all three Agricultural Laws
Withdrawal of all three Agricultural Laws
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Published : Nov 19, 2021, 6:02 PM IST

दरभंगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को तीन विवादित कृषि कानूनों न सिर्फ वापस लेने का ऐलान (New Farm Laws Decision) किया बल्कि आंदोलनरत किसानों से माफी भी मांगी. साथ ही तकरीबन एक साल से आंदोलन कर रहे किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील भी की. किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री की इस घोषणा का स्वागत तो किया है लेकिन वे अपनी कई मांगों को लेकर अब भी आंदोलन जारी रखे हुए हैं.

यह भी पढ़ें- पांच राज्यों के चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को लिया वापस: लालू यादव

अखिल भारतीय किसान सभा (All India Kisan Sabha) ने घोषणा की है कि जब तक किसान आंदोलन में शहीद हुए 675 किसानों के परिजनों को मुआवजा और सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, तब तक वे आंदोलन वापस नहीं लेंगे. अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष रामकुमार झा ने दरभंगा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये ऐलान किया.

AIKS ने की आंदोलन की घोषणा

यह भी पढ़ें- चिराग पासवान की पार्टी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का किया स्वागत, PM मोदी को दी बधाई

दरभंगा के सीपीआई कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष रामकुमार झा ने कहा कि भारत सरकार ने तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, यह खुशी की बात है. लेकिन सरकार के वादे पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें- पांच राज्यों के चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को लिया वापस: लालू यादव

"सरकार जब तक संसद में इन तीनों कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा. अभी किसान संगठनों की कई अन्य मांगें हैं जिन पर प्रधानमंत्री ने कोई आश्वासन नहीं दिया है. किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए 675 किसानों के परिजनों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग पर भी विचार करना होगा. साथ ही वैसे किसान जिन्हें आंदोलन की वजह से गलत मुकदमों में फंसाया गया है उन पर से मुकदमे भी वापस लेने की मांग हमारी ओर से की गई है."- रामकुमार झा, प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान सभा

यह भी पढ़ें- कृषि कानूनों की वापसी को तेजस्वी यादव ने बताया किसानों की जीत, सरकार की हार

साथ ही रामकुमार झा ने कहा कि सरकार ने कृषि कानून वापस लेने की तो बात कही है लेकिन एमएसपी पर खरीद की गारंटी अब तक रहने दी गई है. उन्होंने कहा कि इन मांगों को लेकर वे आगामी 26 नवंबर को राज्य भर में आंदोलन करेंगे. इसके अलावा दिसंबर के पहले सप्ताह में राज्य के हर जिले के समाहरणालय पर धरना प्रदर्शन करेंगे.

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी के फैसले का पक्ष-विपक्ष किसान संगठनों ने किया स्वागत, राहुल बोले- अन्याय पर हुई जीत

वहीं, अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी ने कहा कि दरभंगा में किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है जबकि खाद के व्यापारियों ने गोदामों में खाद का स्टॉक कर रखा है. महंगे दाम पर किसानों से खाद की कालाबाजारी की जाती है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस कालाबाजारी को नहीं रोकती है तो अखिल भारतीय किसान सभा समाहरणालय को घेरने के अलावा ऐसे गोदामों का भी घेराव करेगा, जिनमें कालाबाजारी का खाद स्टॉक कर व्यापारियों ने रखा है.

दरभंगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को तीन विवादित कृषि कानूनों न सिर्फ वापस लेने का ऐलान (New Farm Laws Decision) किया बल्कि आंदोलनरत किसानों से माफी भी मांगी. साथ ही तकरीबन एक साल से आंदोलन कर रहे किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील भी की. किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री की इस घोषणा का स्वागत तो किया है लेकिन वे अपनी कई मांगों को लेकर अब भी आंदोलन जारी रखे हुए हैं.

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अखिल भारतीय किसान सभा (All India Kisan Sabha) ने घोषणा की है कि जब तक किसान आंदोलन में शहीद हुए 675 किसानों के परिजनों को मुआवजा और सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, तब तक वे आंदोलन वापस नहीं लेंगे. अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष रामकुमार झा ने दरभंगा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये ऐलान किया.

AIKS ने की आंदोलन की घोषणा

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दरभंगा के सीपीआई कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष रामकुमार झा ने कहा कि भारत सरकार ने तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, यह खुशी की बात है. लेकिन सरकार के वादे पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.

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"सरकार जब तक संसद में इन तीनों कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा. अभी किसान संगठनों की कई अन्य मांगें हैं जिन पर प्रधानमंत्री ने कोई आश्वासन नहीं दिया है. किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए 675 किसानों के परिजनों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग पर भी विचार करना होगा. साथ ही वैसे किसान जिन्हें आंदोलन की वजह से गलत मुकदमों में फंसाया गया है उन पर से मुकदमे भी वापस लेने की मांग हमारी ओर से की गई है."- रामकुमार झा, प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान सभा

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साथ ही रामकुमार झा ने कहा कि सरकार ने कृषि कानून वापस लेने की तो बात कही है लेकिन एमएसपी पर खरीद की गारंटी अब तक रहने दी गई है. उन्होंने कहा कि इन मांगों को लेकर वे आगामी 26 नवंबर को राज्य भर में आंदोलन करेंगे. इसके अलावा दिसंबर के पहले सप्ताह में राज्य के हर जिले के समाहरणालय पर धरना प्रदर्शन करेंगे.

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वहीं, अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी ने कहा कि दरभंगा में किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है जबकि खाद के व्यापारियों ने गोदामों में खाद का स्टॉक कर रखा है. महंगे दाम पर किसानों से खाद की कालाबाजारी की जाती है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस कालाबाजारी को नहीं रोकती है तो अखिल भारतीय किसान सभा समाहरणालय को घेरने के अलावा ऐसे गोदामों का भी घेराव करेगा, जिनमें कालाबाजारी का खाद स्टॉक कर व्यापारियों ने रखा है.

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