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दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह की 161वीं जयंती मनाई गई, 1101 दीप जला कर दी गई श्रद्धांजलि - रामेश्वर सिंह की 161वीं जयंती

दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह को बिहार खास तौर पर मिथिलांचल के औद्योगिकरण के लिए याद किया जाता है. उन्होंने पूरे मिथिलांचल में चीनी मिल और कागज मिल सहित कई कारखाने लगाए थे. उन्ही के प्रयास से उत्तर बिहार में रेल लाइन बिछाई गई थी. बाद में इसी रेल लाइन को भारत सरकार ने अधिग्रहित किया.

दरभंगा
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Published : Jan 17, 2021, 6:12 AM IST

दरभंगाः दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह की 161वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस अवसर पर महाराजा रामेश्वर सिंह की प्रतिमा स्थल दरभंगा राज की चौरंगी को फूलों से सजाया गया था. चौरंगी पर 1101 दीप जला कर महाराजा को याद किया गया. बुद्धिजीवियों ने महाराजा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस समारोह में महाराजा कामेश्वर सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्यों के अलावा भारी संख्या में शहर के लोग भी शामिल हुए.

'दरभंगा महाराजा ने दरभंगा को दिलाई पहचान'
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. निर्भय शंकर भारद्वाज ने कहा कि दरभंगा महाराजा से ही दरभंगा और यहां के लोगों को देश और दुनिया में पहचान मिली. उन्होंने कहा कि महाराजा रामेश्वर सिंह ने न सिर्फ दरभंगा बल्कि बिहार और देश के विकास के लिए कई बड़े काम किए. जयंती समारोह के माध्यम से वे नई पीढ़ी को दरभंगा महाराजा रामेश्वर सिंह के योगदान से परिचित कराना चाहते हैं. महाराजा रामेश्वर सिंह के नाम पर कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ेंः पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर सीमांचल के उद्योगपतियों की नजर, ये है वजह

लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए याद किए जाते हैं महाराज
बता दें कि दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह को बिहार खास तौर पर मिथिलांचल के औद्योगिकरण के लिए याद किया जाता है. उन्होंने पूरे मिथिलांचल में चीनी मिल और कागज मिल सहित कई कारखाने लगाए थे. उन्ही के प्रयास से उत्तर बिहार में रेल लाइन बिछाई गई थी. बाद में इसी रेल लाइन को भारत सरकार ने अधिग्रहित किया. जिसके अधिकांश भाग पर आज का पूर्व मध्य रेलवे स्थित है. दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह को मिथिलांचल के लोगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी याद किया जाता है.

दरभंगाः दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह की 161वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस अवसर पर महाराजा रामेश्वर सिंह की प्रतिमा स्थल दरभंगा राज की चौरंगी को फूलों से सजाया गया था. चौरंगी पर 1101 दीप जला कर महाराजा को याद किया गया. बुद्धिजीवियों ने महाराजा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस समारोह में महाराजा कामेश्वर सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्यों के अलावा भारी संख्या में शहर के लोग भी शामिल हुए.

'दरभंगा महाराजा ने दरभंगा को दिलाई पहचान'
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. निर्भय शंकर भारद्वाज ने कहा कि दरभंगा महाराजा से ही दरभंगा और यहां के लोगों को देश और दुनिया में पहचान मिली. उन्होंने कहा कि महाराजा रामेश्वर सिंह ने न सिर्फ दरभंगा बल्कि बिहार और देश के विकास के लिए कई बड़े काम किए. जयंती समारोह के माध्यम से वे नई पीढ़ी को दरभंगा महाराजा रामेश्वर सिंह के योगदान से परिचित कराना चाहते हैं. महाराजा रामेश्वर सिंह के नाम पर कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा.

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लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए याद किए जाते हैं महाराज
बता दें कि दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह को बिहार खास तौर पर मिथिलांचल के औद्योगिकरण के लिए याद किया जाता है. उन्होंने पूरे मिथिलांचल में चीनी मिल और कागज मिल सहित कई कारखाने लगाए थे. उन्ही के प्रयास से उत्तर बिहार में रेल लाइन बिछाई गई थी. बाद में इसी रेल लाइन को भारत सरकार ने अधिग्रहित किया. जिसके अधिकांश भाग पर आज का पूर्व मध्य रेलवे स्थित है. दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह को मिथिलांचल के लोगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी याद किया जाता है.

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