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'1 साल में डेढ़ लाख लोगों की जाती है जान, आपके ऊपर है परिवार की जिम्मेदारी, यातायात नियमों का करें पालन'

बक्सर में सड़क सुरक्षा माह के तहत इस बार जिला के 142 पंचायत के प्रत्येक गांव में जागरुकता चलाया जा रहा है. इस अभियान के दौरान क्विज प्रतियोगिता के माध्यम से नवयुवकों को जागरूक करने के लिए प्रथम एवं द्वितीय स्थान लाने वाले को प्रत्येक दिन पुरस्कार के रूप में हेलमेट दिया जा रहा है.

यातायात
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Published : Feb 4, 2021, 7:55 PM IST

बक्सर: आये दिनों हो रहे सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने एवं यातायात के नियमों के प्रति जिलावासियों को जागरूक करने के लिए 18 जनवरी से ही राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह मनाया जा रहा है. इस अभियान में परिवहन विभाग के अधिकारी जुटे हुए हैं. वहीं, जिले के 142 पंचायतों के प्रत्येक गांव के लोगों को जागरूक करने के लिए दर्जनों जागरुकता रथ को रवाना किया गया है. यह जागरुकता रथ प्रत्येक गांवों का भ्रमण करते हुए 16 फरवरी को जिला मुख्यालय पहुंचेगा.

हरेक साल डेढ़ लाख लोगों की जाती है जान
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल साल 2019 में सड़क दुर्घटनाओं के कारण 151 हजार से अधिक की मौत हुई. जिसमें मोटरसाइकिल से एक्सीडेंट करने वाले लोगों की संख्या 98% है. बक्सर जिले में साल 2018 में सड़क दुर्घटना में 92 लोगों की मौत हुई है. जबकि, साल 2019 में 81 और 2020 में 84 लोगों की जान सड़क दुर्घटना में चली गई. मरने वाले लोगों में 98% संख्या वैसे लोगो की है जो बिना हेल्मेट पहने दो पहिया वाहन चला रहे थे.

जागरुकता के लिए सड़क सुरक्षा अभियान
इस बार अभियान के तहत जागरूकता रथ, नुक्कड़ नाटक, पोस्टर, पम्पलेट के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ, प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में लगे छात्र- छात्राओं के बीच, परिवहन विभाग के द्वारा प्रत्येक दिन क्विज प्रतियोगिता कराया जा रहा है. जिसमें प्रथम एवं द्वितीय स्थान लाने वाले प्रतिभागी को पुरस्कार स्वरूप हेलमेट दिया जा रहा है.

'पुलिस की डर से नहीं अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए सभी को यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए. क्योंकि आप पर आपका पूरा परिवार आश्रित है. किसी की गोद न उजड़े, कोई अनाथ न हो इसके लिए हेलमेट पहनकर दो पहिया वाहन एवं सीटबेल्ट बांधकर 4 पहिया वाहन चलाएं'- मनोज रजक, जिला परिवहन पदाधिकारी

गौरतलब है कि बक्सर जिले में 2 सालों में हुए सड़क दुर्घटना में 253 लोगों की मौत हुई है. जबकि, सैकड़ों लोग घायल भी हुए हैं. जिसमें 90% लोगों की जान बचाने के लिए अस्पताल में हाथ या पैर काटना पड़ा है तो कई अभी भी विस्तर पर पड़े हैं. इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन एवं परिवहन विभाग के अधिकारियों के द्वारा माइक्रो लेबल पर प्लान तैयार कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. उसके बाद भी कुछ लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे है.

बक्सर: आये दिनों हो रहे सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने एवं यातायात के नियमों के प्रति जिलावासियों को जागरूक करने के लिए 18 जनवरी से ही राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह मनाया जा रहा है. इस अभियान में परिवहन विभाग के अधिकारी जुटे हुए हैं. वहीं, जिले के 142 पंचायतों के प्रत्येक गांव के लोगों को जागरूक करने के लिए दर्जनों जागरुकता रथ को रवाना किया गया है. यह जागरुकता रथ प्रत्येक गांवों का भ्रमण करते हुए 16 फरवरी को जिला मुख्यालय पहुंचेगा.

हरेक साल डेढ़ लाख लोगों की जाती है जान
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल साल 2019 में सड़क दुर्घटनाओं के कारण 151 हजार से अधिक की मौत हुई. जिसमें मोटरसाइकिल से एक्सीडेंट करने वाले लोगों की संख्या 98% है. बक्सर जिले में साल 2018 में सड़क दुर्घटना में 92 लोगों की मौत हुई है. जबकि, साल 2019 में 81 और 2020 में 84 लोगों की जान सड़क दुर्घटना में चली गई. मरने वाले लोगों में 98% संख्या वैसे लोगो की है जो बिना हेल्मेट पहने दो पहिया वाहन चला रहे थे.

जागरुकता के लिए सड़क सुरक्षा अभियान
इस बार अभियान के तहत जागरूकता रथ, नुक्कड़ नाटक, पोस्टर, पम्पलेट के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ, प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में लगे छात्र- छात्राओं के बीच, परिवहन विभाग के द्वारा प्रत्येक दिन क्विज प्रतियोगिता कराया जा रहा है. जिसमें प्रथम एवं द्वितीय स्थान लाने वाले प्रतिभागी को पुरस्कार स्वरूप हेलमेट दिया जा रहा है.

'पुलिस की डर से नहीं अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए सभी को यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए. क्योंकि आप पर आपका पूरा परिवार आश्रित है. किसी की गोद न उजड़े, कोई अनाथ न हो इसके लिए हेलमेट पहनकर दो पहिया वाहन एवं सीटबेल्ट बांधकर 4 पहिया वाहन चलाएं'- मनोज रजक, जिला परिवहन पदाधिकारी

गौरतलब है कि बक्सर जिले में 2 सालों में हुए सड़क दुर्घटना में 253 लोगों की मौत हुई है. जबकि, सैकड़ों लोग घायल भी हुए हैं. जिसमें 90% लोगों की जान बचाने के लिए अस्पताल में हाथ या पैर काटना पड़ा है तो कई अभी भी विस्तर पर पड़े हैं. इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन एवं परिवहन विभाग के अधिकारियों के द्वारा माइक्रो लेबल पर प्लान तैयार कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. उसके बाद भी कुछ लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे है.

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