बक्सर : बिहार के बक्सर जिले के सभी 11 प्रखंड में सुखाड़ से हाहाकर मचा हुआ है. खेतों में लगी धान की खड़ी फसलें अब सूखने और बीमारी के भेंट चढ़ने लगी है. विकराल स्थिति होने के बाद अब जिलाधिकारी से लेकर, कृषि वैज्ञानिकों ने भी मानने लगे कि हालात ठीक नहीं है. सामान्य से -52 मिलीमीटर(-52 m m) कम वर्षापात हुआ है.
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कुएं, तालाब और ट्यूबवेल फेल : नहरें खुद की प्यास बुझाने के लिए जदोजहद कर रही है. भूगर्भ जलस्तर इतना नीचे चला गया है कि अब ट्यूबवेल भी फेल कर गए हैं. सूर्य की तपिश और पछुआ हवा का कहर अन्नदाताओं के फौलादी हौसले को भी पस्त कर दिया है. राजधानी पटना से लेकर बक्सर तक केवल सियासी बैठकों का दौर जारी है. समाधान न होती देख किसानों में आक्रोश है.
सामान्य से भी बहुत कम हुई बारिश : कृषि विभाग से मिले आंकड़े के अनुसार जिले में कुल रजिस्टर्ड किसानों की संख्या 2 लाख 22 हजार 916 है. सिमरी प्रखण्ड में 28 हजार 575, चक्की-4511, ब्रह्मपर-35 हजार 315, चौगाई-7 हजार 450, केसठ- 5 हजार 087, डुमराव-24 हजार 795, बक्सर-15 हजार 568, चौसा-11हजार 972, राजपुर-31 हजार 319, इटाढ़ी-25 हजार 331, नावनागर-32 हजार 993 है.
धान की रोपाई भगवान भरोसे : 98 हजार 088 हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल की रोपनी की गई है. जबकि 4 हजार 568 हेक्टेयर भूमि पर मक्के की फसल की बुवाई की गई है. जबकि अन्य भूमि पर सब्जी की खेती किसानों ने की है. जिला कृषि कर्यालय की माने तो खरीफ में 100% लक्ष्य को विभाग ने प्राप्त कर लिया है. ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब सामान्य से -52% औसत कम वर्षापात हुआ है और नहरों में पानी ही नहीं आया तो, खरीफ की फसलों की क्या स्थिति होगी.
क्या कहते हैं जिलाधिकारी : खेतों में लगी खरीफ की सूख रही फसलों को लेकर बक्सर जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल से जब पूछा गया तो उन्होंने भी माना कि जिले की हालात ठीक नहीं है. ''नहरों में जितना पानी आना चाहिए उतना पानी नहीं आ रहा है. वर्षापात भी कम हुआ है. कृषि फीडर से किसानों को 16 घण्टे बिजली देने के साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को भी सख्त निर्देश दिया गया है कि वे इलाके का भ्रमण कर, पानी के अभव में रोग जनित हो रहे पौधे के उपचार के प्रति किसानों को जागरूक करें.''
जब हुदहुद चक्रवात बना था वरदान : खेतों में अन्नदाताओं की फसलों के साथ सtख रहे उनकी उम्मीदों ने कृषि वैज्ञानिकों की आंखों से नींद गायब कर दिया है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक पोटाश एवं अन्य उपयोगी दवाओं का छिड़काव कराकर फसलों को इस उम्मीद पर सूखने से बचाने का प्रयास कर रहे हैं कि शायद प्राकृतिक चक्रवात वर्षा की बूंद को लेकर आये और वह किसानों के लिए वरदान बन जाये.
वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मान्धाता सिंह ने बताया कि ''जिले की हालात ठीक नहीं है. कम वर्षा होने के कारण फसलों में कई तरह के रोग लग रहे हैं. 2014 में भी इस तरह की हालात बना था. लेकिन हुदहुद चक्रवात अंत समय में आकर किसानों की हारी हुई बाजी को जीत में बदल दिया था. इसलिए किसान अपने धैर्य न खोएं ट्यूबवेल, आहार, पोखर जहां से भी सम्भव हो अपने खेतों की सिंचाई थोड़ा-थोड़ा भी जरूर करें.''
सूखे से बक्सर में हाहाकार : गौरतलब है कि जिले की हालत सूखे से बद से बदतर होते जा रहा है. किसानों के फौलादी हौसले भी अब पस्त होने लगा है. ना ही इंद्र की कृपा बरस रही है और ना ही जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा नहरो में पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. जिससे किसानों में हाहाकार मचा हुआ है. जनप्रतिनिधि किसनों को भगवान भरोसे छोड़कर चुनावी चिकल्लस में लगे हुए हैं. अन्नदाताओं को भूख की चिंता सता रही है. ऐसी कमरे में बैठे अधिकारी केवल कागजों पर ही प्लान तैयार कर रहे हैं. खेतों के पगडंडियों पर बैठा किसान उम्मीद से कभी आकाश को तो कभी सरकार को निहार रहा है.