बक्सर: साल 2011 में जिले के सिमरी प्रखंड में गंगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को बनकर तैयार होना था. जिससे 52 गांवों के 214 वार्डों में गंगा जल का फिल्ट्राइजेशन कर शुद्ध पेयजल पहुंचाना था. लेकिन 11 साल के बाद भी ये योजना वैसे ही जस की तस पड़ी हुई है. लिहाजा, लोगों को आर्सेनिक युक्त पानी पीना पड़ रहा है. जिससे उनका स्वास्थ्य खासा प्रभावित हो रहा है.
शुद्ध पेयजल पहुंचाने की थी योजना
जिले में गंगा के तटवर्ती इलाकों में भारत सरकार की ओर से आर्सेनिक युक्त 52 गांव के 214 वार्डों में डेढ़ लाख लोगों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना बनाई गई थी. जिसके लिए 100 करोड़ से अधिक की लागत में केशोपुर से सिमरी बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन 11 साल बाद भी योजना का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच सका है.
योजना में लगी करोड़ों की लागत
बता दें कि राज्य सरकार ने पीएचडी विभाग की देखरेख में इस योजना को संचालित कर रही थी. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण 80 प्रतिशत राशि खर्च होने के बावजूद काम पूरा नहीं हो सका है. मामले को लेकर पीएचडी विभाग के कार्यपालक अभियंता परमानंद से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि संबंधित एजेंसी के भाग जाने के कारण ये योजना जमीन पर नहीं उतर सकी.