बक्सर: जिले में सोमवार को महादेव घाट पर 4 दर्जन से अधिक लाशें गंगा में तैरती हुई मिली थी. इनमें से कई लाशों को कुत्ते नोच कर खा रहे थे. संदेह जताया जा रहा था कि जिन लोगों की कोरोना के कारण घर में ही मौतें हुई है. उन्हें गंगा किनारे परिजनों ने फेंक दिया है. बक्सर की घटना को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा अब तक खुद से संज्ञान नहीं लिया गया है.
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लॉकडाउन की वजह से बंद
मानवाधिकार आयोग के सदस्य उज्जवल कुमार दुबे ने ईटीवी भारत से टेलिफोनिक बातचीत के दौरान बताया कि बिहार में 5 मई से 15 मई तक पूर्ण लॉकडाउन है. जिस वजह से गैर जरूरी सरकारी कार्यालय बंद हैं. मानवाधिकार कार्यालय भी लॉकडाउन की वजह से बंद चल रहा है. जिस वजह से बक्सर की गंगा नदी में तैरती मिली लाशों पर अब तक संज्ञान नहीं लिया गया है.
“राज्य मानवाधिकार आयोग के कार्यालय में 16 स्टाफ कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. जिनमें से 4 स्टाफ की मृत्यु कोरोना की वजह से अब तक हो चुकी है. राज्य मानवाधिकार आयोग के स्टोनो कोरोना संक्रमित हो गए हैं. जिस वजह से कार्य प्रभावित है”- उज्जवल कुमार दुबे, सदस्य, बिहार मानवाधिकार आयोग
गंगा नदी के किनारे मिले शव
उज्जवल कुमार दुबे ने आश्वासन दिया कि जल्द ही राज्य मानवाधिकार आयोग खुद से इस मामले में संज्ञान लेगा. बता दें कि बक्सर में शव मिलने के बाद यूपी के गाजीपुर स्थित गहमर गांव के नरोरा गंगा घाट, कछला गंगा घाट और बुलाकी दास बाबा की मठिया घाट के पास तकरीबन 1 किलोमीटर के दायरे में 100 से अधिक लाशें गंगा नदी के किनारे तैरते पाए गए हैं. इनमें से अधिकतर शव 2 से 4 दिन पुराने लग रहे हैं.
संक्रमण फैलने का डर
स्थानीय लोगों के अनुसार ये लाशें 3 से 4 दिनों से गंगा किनारे लगी दिखाई दी रही हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों को संक्रमण फैलने का अंदेशा है. बक्सर औरबलिया में गंगा में शव में बहकर आने का सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहा है. बक्सर के चौसा श्मशान घाट के पास सोमवार से मंगलवार तक 73 लाशें मिली हैं. वहीं बलिया में बिहार की सीमा पर गंगा में 62 लाशें मिली हैं. सभी शव को प्रशासन की टीम के द्वारा दफना दिया गया है.