बक्सर: बिहार के बक्सर जिले के 1 लाख 42 हजार रजिस्टर्ड किसान रबी फसल की बुआई (Sowing Of Rabi Crop In Buxar) की तैयारी में हैं. कृषि विभाग के अधिकारियों के माध्यम से रबी महाअभियान 2021 (Rabi Crop Maha Abhiyan 2021) की शुरुआत की गई. जिलाधिकारी अमन समीर (DM Aman Sameer) ने कृषि विभाग के अधिकारियों को कई निर्देश जारी किये हैं. साथ ही कहा है कि कृषि विभाग के अधिकारी किसानों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनें.
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दलहन की बढ़ती कीमत को देखते हुए जिले में दलहनी फसलों की उत्पादकता पर विशेष बल देने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को जागरूक करने में लगे हुए हैं. राज्य सरकार के माध्यम से चना, मसूर, सरसों, तीसी, सूर्यमुखी, अरहर के अलावा गेंहू के लिए भी बीज उपलब्ध करा दिया गया है. जो भी किसान रबी फसल की बीज प्राप्त करना चाहते है, वह अपना आवेदन ऑनलाइन कर अनुदानित दर पर बीज प्राप्त कर सकते हैं.
जिले के चौसा, बक्सर, सिमरी, ब्रह्मपुर डुमराव, केसठ के अलावे सभी 11 प्रखण्ड में रबी फसल की बुआई की जाती है. इन सभी जगहों पर 1 नवम्बर से ही किसान बुआई शुरू कर देते है. वहीं, 15-25 नवम्बर तक रबी फसल की बुआई के लिए सबसे अधिक उत्तम समय माना जाता है. हालांकि जिस इलाके में धान की खेती होती है, वहां के किसान दिसंबर के पहले सप्ताह तक गेंहू की बुआई करते हैं. जिला कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के माध्यम से भी किसानों को रबी फसल की बीज उपलब्ध करायी जा रही है. यह बीज किसान कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर्ड है, वह कृषि विज्ञान केंद्र से भी उत्तम बीज प्राप्त कर सकते है. जिसे वैज्ञानिकों के देख-रेख में तैयार कराया गया है.
'किसानों को मिलने वाली सरकारी योजना का लाभ बंद कर देने से किसान पराली जलाना बंद नहीं कर देंगे. किसानों के बीच जाना होगा और इससे होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को बताना होगा. जिले के किसान जागरूक किसान हैं और वह नफा नुकसान समझते हैं. इसलिए जिले के सभी कृषि के पदाधिकारी किसानों के बीच जाएं और किसानों से बात करें.' -अमन समीर, जिलाधिकारी
जिलाधिकारी ने कहा कि किसानों को अधिक से अधिक सरकारी योजनाओं का लाभ मिले इस पर जोर दिया जाए. इसके साथ ही जो किसान अपनी समस्या बता रहे हैं, उसे विभागीय अधिकारियों को अवगत कराएं. जिससे उनकी समस्याओं को दूर किया जा सके. जो भी किसान नई तकनीक से कृषि कार्य कर रहे हैं, उनकी कहानी को लिखकर लाएं. जिसके बाद अगले महीने से कृषि विभाग के माध्यम से प्रकाशित किए जाने वाले मैगजीन में उनकी कहानी को प्रकाशित करें. जिसे पढ़कर अन्य किसान भी लाभान्वित हो.
जिलाधिकारी ने कहा कि बिहार खासकर शाहाबाद के चारों जिले की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है. जिसे देखते हुए कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को रोजगार परक कृषि के बारे में बताएं. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके. जिले में 90 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की फसल लगाई गई है.
वर्ष 2020 में जिले के 10 हजार किसान ही अपना धान पैक्स में बेच पाए थे. इस साल कम से कम 30 हजार किसान पैक्स में अपना धान बेच सकें, इसके लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन कराने से लेकर उनके धान भिजवाने में सहयोग करने के लिए जमीनी स्तर पर काम किया जाना चाहिए. जो किसान गंगा दियारा के इलाके के रहने वाले हैं, उन्हें खस और लेमन ग्रास की खेती को लेकर जो रोडमैप तैयार की जा रही है, उसके बारे में उनसे चर्चा कर उन्हें प्रेरित करना चाहिए.
इसके साथ ही जिलाधिकारी ने आगे कहा कि वर्ष 2020 में जिले में 1 लाख 50 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदारी करने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन लक्ष्य पूरा नहीं हो सका था. इस साल सरकार के माध्यम से अब तक लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है. लेकिन यहां के अधिकारी ने पिछले साल का जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उसी लक्ष्य को मानकर अभी से ही कार्य प्रारंभ कर दें. 1 नवंबर से धान अधिप्राप्ति का कार्य शुरू कर देना है. कहीं से भी बिचौलिया अपना धान पैक्स में नहीं बेच पाए इस पर विशेष नजर रखना है.
गौरतलब है कि जिले के 1 लाख 42 हजार से अधिक किसान रबी फसल की बुवाई की तैयारी में जुट गए हैं. कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को सरकारी दर पर बीज उपलब्ध कराने के लिए सभी तैयारी पूरी कर लिए हैं. इस साल दलहन की बढ़ती कीमत को देखते हुए तीसरे कृषि रोड मैप में दलहनी फसल की उत्पादकता पर विशेष बल देने का लक्ष्य रखा गया है. जिससे किसानों कि अर्थिक स्थिति भी मजबूत हो और दलहन की संकट को भी दूर किया जा सके.