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सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर 22 मार्च को किया जाएगा टीएचआर वितरण

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Published : Mar 19, 2021, 7:12 PM IST

जिले में कुपोषण को दूर करने और शिशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से पोषण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है. 21 मार्च को सेविकाओं द्वारा घर-घर जाकर लाभार्थियों को पोषण परामर्श दिया जाएगा. वहीं, पखवारे के अंतिम दिन 22 मार्च को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर टीएचआर (टेक होम राशन) वितरण किया जाएगा.

THR distribution
THR distribution

बक्सर: जिले में कुपोषण को दूर करने और शिशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से पोषण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है. इस क्रम में जिला स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में शुक्रवार को जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर विशेष अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया. जिसमें सभी आंगनबाड़ी सेविका द्वारा हर महीने छ माह से ऊपर के शिशुओं को खीर खिलाकर अन्नप्राशन कराया जाता है. पर कोविड-19 के कारण आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन बन्द था. ऐसे में शिशुओं के स्वास्थ्य पर कुपोषण हावी न हो इसके लिए विभाग ने वृहद पैमाने पर अन्नप्राशन दिवस मनाने का निर्णय लिया है.

इसी क्रम में शनिवार को सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण से सम्बंधित सेक्टर बैठक और शून्य से तीन वर्ष तक के शिशुओं के वजन और लंबाई की मापी कराई जाएगी. साथ ही 21 मार्च को सेविकाओं के द्वारा घर-घर जाकर लाभार्थियों को पोषण परामर्श दिया जाएगा. अंतिम दिन 22 मार्च को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर टीएचआर (टेक होम राशन) वितरण किया जाना है.

यह भी पढ़ें:बिहार में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर सरकार का बड़ा फैसला, चिकित्सकों की छुट्टियां रद्

अन्नप्राशन दिवस पर किया गया कोविड के नियमों का पालन
एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) की जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (डीपीओ) तरणि कुमारी ने बताया जिलाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर 17 से 22 मार्च तक विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस क्रम में सभी सीडीपीओ को निर्देशित किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल से अमूमन अन्नप्राशन दिवस गृह भ्रमण के दौरान ही मनाया जा रहा था. लेकिन अन्नप्राशन को वृहद पैमाने पर आयोजित करने के उद्देश्य से कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए पूरे नियमों के साथ बच्चों को पहला आहार खिलाया गया. शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए स्तनपान के साथ ही उन्हें बेहतर अतिरिक्त ऊपरी आहार का दिया जाना जरूरी होता है. शिशुओं को पहले छ महीने केवल मां का दूध देना चाहिए लेकिन इसके बाद उन्हें मां के दूध के साथ ही पर्याप्त मात्रा में ऊपरी आहार दिया जाना चाहिए. पर्याप्त मात्रा में ऊपरी आहार के मिलने से शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिक विकास में वृद्धि होती है.

घर के खाद्य पदार्थों से करें अनुपूरक आहार का निर्माण
सिमरी सीडीपीओ संगीता कुमारी ने बताया शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है. सूजी, गेहूं का आटा, चावल, रागा, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में मिलाकर दलिया बनाए जा सकते हैं. बच्चे के आहार में चीनी अथवा गुड़ को भी शामिल करना चाहिए, क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है. साथ ही, गुड़ में उपलब्ध आयरन उनके लिए फायदेमंद साबित होता है. 6 से 9 माह तक के बच्चों को गाढे एवं सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए. वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये. दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं.

अन्नप्राशन के साथ दो वर्षों तक स्तनपान भी जरूरी
अन्नप्राशन दिवस पर आने वाली माताओं को बच्चे के स्वस्थ शरीर निर्माण को लेकर आवश्यक जानकारियां दी गई. जिसमें बताया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराएं और छ माह तक सिर्फ स्तनपान ही कराएं. तभी बच्चे के स्वस्थ शरीर का निर्माण हो पाएगा. इसके अलावा 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी. 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी. इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी. चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया.

बक्सर: जिले में कुपोषण को दूर करने और शिशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से पोषण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है. इस क्रम में जिला स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में शुक्रवार को जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर विशेष अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया. जिसमें सभी आंगनबाड़ी सेविका द्वारा हर महीने छ माह से ऊपर के शिशुओं को खीर खिलाकर अन्नप्राशन कराया जाता है. पर कोविड-19 के कारण आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन बन्द था. ऐसे में शिशुओं के स्वास्थ्य पर कुपोषण हावी न हो इसके लिए विभाग ने वृहद पैमाने पर अन्नप्राशन दिवस मनाने का निर्णय लिया है.

इसी क्रम में शनिवार को सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण से सम्बंधित सेक्टर बैठक और शून्य से तीन वर्ष तक के शिशुओं के वजन और लंबाई की मापी कराई जाएगी. साथ ही 21 मार्च को सेविकाओं के द्वारा घर-घर जाकर लाभार्थियों को पोषण परामर्श दिया जाएगा. अंतिम दिन 22 मार्च को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर टीएचआर (टेक होम राशन) वितरण किया जाना है.

यह भी पढ़ें:बिहार में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर सरकार का बड़ा फैसला, चिकित्सकों की छुट्टियां रद्

अन्नप्राशन दिवस पर किया गया कोविड के नियमों का पालन
एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) की जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (डीपीओ) तरणि कुमारी ने बताया जिलाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर 17 से 22 मार्च तक विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस क्रम में सभी सीडीपीओ को निर्देशित किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल से अमूमन अन्नप्राशन दिवस गृह भ्रमण के दौरान ही मनाया जा रहा था. लेकिन अन्नप्राशन को वृहद पैमाने पर आयोजित करने के उद्देश्य से कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए पूरे नियमों के साथ बच्चों को पहला आहार खिलाया गया. शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए स्तनपान के साथ ही उन्हें बेहतर अतिरिक्त ऊपरी आहार का दिया जाना जरूरी होता है. शिशुओं को पहले छ महीने केवल मां का दूध देना चाहिए लेकिन इसके बाद उन्हें मां के दूध के साथ ही पर्याप्त मात्रा में ऊपरी आहार दिया जाना चाहिए. पर्याप्त मात्रा में ऊपरी आहार के मिलने से शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिक विकास में वृद्धि होती है.

घर के खाद्य पदार्थों से करें अनुपूरक आहार का निर्माण
सिमरी सीडीपीओ संगीता कुमारी ने बताया शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है. सूजी, गेहूं का आटा, चावल, रागा, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में मिलाकर दलिया बनाए जा सकते हैं. बच्चे के आहार में चीनी अथवा गुड़ को भी शामिल करना चाहिए, क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है. साथ ही, गुड़ में उपलब्ध आयरन उनके लिए फायदेमंद साबित होता है. 6 से 9 माह तक के बच्चों को गाढे एवं सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए. वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये. दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं.

अन्नप्राशन के साथ दो वर्षों तक स्तनपान भी जरूरी
अन्नप्राशन दिवस पर आने वाली माताओं को बच्चे के स्वस्थ शरीर निर्माण को लेकर आवश्यक जानकारियां दी गई. जिसमें बताया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराएं और छ माह तक सिर्फ स्तनपान ही कराएं. तभी बच्चे के स्वस्थ शरीर का निर्माण हो पाएगा. इसके अलावा 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी. 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी. इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी. चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया.

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