ETV Bharat / state

Buxar News: 14 साल बाद भी 38 हजार घरों में नहीं पहुंचा शुद्ध गंगाजल, 2009 में ट्रीटमेंट प्लांट का हुआ था शिलान्यास - ईटीवी भारत न्यूज

बक्सर में लोगों को आर्सेनिक युक्त पानी मजबूरी बन गई है. यहां शिलान्यास के 14 साल बाद भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट चालू नहीं हो पाया है. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरा नहीं (Water treatment plant work not completed in Buxar) हो पाया है. इस योजना के तहत गंगा के पानी को ट्रीट कर 38 हजार घरों में आपूर्ति की जानी है. अभी भी यह योजना अटकी हुई है. इस कारण लोग प्रदूषित पानी पीने से बीमार हो रहे हैं. इस इलाके में आर्सेनिक के प्रभाव के कारण कई तरह की बीमारियां लोगों को रही है. वहीं एजेंसी दावा कर रही है कि अगले माह वाटर ट्रीटमेंट प्लांट चालू कर दी जाएगी. पढ़ें पूरी खबर..

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Apr 19, 2023, 6:49 PM IST

बक्सर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरा नहीं

बक्सर: बिहार के बक्सर में 14 साल बाद भी 38 हजार घरों के नल से शुद्ध गंगाजल नहीं निकला. 20 पंचायत के 51 गांव के 218 वार्ड में गंगा दियारा के लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को लोग मजबूर (Compulsion to drink arsenic rich water in Buxar) हैं. 278 करोड़ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर खर्च हो चुका है. अधिकारी इसी साल के मई महीने में शुद्ध पेय जल पिलाने का दावा कर रहे है. बिहार सरकार के तत्कालीन पीएचडी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने 110 करोड़ की इस योजना का 2009 में शिलान्यास किया था.

ये भी पढ़ेंः बक्सर: 11 साल से ठप ग्रामीण जल आपूर्ति योजना, आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर लोग

शिलान्यास के 14 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया ट्रीटमेंट प्लांटः केंद्र सरकार की बहुआयामी योजना के तहत 168 करोड़ की लागत से जिले के केशवपुर में शुरू होने वाला वाटर ट्रीटमेंट प्लांट शिलान्यास के 14 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया. इस कारण सिमरी और बक्सर प्रखण्ड के 218 वार्ड के लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं. वर्ष 2009 में बिहार सरकार के तत्कालीन पीएचडी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने इस योजना की शुरुआत की थी. इसे एक साल में पूरा होना था, लेकिन 14 साल बाद भी दियारा के लोगों के लिए शुद्ध पेयजल का सपना साकार नहीं हुआ. एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को इसी साल मई में चालू कर देने का लोगों को सपना दिखाया जा रहा है.

पैसा लेकर भाग गए ठेकेदारः 14 साल तक 12 जलमिनारों के लिए जमीन खोजती रही सरकार: केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत वर्ष 2009 में बहुआयामी जलापूर्ति योजना को केशवपुर में लगाने की स्वीकृति मिली थी. इसका शिलान्यास बिहार सरकार के तत्कालीन पीएचडी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने की थी. इस योजना की कुल लागत 110 करोड़ थी. इसमें गंगा के जल को ट्रीटमेंट कर कुल 12 जोन में, सिमरी और बक्सर प्रखण्ड के 51 गांव के 218 वार्ड के प्रत्येक घर में सप्लाई करनी थी, लेकिन बिना काम कराए ही अधिकारियों से मिलीभगत करके ठेकेदार 110 करोड़ लेकर फरार हो गए.

एजेंसी को ब्लैकलिस्टेड कर फिर निकाला टेंडरः 11 साल बाद बर्ष 2020 में उस ठेकेदार को ब्लैकलिस्टेड कर पुनः 168 करोड़ का टेंडर निकाला गया और इसी साल के मई महीने तक प्रत्येक घर के नल से शुद्ध गंगाजल दियारा के लोगों को पिलाने का दावा किया जा रहा है. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के प्रोजेक्ट मैनेजर हर्षवर्धन ने ईटीवी भारत को बताया कि बक्सर और सिमरी प्रखण्ड के 20 पंचायत के कुल 218 वार्ड के 38 हजार घरों के नल से मई महीने में शुद्ध गंगाजल निकलेगा. लोगों को आर्सेनिक युक्त जल से छुटकारा मिल जाएगा. यह योजना इस इलाके के लोगों के लिए वरदान साबित होगी. 12 जलमिनार बनकर तैयार है.

"बक्सर और सिमरी प्रखण्ड के 20 पंचायत के कुल 218 वार्ड के 38 हजार घरों के नल से मई महीने में शुद्ध गंगाजल निकलेगा. लोगों को आर्सेनिक युक्त जल से छुटकारा मिल जाएगा. यह योजना इस इलाके के लोगों के लिए वरदान साबित होगी. 12 जलमिनार बनकर तैयार है" - हर्षवर्धन, प्रोजेक्ट मैनेजर

हर चुनाव में बनता है मुद्दाः2010 के बिहार विधानसभा चुनाव से लेकर 2019 के लोकसभा और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान केशवपुर का अर्धनिर्मित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट सुर्खियों में था. पक्ष विपक्ष के नेताओं ने लोगों को झूठे आश्वासन देकर वोट भी लिया. लेकिन 14 साल में एक बार भी किसी नेता या मंत्री ने इस प्लांट का निरीक्षण नहीं किया. आलम यह है कि राज्य सरकार के हर घर नल का जल भी इस इलाके के लोगों के घरों तक नहीं पहुंच पाया है. एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से लोगों के घरों तक शुद्ध गंगा जल पहुंचाने का दावा किया जा रहा है. स्थानीय दिनेश राय ने बताया कि जिस रफ्तार से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम चल रहा है. उसे देखकर यह जरूर भरोसा हो रहा है कि इस साल अधिकारी हम लोगों के घरों तक शुद्ध पानी पहुंचा देंगे. ऐसे तो यह दावा 2009 से ही किया जा रहा है, लेकिन इस साल जमीन पर काम दिखाई दे रहा है.

"जिस रफ्तार से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम चल रहा है. उसे देखकर यह जरूर भरोसा हो रहा है कि इस साल अधिकारी हम लोगों के घरों तक शुद्ध पानी पहुंचा देंगे. ऐसे तो यह दावा 2009 से ही किया जा रहा है, लेकिन इस साल जमीन पर काम दिखाई दे रहा है" -दिनेश राय, स्थानीय

बक्सर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरा नहीं

बक्सर: बिहार के बक्सर में 14 साल बाद भी 38 हजार घरों के नल से शुद्ध गंगाजल नहीं निकला. 20 पंचायत के 51 गांव के 218 वार्ड में गंगा दियारा के लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को लोग मजबूर (Compulsion to drink arsenic rich water in Buxar) हैं. 278 करोड़ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर खर्च हो चुका है. अधिकारी इसी साल के मई महीने में शुद्ध पेय जल पिलाने का दावा कर रहे है. बिहार सरकार के तत्कालीन पीएचडी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने 110 करोड़ की इस योजना का 2009 में शिलान्यास किया था.

ये भी पढ़ेंः बक्सर: 11 साल से ठप ग्रामीण जल आपूर्ति योजना, आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर लोग

शिलान्यास के 14 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया ट्रीटमेंट प्लांटः केंद्र सरकार की बहुआयामी योजना के तहत 168 करोड़ की लागत से जिले के केशवपुर में शुरू होने वाला वाटर ट्रीटमेंट प्लांट शिलान्यास के 14 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया. इस कारण सिमरी और बक्सर प्रखण्ड के 218 वार्ड के लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं. वर्ष 2009 में बिहार सरकार के तत्कालीन पीएचडी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने इस योजना की शुरुआत की थी. इसे एक साल में पूरा होना था, लेकिन 14 साल बाद भी दियारा के लोगों के लिए शुद्ध पेयजल का सपना साकार नहीं हुआ. एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को इसी साल मई में चालू कर देने का लोगों को सपना दिखाया जा रहा है.

पैसा लेकर भाग गए ठेकेदारः 14 साल तक 12 जलमिनारों के लिए जमीन खोजती रही सरकार: केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत वर्ष 2009 में बहुआयामी जलापूर्ति योजना को केशवपुर में लगाने की स्वीकृति मिली थी. इसका शिलान्यास बिहार सरकार के तत्कालीन पीएचडी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने की थी. इस योजना की कुल लागत 110 करोड़ थी. इसमें गंगा के जल को ट्रीटमेंट कर कुल 12 जोन में, सिमरी और बक्सर प्रखण्ड के 51 गांव के 218 वार्ड के प्रत्येक घर में सप्लाई करनी थी, लेकिन बिना काम कराए ही अधिकारियों से मिलीभगत करके ठेकेदार 110 करोड़ लेकर फरार हो गए.

एजेंसी को ब्लैकलिस्टेड कर फिर निकाला टेंडरः 11 साल बाद बर्ष 2020 में उस ठेकेदार को ब्लैकलिस्टेड कर पुनः 168 करोड़ का टेंडर निकाला गया और इसी साल के मई महीने तक प्रत्येक घर के नल से शुद्ध गंगाजल दियारा के लोगों को पिलाने का दावा किया जा रहा है. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के प्रोजेक्ट मैनेजर हर्षवर्धन ने ईटीवी भारत को बताया कि बक्सर और सिमरी प्रखण्ड के 20 पंचायत के कुल 218 वार्ड के 38 हजार घरों के नल से मई महीने में शुद्ध गंगाजल निकलेगा. लोगों को आर्सेनिक युक्त जल से छुटकारा मिल जाएगा. यह योजना इस इलाके के लोगों के लिए वरदान साबित होगी. 12 जलमिनार बनकर तैयार है.

"बक्सर और सिमरी प्रखण्ड के 20 पंचायत के कुल 218 वार्ड के 38 हजार घरों के नल से मई महीने में शुद्ध गंगाजल निकलेगा. लोगों को आर्सेनिक युक्त जल से छुटकारा मिल जाएगा. यह योजना इस इलाके के लोगों के लिए वरदान साबित होगी. 12 जलमिनार बनकर तैयार है" - हर्षवर्धन, प्रोजेक्ट मैनेजर

हर चुनाव में बनता है मुद्दाः2010 के बिहार विधानसभा चुनाव से लेकर 2019 के लोकसभा और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान केशवपुर का अर्धनिर्मित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट सुर्खियों में था. पक्ष विपक्ष के नेताओं ने लोगों को झूठे आश्वासन देकर वोट भी लिया. लेकिन 14 साल में एक बार भी किसी नेता या मंत्री ने इस प्लांट का निरीक्षण नहीं किया. आलम यह है कि राज्य सरकार के हर घर नल का जल भी इस इलाके के लोगों के घरों तक नहीं पहुंच पाया है. एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से लोगों के घरों तक शुद्ध गंगा जल पहुंचाने का दावा किया जा रहा है. स्थानीय दिनेश राय ने बताया कि जिस रफ्तार से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम चल रहा है. उसे देखकर यह जरूर भरोसा हो रहा है कि इस साल अधिकारी हम लोगों के घरों तक शुद्ध पानी पहुंचा देंगे. ऐसे तो यह दावा 2009 से ही किया जा रहा है, लेकिन इस साल जमीन पर काम दिखाई दे रहा है.

"जिस रफ्तार से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम चल रहा है. उसे देखकर यह जरूर भरोसा हो रहा है कि इस साल अधिकारी हम लोगों के घरों तक शुद्ध पानी पहुंचा देंगे. ऐसे तो यह दावा 2009 से ही किया जा रहा है, लेकिन इस साल जमीन पर काम दिखाई दे रहा है" -दिनेश राय, स्थानीय

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.