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बक्सर: 11 साल से ठप ग्रामीण जल आपूर्ति योजना, आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर लोग - ग्रामीण जलापूर्ति योजना

मामले को लेकर पीएचडी विभाग के कार्यपालक अभियंता परमानंद ने कहा कि संबंधित एजेंसी के भाग जाने के कारण ये योजना जमीन पर नहीं उतर सकी.

rural water supply scheme in buxar
ग्रामीण जलापूर्ति योजना
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Published : Feb 7, 2020, 10:54 AM IST

बक्सर: साल 2011 में जिले के सिमरी प्रखंड में गंगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को बनकर तैयार होना था. जिससे 52 गांवों के 214 वार्डों में गंगा जल का फिल्ट्राइजेशन कर शुद्ध पेयजल पहुंचाना था. लेकिन 11 साल के बाद भी ये योजना वैसे ही जस की तस पड़ी हुई है. लिहाजा, लोगों को आर्सेनिक युक्त पानी पीना पड़ रहा है. जिससे उनका स्वास्थ्य खासा प्रभावित हो रहा है.

शुद्ध पेयजल पहुंचाने की थी योजना
जिले में गंगा के तटवर्ती इलाकों में भारत सरकार की ओर से आर्सेनिक युक्त 52 गांव के 214 वार्डों में डेढ़ लाख लोगों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना बनाई गई थी. जिसके लिए 100 करोड़ से अधिक की लागत में केशोपुर से सिमरी बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन 11 साल बाद भी योजना का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच सका है.

देखें रिपोर्ट

योजना में लगी करोड़ों की लागत
बता दें कि राज्य सरकार ने पीएचडी विभाग की देखरेख में इस योजना को संचालित कर रही थी. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण 80 प्रतिशत राशि खर्च होने के बावजूद काम पूरा नहीं हो सका है. मामले को लेकर पीएचडी विभाग के कार्यपालक अभियंता परमानंद से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि संबंधित एजेंसी के भाग जाने के कारण ये योजना जमीन पर नहीं उतर सकी.

बक्सर: साल 2011 में जिले के सिमरी प्रखंड में गंगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को बनकर तैयार होना था. जिससे 52 गांवों के 214 वार्डों में गंगा जल का फिल्ट्राइजेशन कर शुद्ध पेयजल पहुंचाना था. लेकिन 11 साल के बाद भी ये योजना वैसे ही जस की तस पड़ी हुई है. लिहाजा, लोगों को आर्सेनिक युक्त पानी पीना पड़ रहा है. जिससे उनका स्वास्थ्य खासा प्रभावित हो रहा है.

शुद्ध पेयजल पहुंचाने की थी योजना
जिले में गंगा के तटवर्ती इलाकों में भारत सरकार की ओर से आर्सेनिक युक्त 52 गांव के 214 वार्डों में डेढ़ लाख लोगों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना बनाई गई थी. जिसके लिए 100 करोड़ से अधिक की लागत में केशोपुर से सिमरी बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन 11 साल बाद भी योजना का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच सका है.

देखें रिपोर्ट

योजना में लगी करोड़ों की लागत
बता दें कि राज्य सरकार ने पीएचडी विभाग की देखरेख में इस योजना को संचालित कर रही थी. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण 80 प्रतिशत राशि खर्च होने के बावजूद काम पूरा नहीं हो सका है. मामले को लेकर पीएचडी विभाग के कार्यपालक अभियंता परमानंद से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि संबंधित एजेंसी के भाग जाने के कारण ये योजना जमीन पर नहीं उतर सकी.

Intro:सिमरी बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना का सपना नही हुआ साकार,80 प्रतिशत राशि निकालकर डकार गए अधिकारी,समय अवधि के 11 साल बाद भी नही पहुचा लोगो के घर तक शुद्ध पानी।




Body:आर्सेनिक वाले 52 गांव के 214 वार्डो में, डेढ़ लाख लोगों तक गंगा जल का फ़िल्ट्राइजेशन कर ,2011 में ही शुद्ध पेयजल पहुचने का था लक्ष्य , समय सीमा के 11 साल बाद भी नही हुआ योजना पूरा


बक्सर-जिला के सिमरी प्रखंड के केशोपुर में, बर्ष 2011 तक बनकर तैयार होना था गंगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट,100 करोड़ से अधिक का था योजना,80 प्रतिशत राशि खर्च होने के बाद भी नही हो पाया 30 प्रतिशत काम।


V1- भारत सरकार द्वारा जिला के गंगा की तटवर्ती इलाकों में आर्सेनिक युक्त 52 गांव ,के 214 वार्ड में डेढ़ लाख, लोगों तक शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए ,100 करोड से अधिक की लागत से सिमरी प्रखंड के केशोपुर में ,सिमरी बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना की शुरुआत ,राज्य सरकार के पीएचडी विभाग की देखरेख में कराई गई थी ,इस योजना को वर्ष 2011 में ही पूरा होना था, लेकिन 80 प्रतिशत राशि खर्च होने के बाद भी जमीन पर 20 प्रतिशत काम नही दिखाई दे रहा है।


V2- केशोपुर में बनने वाले वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, को लेकर जब पीएचडी विभाग के कार्यपालक अभियंता ,परमानंद से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि, संबंधित एजेंसी के भाग जाने के कारण यह योजना दुर्भाग्यवश जमीन पर नहीं उतर पाया,इस योजना की राशि संबंधित एजेंसी से वसूल कर ,9 महीना के अंदर इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को शुरू करा दिया जाएगा ,2011 में ही इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को चालू कर 214 वार्ड के डेढ़ लाख, लोगों तक शुद्ध पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन दुर्भाग्यवश यह योजना जमीन पर नहीं उतर पाया।

byte परमानंद कार्यपालक अभियंता पीएचडी बिभाग

V3- केशोपुर में बनने वाले वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ,को लेकर जब स्थानीय दिनेश राय, से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि, आर्सेनिक वाले 52 गांव में, शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से सिमरी बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना 2011 में ही पूरा होना था लेकिन अधिकारियों की लूट खसोट के कारण, यह योजना जमीन पर नही उतर पाया, हम लोग आज भी आर्सेनिक युक्त पानी पीने के लिए मजबूर है।


byte दिनेश राय स्थानीय




Conclusion:गौरतलब है,की बक्सर एवं सिमरी प्रखंड के,आर्सेनिक पानी वाले इलाके में, रहने वाले लोगो तक, गंगा जल का फ़िल्ट्राइजेशन कर, 214 वार्डो को 12 जोन में बांटकर ,15 जलमिनारो की सहायता से शुद्ध पेयजल पहुचाने का लक्ष्य रखा गया था,लेकिन अन्य योजनाओ की तरह यह योजना भी जमीन पर उतरने से पहले ही अधिकारियों की भेंट चढ़ गई।
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