बक्सरः लंबे इंतजार के बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा शुरू हो गई है. अब गर्भवती महिलाओं को जांच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. ये मशीन 2018 में ही सदर अस्पताल में आ गई थी, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण इसे चालू नहीं किया जा सका था.
'चुनावी मौसम में याद आया बक्सर'
अल्ट्रासाउंड की सुविधा शुरू होने के बाद अपने रिश्तेदार का इलाज कराने पहुंचे कांग्रेस के नेता गोपाल त्रिवेदी ने कहा कि जिस बक्सर ने भारत सरकार में दो-दो बार स्वास्थ्य मंत्री दिया. उस बक्सर में आज भी मरीज खाट पर लादकर अस्पताल में लाए जाते हैं, यह तो दुर्भाग्य है. जहां अस्पताल में सर्दी खांसी की भी दवा उपलब्ध नहीं है. वहां अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिलने लगे तो यह बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि कहीं ये अल्ट्रासाउंड मशीन 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद बंद ना हो जाए यह देखना होगा.
दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था कई वर्षों से वेंटिलेटर पर चल रही है. नए सिविल सर्जन के पदभार ग्रहण करने के बाद व्यवस्थाओं को परिवर्तन करने की कोशिश जरूर हो रही है. लेकिन सदर अस्पताल में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों की गुटबंदी के आगे सब कुछ फेल दिखाई दे रहा है. जिला का स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए जिलाधिकारी अमन समीर खुद सदर अस्पताल में पहुंचकर, लगभग 30 मिनट तक पूरी स्थिति से रूबरू हुए और व्यवस्था को परिवर्तित करने के लिए सुझाव मांगे. जिसका रोड मैप तैयार किया जा रहा है.
कितने मरीज कराते हैं रजिस्ट्रेशन
जिला के इस सदर अस्पताल में रोजाना कम से कम 350 मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं. लेकिन हालात ऐसा हैं कि सदर अस्पताल में मौजूद दलाल, उन्हें निजी नर्सिंग होम में लेकर चले जाते हैं. शिकायत मिलने के बाद कई बार अधिकारियों ने छापेमारी कर आशा कर्मी और ममता को रंगे हाथ पकड़कर करवाई की. उसके बाद भी हल्लात वैसा के वैसा ही हैं.
सभी डॉक्टर चलाते हैं निजी नर्सिंग होम
जिला के तमाम सरकारी डाक्टर अपना निजी नर्सिंग होम चलाते हैं. अस्पताल के ड्यूटी आवर में ,अटेंडेंस बनाकर अपने निजी नर्सिंग पर चले जाते हैं. अस्पताल में सिविल सर्जन को छोड़कर, सफाई कर्मी से लेकर डॉक्टर तक, अपनी ड्यूटी का दिन और समय वह खुद ही तय करते हैं. उनके अनुसार ही ड्यूटी रोटेट होती है. अगर किसी अधिकारी के जरिए जब फटकार लगाई जाती है तो वह नौकरी छोड़ने की धमकी देकर उस पर ही रौब झाड़ते हैं. इटीवी भारत के जरिए अस्पताल की बदहाल व्यवस्था की खबर चलाने के बाद कई स्वास्थ्यकर्मी या तो नौकरी छोड़कर चले गए, या उनपर करवाई हो गई.
क्या कहते हैं डीएस
वहीं, मशीन चालू होने पर सदर अस्पताल के डीएस भूपेन्द्र नाथ ने कहा कि, 4 दिनों में एक महिला का अल्ट्रासाउंड किया गया है. डॉक्टर गिरजा तिवारी के देख रेख में केवल गर्भवती महिलाओं का ही अभी अल्ट्रासाउंड किया जाएगा. इस सुविधा के शुरू हो जाने से महिलाओं को काफी राहत मिलेगी. इस जांच के लिए किसी को भी पैसा देने की जरूरत नही है.