बक्सरः बिहार के बक्सर में चौसा थर्मल पावर प्लांट निर्माण (Thermal Power Plant compensation Dispute) स्थल के मुआवजे की मांग को लेकर किसानों और प्रशासन के बीच विवाद के बाद माहौल गरमाया हुआ है. पावर प्लांट के जमीन अधिग्रहण के एवज में किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिलने के मामले में कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने सरकार को आड़े हाथों लिया है.
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मुआवजे की मांगः सोमवार को चौसा स्थित बनारपुर गांव पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इस मसले पर बैठ कर बात होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रशासन और किसान बात कर इस मसले का हल निकाले. जो भी कानून सम्मत हो उस पर विचार करना चाहिए. वहीं पूरे मामले पर डीएम अमन समीर ने कहा कि किसानों को लैंड एक्विशन एक्ट के तहत मुआवजा दिया जा रहा है.
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'किसानों द्वारा कहा जा रहा है कि 2013-14 की दर से मुआवजा दिया जा रहा है, यह सही नहीं है. यह बात कही जा रही है कि किसी को ओल्ड रेट से मुआवजा दिया जा रहा है लेकिन ऐसा नहीं है. चौसा थर्मल पावर से संबंधित रेल कॉरिडोर और वाटर पाइप लाइन में मुआवजा राशि की गणना बिहार भू अर्जन अधिनियम 2013 के प्रावधानों के तहत की गई है' - अमन समीर, डीएम, बक्सर
डीएम की किसानों से अपील: जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि वह हर हाल में किसानों के साथ हैं. उन्होंने कहा कि सभी प्रभावित भू-धारकों से यह अनुरोध है कि वह मुआवजे की राशि के लिए आवेदन अंचल कार्यालय चौसा स्थित कैंप अथवा जिला भू अर्जन कार्यालय बक्सर में मुआवजा भुगतान हेतु अपना आवेदन दे सकते हैं. उन्हें एमवीआर का चार गुना अधिक भुगतान किया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि यदि किसानों को अब भी आपत्ति है तो वह आपत्ति के साथ मुआवजा ले सकते हैं और अतिरिक्त मुआवजे के लिए अपील में जा सकते हैं.
बक्सर में किसान आंदोलन : गौरतलब है कि चौसा में एसजेवीएन द्वारा पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया था. उसको लेकर पिछले कई महीनों से आंदोलन चल रहा है. आरोप है कि मंगलवार यानी 10 जनवरी की देर रात पुलिस ग्रामीणों के घर में घुसकर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों पर लाठीचार्ज (Lathi charge on farmers in Buxar) किया. जिसमें कई लोग घायल हो गए. इस मामले में प्रदेश की सियासत चरम पर है.