पटना: रमजान के पाक महीने में दावत-ए-इफ्तार ने बिहार के सियासी पारे को सातवें आसमान पर ला दिया है. सूबे की राजनीति में एक बार फिर ट्विस्ट नजर आ रहा है. सीएम नीतीश कुमार ने सहयोगी होने के बावजूद बीजेपी की इफ्तार पार्टी को नजरअंदाज किया और विरोधी जीतनराम मांझी की दावत में पहुंच गए.
नए सियासी समीकरणों के बन रहे आसार
बीते दिनों बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी की ओर से इफ्तार का आयोजन किया गया था. लेकिन बीजेपी और जेडीयू ने एक-दूसरे की दावत से दूरी बनाई. वहीं आरजेडी की इफ्तार पार्टी में महागठबंधन के तमाम घटक दल पहुंचे थे. हालांकि वहां तेजस्वी की गैरमौजूदगी ने सवाल जरूर खड़े किए.
सत्ता के गलियारे में बड़े उलटफेर के संकेत
2019 का दावत-ए-इफ्तार कई मायनों में खास है. राजनीति के लिहाज से सत्ता के गलियारे में बड़े उलटफेर के संकेत मिलने लगे हैं. एक ओर बीजेपी और जेडीयू के बीच जहां दूरियां बढ़ती नजर आईं, वहीं महागठबंधन के सहयोगी जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हम और नीतीश कुमार के बीच दूरियां मिटती देखी गई.
24 घंटे में दो बार मिले मांझी-नीतीश
पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जेडीयू की इफ्तार में शिरकत की और ठीक दूसरे दिन नीतीश कुमार भी जीतन राम मांझी के आवास पर आयोजित दावत में शरीक हुए. 24 घंटे के अंदर दोनों नेताओं के बीच दो बार मुलाकात हुई. लगे हाथों राबड़ी देवी ने भी नीतीश कुमार को महागठबंधन में आने का न्योता दे डाला.
गिरिराज सिंह ने किया ट्वीट
वहीं मांझी और नीतीश की इस मुलाकात से बीजेपी में सरगर्मी बढ़ गई. पार्टी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर नीतीश कुमार पर हमला बोल दिया. गिरिराज के ट्वीट के बाद विवाद गहरा गया और एक के बाद एक जेडीयू नेताओं ने गिरिराज सिंह पर हमला बोलना शुरू कर दिया.
शुरू हुई बयानबाजियां
बीजेपी नेता भले ही जेडीयू नेताओं पर तल्ख टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, लेकिन पार्टी गिरिराज सिंह के स्टैंड के साथ खड़ी नजर आ रही है. बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा है कि गिरिराज सिंह ने जो भी कहा है, सही कहा है.