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DMCH में 41 बच्चों की मौत पर अधीक्षक की सफाई- चमकी बुखार से नहीं गई एक भी जान

जून महीने में शिशु रोग विभाग और एनआईसीयू में कुल 553 बच्चे भर्ती हुए थे. इनमें 41 बच्चों की मौत हो गई. सभी बच्चों की मौत अलग-अलग गंभीर बीमारियों को कारण हुई है.

डीएमसीएच
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Published : Jul 5, 2019, 7:44 AM IST

दरभंगा: मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में चमकी बुखार ने सैकड़ों बच्चों की जान ले ली. इसी समय अंतराल जून महीने में डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग और एनआईसीयू में 41 बच्चों की मौत हो गई है. बच्चों की मौत पर सरकार ने अस्पताल अधीक्षक से इसकी वजह पूछी है.

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डीएमसीएच में भर्ती बच्चों के साथ परिजन

इस संदर्भ में विधानसभा में सवाल भी पूछा गया है. मामला विधानसभा में उठने के बाद अस्पताल अधीक्षक ने सफाई दी है. अस्पताल अधीक्षक के मुताबिक मौतों की वजह एईएस नहीं बल्कि अलग-अलग बीमारियों को बताया है. ईटीवी भारत ने मौत के आंकड़ें और अधीक्षक के दावों की पड़ताल के लिए अस्पताल का जायजा लिया.

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डीएमसीएच की जमीनी हकीकत

जानिए क्या कहते हैं अस्पताल अधीक्षक

डीएमसीएच अधीक्षक डॉ. आरआर प्रसाद ने बताया कि जून महीने में शिशु रोग विभाग और एनआईसीयू में कुल 553 बच्चे भर्ती हुए थे. इनमें 41 बच्चों की मौत हो गई. सभी बच्चों की मौत अलग-अलग गंभीर बीमारियों को कारण हुई है. इनमें डायरिया, गंभीर संक्रमण, हार्ट फेल्योर और अज्ञात बीमारियों से पीड़ित थे. चमकी बुखार से किसी भी बच्चे की मौत नहीं हुई है. शिशु रोग विभाग में मृत्य दर 4.47 रही, जबकि एनसीसीयू में मृत्य दर 10.58 रहा. मृत्यु दर देश और बिहार के मुकाबले काफी कम है.

डीएमसीएच पर ईटीवी भारत संवादाता की रिपोर्ट

डीएमसीएच की जमीनी हकीकत

अस्पताल अधीक्षक भले ही कई कारण गिनाएं, लेकिन डीएमसीएच की कुव्यवस्था भी बच्चों की मौत की बड़ी वजह है. अस्पताल में सफाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. मरीजों को जमीन पर लिटा कर इलाज होता है. इसकी वजह से संक्रमण होता है. एनआईसीयू में एसी तो दूर की बात, पंखा भी खराब है. अस्पताल में नवजात शिशु की मौत कुव्यवस्था के कारण होती है. यहां डॉक्टर, नर्स और दवाओं का अभाव है. अगर अस्पताल की व्यवस्था में सुधार लाया जाए तो मौतों का भयावह आंकड़ा अपने आप घट जाएगा.

दरभंगा: मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में चमकी बुखार ने सैकड़ों बच्चों की जान ले ली. इसी समय अंतराल जून महीने में डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग और एनआईसीयू में 41 बच्चों की मौत हो गई है. बच्चों की मौत पर सरकार ने अस्पताल अधीक्षक से इसकी वजह पूछी है.

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डीएमसीएच में भर्ती बच्चों के साथ परिजन

इस संदर्भ में विधानसभा में सवाल भी पूछा गया है. मामला विधानसभा में उठने के बाद अस्पताल अधीक्षक ने सफाई दी है. अस्पताल अधीक्षक के मुताबिक मौतों की वजह एईएस नहीं बल्कि अलग-अलग बीमारियों को बताया है. ईटीवी भारत ने मौत के आंकड़ें और अधीक्षक के दावों की पड़ताल के लिए अस्पताल का जायजा लिया.

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डीएमसीएच की जमीनी हकीकत

जानिए क्या कहते हैं अस्पताल अधीक्षक

डीएमसीएच अधीक्षक डॉ. आरआर प्रसाद ने बताया कि जून महीने में शिशु रोग विभाग और एनआईसीयू में कुल 553 बच्चे भर्ती हुए थे. इनमें 41 बच्चों की मौत हो गई. सभी बच्चों की मौत अलग-अलग गंभीर बीमारियों को कारण हुई है. इनमें डायरिया, गंभीर संक्रमण, हार्ट फेल्योर और अज्ञात बीमारियों से पीड़ित थे. चमकी बुखार से किसी भी बच्चे की मौत नहीं हुई है. शिशु रोग विभाग में मृत्य दर 4.47 रही, जबकि एनसीसीयू में मृत्य दर 10.58 रहा. मृत्यु दर देश और बिहार के मुकाबले काफी कम है.

डीएमसीएच पर ईटीवी भारत संवादाता की रिपोर्ट

डीएमसीएच की जमीनी हकीकत

अस्पताल अधीक्षक भले ही कई कारण गिनाएं, लेकिन डीएमसीएच की कुव्यवस्था भी बच्चों की मौत की बड़ी वजह है. अस्पताल में सफाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. मरीजों को जमीन पर लिटा कर इलाज होता है. इसकी वजह से संक्रमण होता है. एनआईसीयू में एसी तो दूर की बात, पंखा भी खराब है. अस्पताल में नवजात शिशु की मौत कुव्यवस्था के कारण होती है. यहां डॉक्टर, नर्स और दवाओं का अभाव है. अगर अस्पताल की व्यवस्था में सुधार लाया जाए तो मौतों का भयावह आंकड़ा अपने आप घट जाएगा.

Intro:दरभंगा। मुज़फ़्फ़रपुर के एसकेएमसीएच में चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत के दौरान ही डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग और एनआईसीयू में जून महीने में 41 बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद सरकार ने अस्पताल अधीक्षक से मौतों की वजह पूछी है। इसको लेकर विधानसभा में सवाल भी पूछा गया है। इसके बाद अस्पताल अधीक्षक ने मामले में सफाई दी है। उन्होंने मौतों की वजह एईएस को नहीं माना है बल्कि अलग-अलग बीमारियों से मौत की बात कही है। ई टीवी भारत ने मौत के आंकड़े और अधीक्षक के दावों की पड़ताल के लिये अस्पताल का जायजा लिया।


Body:चमकी बुखार नहीं, दूसरी बीमारियों से हुई मौतें : अधीक्षक

डीएमसीएच अधीक्षक डॉ. आरआर प्रसाद ने मामले में सफाई देते हुए कहा कि जून महीने में शिशु रोग विभाग और एनआईसीयू को मिलाकर कुल 553 बच्चे भर्ती हुए थे। इनमें से उन्हीं 41 बच्चों की मौत हुई जो अलग-अलग गंभीर बीमारियों से पीड़ित होकर अस्पताल आये थे। इनमें डायरिया, गंभीर संक्रमण, हार्ट फेल्योर और अज्ञात बीमारियां शामिल हैं। चमकी बुखार से कोई भी बच्चा यहां नहीं मरा। उन्होंने कहा कि शिशु रोग विभाग में यह मृत्य दर 4.47 रही जबकि एनसीसीयू में मृत्य दर 10.58 रहा। यह देश और बिहार के मुकाबले काफी कम है।


Conclusion:अस्पताल में सुविधा रहती तो बच सकते थे कई बच्चे

अस्पताल अधीक्षक भले ही कई कारण गिनाएं, लेकिन डीएमसीएच की कुव्यवस्था भी बच्चों की मौत की बड़ी वजह है। अस्पताल में सफाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। मरीज़ों को ज़मीन पर लिटा कर उनका इलाज होता है। इसकी वजह से संक्रमण होता है। एनआईसीयू में एसी क्या पंखा तक खराब पड़ा है। नवजात शिशु यहां कुव्यवस्था की वजह से ज़्यादा मरते हैं। डॉक्टर, नर्स और दवाओं तक की कमी है। अगर अस्पताल की व्यवस्था सुधर जाये तो मौतों का ये भयावह आंकड़ा अपने आप घट जाएगा।

बाइट 1- डॉ. आरआर प्रसाद, अधीक्षक, डीएमसीएच

walkthrough के साथ
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विजय कुमार श्रीवास्तव
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दरभंगा
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