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बक्सर में रैन बसेरे की खुली पोल, 80 बेड का दावा लेकिन जांच में मिले मात्र 33 बेड - बिहार में ठंड

बिहार के बक्सर में गरीबों के साथ मजाक किया जा रहा है. ईटीवी भारत ने जब ऐतिहासिक किला मैदान के पास बनाए गए रैन बसेरा (reality check of Buxar public night shelter) का जायजा लिया तो नगर परिषद के अधिकारियों की झूठ की पोल खुल गई. पढ़िए पूरी खबर..

reality check of Buxar public night shelter
reality check of Buxar public night shelter
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Published : Jan 11, 2022, 5:27 PM IST

बक्सर: बिहार में ठंड (Cold in Bihar) के कारण गरीबों का जीन मुहाल हो गया है.पिछले 15 दिनों से पूरा जिला शीतलहर की चपेट में है. ऐसे में लोगों के लिए रैन बसेरा का इंतजाम किया गया है. ईटीवी भारत ने नगर विकास विभाग के द्वारा शहर के ऐतिहासिक किला मैदान के समीप बनाये गये रैन बसेरा का जायजा लिया. आश्रय विहीन लोगों के लिए सर्दी के मौसम में ठहरने के लिए 80 बेड उपलब्ध होने का दावा किया गया था, लेकिन पड़ताल में सिर्फ 33 बेड ही मिले.

यह भी पढ़ें- बिहार के सभी जिलों में बेसहारों का सहारा बनेगा 'वृहद आश्रय गृह', 5 एकड़ में बनकर होगा तैयार

लगातार बह रही सर्द पछुआ हवा से राहत पाने के लिए आश्रय विहीन लोग आश्रय स्थल की तलाश में इधर उधर भटक रहे है. ठंड में फुटपाथ पर जीवनयापन करने वाले लोगों की समस्याओं को लेकर जब नगर परिषद (Nagar Parishad Buxar) के कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि, पुराने बस स्टैंड के समीप नगर विकास विभाग के द्वारा आधुनिक तरीके से रैन बसेरा बनाया गया है, जहां आश्रय विहीन लोगों के लिए रहने का मुफ्त में व्यवस्था किया गया है.

बक्सर में रैन बसेरे की खुली पोल

ये भी पढ़ें: बिहार में ठंड का मौसम आते ही बढ़ने लगे सर्दी-बुखार के मामले, बरतें ये सावधानी

"पहले इस आश्रय स्थल में 50 बेड की व्यवस्था स्थायी रूप से थी, लेकिन बढ़ते ठंड को देखते हुए इसका विस्तार कर, भाड़े पर अस्थाई रूप से 30 बेड, कम्बल, मच्छरदानी एवं अन्य सामानों की व्यवस्था की गई है. शुद्ध पेयजल, स्वच्छ शौचालय के अलावे ठहरने वाले को 35 रुपये में भर पेट भोजन की व्यवस्था है. वैसे लोग जिनके पास कुछ भी नही है, उनको भी निजी खर्च से भोजन उपलब्ध कराया जाता है. इसके लिए सरकार हमे कोई फंड नहीं देती है." - प्रेम स्वरूपम, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के दावे की सचाई को जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम रैन बसेरा में पहुंची, तो वहां तैनात प्रबंधक से लेकर अन्य कर्मियों में हड़कम्प मच गया. प्रबंधक से लेकर अन्य रैन बसेरा में तैनात कर्मी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जुट गए. इस दौरान कोई अतिरिक्त बेड लगाने में तो कोई बेड पर बिछावन एवं कम्बल रखने की कोशिशें करता रहा, जिसकी तस्वीर ईटीवी भारत के कैमरे में कैद हो गई.

शहर के बीचोंबीच पुराने बस स्टैंड के समीप बने तीन मंजिला रैन बसेरा में केवल एक महिला पिछले 8 दिनों से रह रही है. जिसका नाम रिंकी है. और वह दोनों आंखों से दिव्यांग है, कुछ देख नही पाती है. 4 दिन पहले ही उसने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया है. लेकिन हैरानी की बात है कि, जिला प्रशासन से लेकर नगर परिषद के अधिकारियों के पास कोई ऐसा फंड नही है, जिससे कि 4 दिन पहले मां बनी इस दिव्यांग महिला को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा सके.

दिव्यांग महिला को 24 घंटे में केवल दो बार चावल सब्जी, और रोटी सब्जी उपलब्ध कराकर नप के अधिकारी अपना पीठ थपथपा रहे हैं. जबकि राज्य एवं केंद्र सरकार के द्वारा ऐसी महिलाओं के लिए जननी सुरक्षा योजना से लेकर कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. अपना दर्द बयां करते हुए रिंकी देवी ने बताया कि, 4 दिन पहले ही एक बच्चे को जन्म दिया है. नगर परिषद के द्वारा बच्चे को दूध उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन मुझे न तो दूध मिल रहा है और न ही पौष्टिक आहार, जिसके कारण मैं अपने बच्चे को दूध भी नहीं पिला पा रही हूं. मुझे दिन में एक बार और रात्रि में एक बार भोजन उपलब्ध कराया जाता है.

शहर के बीचों बीच बने जिस तीन मंजिले रैन बसेरा में 80 बेड होने का कार्यपालक पदाधिकारी ने दावा किया, वहां मात्र 33 बेड ही उपलब्ध हैं. रैन बसेरा में तैनात कर्मियों के द्वारा शौचालय के अंदर खराब पड़े सीलिंग फैन से लेकर , पाइप, बाल्टी एवं कबाड़ के सारे सामग्री को रख उसे स्टोर रूम बना दिया गया है. रैन बसेरा के प्रबंधक दिनेश कुमार से जब यह पूछा गया कि, 80 बेड में मात्र 33 बेड ही दिखाई दे रहा है. भाड़ा पर लिया गया अन्य बेड एवं कम्बल कहां है? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, जो दिखाई दे रहा है सामने है. भाड़ा पर क्या लिया गया है. इस बात की जानकारी हमें नहीं है और ना ही विभागीय अधिकारी उस दिव्यांग महिला को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए हमें राशि दिए हैं.

गौरतलब है कि, जिस रैन बसेरा में अतिरिक्त 30 बेड, 30 कम्बल 30 मच्छरदानी समेत अन्य सामग्री को भाड़े पर लेने की बात अधिकारी कह रहे हैं. वह बेड, कम्बल एवं अन्य सामग्री कहां है. साथ ही सवाल उठ रहे हैं कि, जब विभागीय अधिकारियों ने भाड़े पर कुछ लिया ही नहीं को आखिर उसका फर्जी बिल क्यों बनाया जा रहा है. ऐसे कई सवालों के घेरे में नगर परिषद के अधिकारी घिरे हुए हैं.

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बक्सर: बिहार में ठंड (Cold in Bihar) के कारण गरीबों का जीन मुहाल हो गया है.पिछले 15 दिनों से पूरा जिला शीतलहर की चपेट में है. ऐसे में लोगों के लिए रैन बसेरा का इंतजाम किया गया है. ईटीवी भारत ने नगर विकास विभाग के द्वारा शहर के ऐतिहासिक किला मैदान के समीप बनाये गये रैन बसेरा का जायजा लिया. आश्रय विहीन लोगों के लिए सर्दी के मौसम में ठहरने के लिए 80 बेड उपलब्ध होने का दावा किया गया था, लेकिन पड़ताल में सिर्फ 33 बेड ही मिले.

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लगातार बह रही सर्द पछुआ हवा से राहत पाने के लिए आश्रय विहीन लोग आश्रय स्थल की तलाश में इधर उधर भटक रहे है. ठंड में फुटपाथ पर जीवनयापन करने वाले लोगों की समस्याओं को लेकर जब नगर परिषद (Nagar Parishad Buxar) के कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि, पुराने बस स्टैंड के समीप नगर विकास विभाग के द्वारा आधुनिक तरीके से रैन बसेरा बनाया गया है, जहां आश्रय विहीन लोगों के लिए रहने का मुफ्त में व्यवस्था किया गया है.

बक्सर में रैन बसेरे की खुली पोल

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"पहले इस आश्रय स्थल में 50 बेड की व्यवस्था स्थायी रूप से थी, लेकिन बढ़ते ठंड को देखते हुए इसका विस्तार कर, भाड़े पर अस्थाई रूप से 30 बेड, कम्बल, मच्छरदानी एवं अन्य सामानों की व्यवस्था की गई है. शुद्ध पेयजल, स्वच्छ शौचालय के अलावे ठहरने वाले को 35 रुपये में भर पेट भोजन की व्यवस्था है. वैसे लोग जिनके पास कुछ भी नही है, उनको भी निजी खर्च से भोजन उपलब्ध कराया जाता है. इसके लिए सरकार हमे कोई फंड नहीं देती है." - प्रेम स्वरूपम, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के दावे की सचाई को जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम रैन बसेरा में पहुंची, तो वहां तैनात प्रबंधक से लेकर अन्य कर्मियों में हड़कम्प मच गया. प्रबंधक से लेकर अन्य रैन बसेरा में तैनात कर्मी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जुट गए. इस दौरान कोई अतिरिक्त बेड लगाने में तो कोई बेड पर बिछावन एवं कम्बल रखने की कोशिशें करता रहा, जिसकी तस्वीर ईटीवी भारत के कैमरे में कैद हो गई.

शहर के बीचोंबीच पुराने बस स्टैंड के समीप बने तीन मंजिला रैन बसेरा में केवल एक महिला पिछले 8 दिनों से रह रही है. जिसका नाम रिंकी है. और वह दोनों आंखों से दिव्यांग है, कुछ देख नही पाती है. 4 दिन पहले ही उसने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया है. लेकिन हैरानी की बात है कि, जिला प्रशासन से लेकर नगर परिषद के अधिकारियों के पास कोई ऐसा फंड नही है, जिससे कि 4 दिन पहले मां बनी इस दिव्यांग महिला को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा सके.

दिव्यांग महिला को 24 घंटे में केवल दो बार चावल सब्जी, और रोटी सब्जी उपलब्ध कराकर नप के अधिकारी अपना पीठ थपथपा रहे हैं. जबकि राज्य एवं केंद्र सरकार के द्वारा ऐसी महिलाओं के लिए जननी सुरक्षा योजना से लेकर कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. अपना दर्द बयां करते हुए रिंकी देवी ने बताया कि, 4 दिन पहले ही एक बच्चे को जन्म दिया है. नगर परिषद के द्वारा बच्चे को दूध उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन मुझे न तो दूध मिल रहा है और न ही पौष्टिक आहार, जिसके कारण मैं अपने बच्चे को दूध भी नहीं पिला पा रही हूं. मुझे दिन में एक बार और रात्रि में एक बार भोजन उपलब्ध कराया जाता है.

शहर के बीचों बीच बने जिस तीन मंजिले रैन बसेरा में 80 बेड होने का कार्यपालक पदाधिकारी ने दावा किया, वहां मात्र 33 बेड ही उपलब्ध हैं. रैन बसेरा में तैनात कर्मियों के द्वारा शौचालय के अंदर खराब पड़े सीलिंग फैन से लेकर , पाइप, बाल्टी एवं कबाड़ के सारे सामग्री को रख उसे स्टोर रूम बना दिया गया है. रैन बसेरा के प्रबंधक दिनेश कुमार से जब यह पूछा गया कि, 80 बेड में मात्र 33 बेड ही दिखाई दे रहा है. भाड़ा पर लिया गया अन्य बेड एवं कम्बल कहां है? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, जो दिखाई दे रहा है सामने है. भाड़ा पर क्या लिया गया है. इस बात की जानकारी हमें नहीं है और ना ही विभागीय अधिकारी उस दिव्यांग महिला को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए हमें राशि दिए हैं.

गौरतलब है कि, जिस रैन बसेरा में अतिरिक्त 30 बेड, 30 कम्बल 30 मच्छरदानी समेत अन्य सामग्री को भाड़े पर लेने की बात अधिकारी कह रहे हैं. वह बेड, कम्बल एवं अन्य सामग्री कहां है. साथ ही सवाल उठ रहे हैं कि, जब विभागीय अधिकारियों ने भाड़े पर कुछ लिया ही नहीं को आखिर उसका फर्जी बिल क्यों बनाया जा रहा है. ऐसे कई सवालों के घेरे में नगर परिषद के अधिकारी घिरे हुए हैं.

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