दरभंगा: कोरोना महामारी के कारण लागू हुए लॉकडाउन के बाद जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. कर्नाटक के शिमोगा जिले के 32 फेरीवाले भी लॉकडाउन के कारण दरभंगा जिले में फंस गए हैं. इन सभी को लोगों को फिलहाल शहर के नाथ धर्मशाला में शरण मिला है. जहां जिला प्रशासन और रोटी बैंक एनजीओ की ओर से इन्हें भोजन दिया जा रहा है. फेरीवाले विक्रेताओं ने बताया कि वे हर साल बिहार आते थे, लेकिन इस साल किस्मत कुछ अच्छी नहीं रही. विक्रय के लिए लाया सारा माल खराब हो चुका है. लोगों की मेहरबानी और जिला प्रशासन के रहम के कारण वे जिंदा हैं.
जिला प्रशास ने लगाई घर भेजने की गुहार
बता दें कि कर्नाटक से 2 हजार किमी दूर 32 फेरी वाले जिनमें कई महिलाएं भी हैं, हर साल बिहार के अलग-अलग जिले में अपने सामान को बेचते हैं. संतोषजनक कमाई कर वे फिर से वापस अपने प्रदेश चले जाते थे. लॉकडाउन की शिकार महिला मजदूर विक्रेता ने जिला प्रशासन से गुहार लगाते हुए वापस कर्नाटक भेजने की गुहार लगाई. राशि नामक महिला ने बताया कि उनके मां-बाप और बाल-बच्चे सभी कर्नाटक में हैं. वे लोग यहां पर काफी डरे हुए हैं. सरकार की तरफ से उन्हें सुबह-शाम भोजन जरूर दिया जा रहा है. लेकिन घर के लोगों की चिंता में उन्हें खाना अच्छा नहीं लगता. उन्होंने कहा कि वे लोग नजरबट्टू बेचती हैं. अभी धंधा ठीक से शुरू भी नहीं हुआ था कि वे लॉकडाउन में फंस गए. लोगों ने सरकार और जिला प्रशासन से वापस घर भेजने की गुहार लगाई.
'बेसहारों को दिया जा रहा भोजन'
इस मामले पर रोटी बैंक के सदस्य शुभम जायसवाल ने कहा कि जिले में बड़ी संख्या में अन्य प्रदेश के लोग फंसे हुए हैं. वे सरकार की ओर से चलाए जा रहे कम्युनिटी किचन और कई अन्य सक्षम लोगों से चंदा जमाकर लॉकडाउन में फंसे लोगों को भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. इसी के तहत कर्नाटक के इन सभी मजदूरों की भी मदद की जा रही है. उन्होंने बताया कि वे लोग बिहार के बाहर के लोगों की हरसंभव मदद कर रहे हैं. वे लोग उन्हें भोजन के अलावे छोटे-मोटे जरूरत के सामान भी उपलब्ध करवा रहे है. इस अभियान में उनकी टीम लगातार योगदान दे रही है.