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पटना बना देश का दूसरा शहर, जहां रोबोटिक तकनीक से होगा घुटनों का ट्रांसप्लांट - science

रोबोटिक आर्म असिस्टेड सर्जरी जोड़ों के प्रतिस्थापन का एक नया तरीका है. जो मरीज के अनुसार इन प्लांट एलाइनमेंट और पोजिशनिंग के उन्नत स्तर की संभावनाओं को पेश करता है.

रोबोटिक तकनीक
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Published : May 12, 2019, 10:18 PM IST

पटनाः आधुनिकता के इस दौर में मेडिकल साइंस लगातार नई-नई तकनीक इजाद कर रही है. इस ओर राजधानी पटना भी आगे बढ़ रही है. यहां अनुप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन ने स्ट्राइकर्स मैको रोबोटिक आर्म यानि आंशिक घुटना ट्रांसप्लांट प्रक्रिया को लेकर आज राजधानी पटना में कार्यशाला का आयोजन किया. जहां रोबोटिक तकनीक से घुटना प्रत्यारोपण के बारे में बताया गया और यह सुविधा जल्द ही पटना में शुरू की जा रही है.

पटना में जोड़ों के मरीजों के लिए यह एक राहत की खबर है. बताया जाता है कि रोबोटिक आर्म असिस्टेड सर्जरी जोड़ों के प्रतिस्थापन का एक नया तरीका है. जो मरीज के अनुसार इन प्लांट एलाइनमेंट और पोजिशनिंग के उन्नत स्तर की संभावनाओं को पेश करता है. यह तकनीक सर्जन को रोगी के आधार पर 3D प्लान बनाने का अवसर देता है और उन्हें नियंत्रित रोबोटिक आर्म प्रक्रिया से जोड़ों का प्रत्यारोपण करता है. उतरी भारत में अभी तक इस तरह की सुविधा कहीं और नहीं मिली है.

पटना में कार्यशाला

इस तरह काम करेगी रोबोटिक तकनीक
डॉक्टर आरएन सिंह ने कहा कि वर्चुअल 3D मॉडल का इस्तेमाल करते हुए, सर्जन को हर मरीज के अनुसार ऑपरेशन के पहले विशेष सर्जिकल योजना बनाने का मौका दे रही है. ताकि ऑपरेशन रूम में जाने से पहले सर्जन के पास प्रतिस्थापन की एक स्पष्ट योजना हो. सर्जरी के दौरान सर्जन योजना को निष्पादित कर सकेगा और आवश्यक सामंजस्य कर सकता है. इस पद्धती की इन तीन विशेषताओं के संजोग में बेहतर परिणाम और मरीज के अत्याधुनिक संतुष्टि होती है. डॉ आर एन सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में इस तकनीक का इस्तेमाल कर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

पटनाः आधुनिकता के इस दौर में मेडिकल साइंस लगातार नई-नई तकनीक इजाद कर रही है. इस ओर राजधानी पटना भी आगे बढ़ रही है. यहां अनुप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन ने स्ट्राइकर्स मैको रोबोटिक आर्म यानि आंशिक घुटना ट्रांसप्लांट प्रक्रिया को लेकर आज राजधानी पटना में कार्यशाला का आयोजन किया. जहां रोबोटिक तकनीक से घुटना प्रत्यारोपण के बारे में बताया गया और यह सुविधा जल्द ही पटना में शुरू की जा रही है.

पटना में जोड़ों के मरीजों के लिए यह एक राहत की खबर है. बताया जाता है कि रोबोटिक आर्म असिस्टेड सर्जरी जोड़ों के प्रतिस्थापन का एक नया तरीका है. जो मरीज के अनुसार इन प्लांट एलाइनमेंट और पोजिशनिंग के उन्नत स्तर की संभावनाओं को पेश करता है. यह तकनीक सर्जन को रोगी के आधार पर 3D प्लान बनाने का अवसर देता है और उन्हें नियंत्रित रोबोटिक आर्म प्रक्रिया से जोड़ों का प्रत्यारोपण करता है. उतरी भारत में अभी तक इस तरह की सुविधा कहीं और नहीं मिली है.

पटना में कार्यशाला

इस तरह काम करेगी रोबोटिक तकनीक
डॉक्टर आरएन सिंह ने कहा कि वर्चुअल 3D मॉडल का इस्तेमाल करते हुए, सर्जन को हर मरीज के अनुसार ऑपरेशन के पहले विशेष सर्जिकल योजना बनाने का मौका दे रही है. ताकि ऑपरेशन रूम में जाने से पहले सर्जन के पास प्रतिस्थापन की एक स्पष्ट योजना हो. सर्जरी के दौरान सर्जन योजना को निष्पादित कर सकेगा और आवश्यक सामंजस्य कर सकता है. इस पद्धती की इन तीन विशेषताओं के संजोग में बेहतर परिणाम और मरीज के अत्याधुनिक संतुष्टि होती है. डॉ आर एन सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में इस तकनीक का इस्तेमाल कर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

Intro:रोबोट करेगा घुटना प्रत्यारोपण,
मैको पार्शियल नी एप्लिकेशन चिकित्सा पद्धति से घुटना के विभिन्न बिमारियों का इलाज होगा,

आधुनिकता के इस दौर में मेडिकल साइंस लगातार नए-नए तकनीक का इजाद कर रहा है, वहीं अब घुटना प्रत्यारोपण में रोबोट के माध्यम से इलाज संभव हो सकेगा, अब रोबोट के माध्यम से घुटना प्रत्यारोपण किया जाएगा, यह सुविधा जल्द ही पटना में मिलने जा रहा है बताया जाता है कि पूरे नॉर्थ ईस्ट में यह सुविधा अभी तक कहीं नहीं है


Body:अनुप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन ने स्ट्राइकर्स मैको रोबोटिक आर्म असिस्टेड यानी आंशिक घुटना एवं संपूर्ण कूल्हा का प्रतिस्थापन प्रक्रिया को लेकर आज राजधानी पटना में कार्यशाला का आयोजन किया जहाँ रोबोट के नई तकनीक और इससे ईलाज की पूर्ण जानकारी दि गई।
बताया जाता है कि रोबोटिक आर्म असिस्टेड सर्जरी जोड़ों के प्रतिस्थापन का एक नया तरीका है, जो मरीज के अनुसार इन प्लांट एलाइनमेंट और पोजिशनिंग के उन्नत स्तर की संभावनाओं को पेश करता है, यह तकनीक सर्जनों को रोगी आधारित 3D प्लान बनाने का अवसर देता है, और उन्हें नियंत्रित रोबोटिक आर्म प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए जोड़ों के प्रतिस्थापन की सर्जरी का मौका देता है जो कि सर्जन को उच्च स्तर की सही प्रक्रिया के निष्पादन में मदद करता है।

"मैको" जोड़ों के प्रतिस्थापन की सर्जरी की प्रक्रिया में बदलाव देने जा रहा है, हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने कहा कि वर्चुअल 3D मॉडल का इस्तेमाल करते हुए, मैंको पद्धति सर्जन को हर मरीज के अनुसार ऑपरेशन के पूर्व विशेष सर्जिकल योजना बनाने का मौका दे रही है, ताकि ऑपरेशन रूम में प्रवेश करने के पूर्व सर्जन के पास प्रतिस्थापन की एक स्पष्ट योजना होगी, सर्जरी के दौरान सर्जन योजना को निष्पादित कर सकेगा और आवश्यक सामंजस्य कर सकता है, जबकि रोबोटिक आर्म सर्जन योजना उच्च अस्तर की संस्था और संभावनाओं को सुनिश्चित करता है इस पद्धती की इन तीन विशेषताओं के संजोग में बेहतर परिणाम और मरीज के अत्याधुनिक संतुष्टि होती है


Conclusion: ओस्टियोआर्थराइटिस जो कि अभी तक घुटनों के सभी तीन हिस्सो तक नहीं पहुंचा है, कि कारण जोड़ों के विकृति से हो रहे दर्द से मुक्ति के लिए मैंको पार्शियली नी एप्लीकेशन जैसे चिकित्सा पद्धति को तैयार किया गया है, निजी ऑपरेशन से पूर्व प्लान के अनुसार सर्जन हड्डियों की प्रस्तुति के समय रोबोटिक आर्म को संचालित करते हैं, जिससे कि वह पूर्व निर्धारित सर्जिकल प्लान को निष्पादित कर सकते हैं, और इन प्लांट को सही जगह पर बिठाकर क्षतिग्रस्त एवं आंशिक चिकित्सा कर सर्जन घुटने के रोग रथ हिस्से का रिफ्रेश कर सकता है, बताया जाता है कि अभी तक तकरीबन 500 ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी किया गया है और विश्व में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने का संकल्प किया गया है, डॉ आर एन सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में इस तकनीक का इस्तेमाल कर हम गौरवान्वित महसूस हो रहे हैं और समाज में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना हमारी प्रतिबद्धता है



बाईट-डॉ आर.एन सिह,
Anup Institute of orthopaedics and rehabilitation
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