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बक्सर में बच्ची की संदिग्ध मौत, परिजनों का आरोप- '4 दिन से डॉक्टर मृत बच्ची का कर रहे थे इलाज' - बक्सर न्यूज

Buxar News बक्सर के एक अस्पताल में एक डेढ़ महीने की बच्ची की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है. परिजनों के मुताबिक अस्पताल में मृत बच्ची का पिछले चार दिनों से डॉक्टर इलाज कर रहे थे. पढ़ें पूरी खबर...

बक्सर में बच्ची की संदिग्ध मौत
बक्सर में बच्ची की संदिग्ध मौत
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Published : Nov 26, 2022, 11:59 AM IST

Updated : Nov 26, 2022, 1:04 PM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर में एक अस्पताल (Child died in Buxar Hospital) में डेढ़ महीने की बच्ची की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है. परिजनों का आरोप है कि बच्ची की तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल प्रशासन से दूसरे अस्पताल में बच्ची को लेकर जाने की बात कही. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने मृतक बच्ची की लाश थमा दी. परिजनों की माने तो अस्पताल के डॉक्टर मृत बच्ची का पिछले चार दिनों से इलाज कर रहे थे.

ये भी पढ़ें- निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मासूम की मौत, हंगामे के बाद दो फर्जी नर्सिंग होम सील

बक्सर में बच्ची की संदिग्ध मौत : यह मामला जिले के बाइपास रोड स्थित एक निजी अस्पताल का है. परिजनों ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टर ने मृतक डेढ़ महीने की बच्ची का इलाज (Treatment Of A Dead Child In Buxar) करते रहे. इसके बाद जब बच्ची की तबीयत बिगड़ी तो उसे थमा दिया और हमने जब दूसरे अस्पताल ले जाने की बात कही तो अस्पताल प्रशासन ने पेपर पर साइन कराकर तो 80 हजार रुपये का बिल थमा दिया और बच्ची की डेथ बॉडी थमा दी. वहीं बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ''शिशु की मृत्यु तो चार दिन पहले ही हो गई थी. उसके बाद भी चिकित्सकों ने चार दिनों से उसे अस्पताल में भर्ती रखा और पैसे ऐंठते रहे.''

''डॉक्टर द्वारा उन्हें गलत जानकारी दी गई. यह सब कुछ केवल पैसे के लिए किया गया था. उन्हीं चार दिन में उनसे तकरीबन 80 हजार रुपये ले लिए गए.'' - मोहम्मद इमरान, बच्ची के परिजन

''बच्चे को वेंटिलेटर और ऑक्सीजन के सपोर्ट पर रखा गया था. लेकिन, परिजनों ने लिखित रूप से यह सहमति दी कि वह उसे दूसरे जगह ले जाएंगे, जिसके लिए उन्हें ऑक्सीजन युक्त वाहन की भी आवश्यकता नहीं है. ऐसे में जैसे ही शिशु का ऑक्सीजन मास्क निकाला गया उसकी मृत्यु हो गई.'' - डॉक्टर पी के पांडेय, अस्पताल के निदेशक




सर्दी से पीड़ित थी मासूम: मिली जानकारी के अनुसार तुर्क पुरवा के रहने वाले मोहम्मद इमरान ने अपनी डेढ़ माह की बच्ची ओमायरा को अस्पताल में भर्ती कराया था. बच्ची को सर्दी जुकाम के लक्षण थे. वहां भर्ती कराने पर चिकित्सकों ने न्यूमोनिया होने की बात कही और उसे आईसीयू में भर्ती कर दिया. कुछ घंटे के इलाज के बाद बच्ची की शारीरिक हलचल कम हो गई. इस स्थित में किसी भी अनहोनी की आशंका पर जब परिजनों ने चिकित्सकों से सवाल किया तब उस समय डॉक्टरों ने कहा कि बच्ची स्वस्थ है. फिलहाल उसे ज्यादा देखभाल की आवश्यकता है. इसलिए उसे कुछ देर के लिए वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जा रहा है. हालांकि परिजनों के देखते ही देखते 3 दिन और गुजर गए. लेकिन बच्ची के स्वास्थ्य में किसी प्रकार के सुधार की जानकारी अस्पताल प्रशासन ने नहीं दी. जिसके बाद परेशान हुए परिजनों ने निदेशक से संपर्क किया तो उन्होंने 4 दिन पहले की बात ही दोहराई. उसके बावजूद भी परिजनों ने बच्ची को अन्यत्र ले जाने की जिद की तब जाकर बच्ची के शव को सौंप दिया.


बक्सर: बिहार के बक्सर में एक अस्पताल (Child died in Buxar Hospital) में डेढ़ महीने की बच्ची की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है. परिजनों का आरोप है कि बच्ची की तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल प्रशासन से दूसरे अस्पताल में बच्ची को लेकर जाने की बात कही. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने मृतक बच्ची की लाश थमा दी. परिजनों की माने तो अस्पताल के डॉक्टर मृत बच्ची का पिछले चार दिनों से इलाज कर रहे थे.

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बक्सर में बच्ची की संदिग्ध मौत : यह मामला जिले के बाइपास रोड स्थित एक निजी अस्पताल का है. परिजनों ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टर ने मृतक डेढ़ महीने की बच्ची का इलाज (Treatment Of A Dead Child In Buxar) करते रहे. इसके बाद जब बच्ची की तबीयत बिगड़ी तो उसे थमा दिया और हमने जब दूसरे अस्पताल ले जाने की बात कही तो अस्पताल प्रशासन ने पेपर पर साइन कराकर तो 80 हजार रुपये का बिल थमा दिया और बच्ची की डेथ बॉडी थमा दी. वहीं बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ''शिशु की मृत्यु तो चार दिन पहले ही हो गई थी. उसके बाद भी चिकित्सकों ने चार दिनों से उसे अस्पताल में भर्ती रखा और पैसे ऐंठते रहे.''

''डॉक्टर द्वारा उन्हें गलत जानकारी दी गई. यह सब कुछ केवल पैसे के लिए किया गया था. उन्हीं चार दिन में उनसे तकरीबन 80 हजार रुपये ले लिए गए.'' - मोहम्मद इमरान, बच्ची के परिजन

''बच्चे को वेंटिलेटर और ऑक्सीजन के सपोर्ट पर रखा गया था. लेकिन, परिजनों ने लिखित रूप से यह सहमति दी कि वह उसे दूसरे जगह ले जाएंगे, जिसके लिए उन्हें ऑक्सीजन युक्त वाहन की भी आवश्यकता नहीं है. ऐसे में जैसे ही शिशु का ऑक्सीजन मास्क निकाला गया उसकी मृत्यु हो गई.'' - डॉक्टर पी के पांडेय, अस्पताल के निदेशक




सर्दी से पीड़ित थी मासूम: मिली जानकारी के अनुसार तुर्क पुरवा के रहने वाले मोहम्मद इमरान ने अपनी डेढ़ माह की बच्ची ओमायरा को अस्पताल में भर्ती कराया था. बच्ची को सर्दी जुकाम के लक्षण थे. वहां भर्ती कराने पर चिकित्सकों ने न्यूमोनिया होने की बात कही और उसे आईसीयू में भर्ती कर दिया. कुछ घंटे के इलाज के बाद बच्ची की शारीरिक हलचल कम हो गई. इस स्थित में किसी भी अनहोनी की आशंका पर जब परिजनों ने चिकित्सकों से सवाल किया तब उस समय डॉक्टरों ने कहा कि बच्ची स्वस्थ है. फिलहाल उसे ज्यादा देखभाल की आवश्यकता है. इसलिए उसे कुछ देर के लिए वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जा रहा है. हालांकि परिजनों के देखते ही देखते 3 दिन और गुजर गए. लेकिन बच्ची के स्वास्थ्य में किसी प्रकार के सुधार की जानकारी अस्पताल प्रशासन ने नहीं दी. जिसके बाद परेशान हुए परिजनों ने निदेशक से संपर्क किया तो उन्होंने 4 दिन पहले की बात ही दोहराई. उसके बावजूद भी परिजनों ने बच्ची को अन्यत्र ले जाने की जिद की तब जाकर बच्ची के शव को सौंप दिया.


Last Updated : Nov 26, 2022, 1:04 PM IST
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