बक्सर: जिले में गंगा नदी (Ganga River) खतरे के निशान से 16 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. गंगा की रौद्र रूप को देख कई लोग घर छोड़कर दूसरों के घरों में शरण लिए हुए हैं. जीवन दायिनी गंगा का यह विकराल रूप को देख लोग सहम गए हैं. जिले के चौसा प्रखण्ड (Chausa Block) के बनारपुर पंचायत के दर्जनों झोपड़ीनुमा मकान जहां बाढ़ के पानी (Flood Water) में पूरी तरह से डूब गए हैं.
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कई पक्के मकानों के अंदर पानी घुस गया है. लोग अपना घर छोड़कर दूसरे जगह पर शरण लिए हुए हैं. स्थानीय लोगों ने बताया की जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है. मई महीने से ही जिला प्रशासन के अधिकारी बाढ़ की तैयारी में लगे हुए थे. लेकिन जब बाढ़ ने दस्तक दे दिया तो सभी तैयारी कागजों पर ही दिखाई दे रही है. हकीकत में बाढ़ से बचाने की कोई तैयारी नहीं है.
हालांकि जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा यह जरूर कहा जा रहा है कि बाढ़ से पिछले 3 सालों में ना तो फसल बर्बाद हुआ है. और ना ही किसी का आशियाना उजड़ा है. हमारी तैयारी पूरी है. केवल गलियों में ही पानी प्रवेश किया है. सभी लोग अपने मकान में रह रहे हैं.
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जिले के चौसा, बक्सर, सिमरी, ब्रह्मपुर, और चक्की प्रखण्ड के लगभग 16 पंचायत बाढ़ से प्रभावित होता है. हजारों एकड़ में लगी धान की फसल, मवेशी का चारा, एवं सब्जी की फसल पूरी तरह से गंगा नदी की भेंट चढ़ जाती है. उसके बाद भी जिला प्रशासन के अधिकारी यह दावा करते हैं कि बाढ़ से कोई नुकसान नहीं होता. वहीं वहां के रहने वाले लोगों ने बताया कि सब कुछ डूब गया है. लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा कोई मदद नहीं मिल रही है.
वहीं चौसा प्रखण्ड के बनारपुर पंचायत के मुखिया रामभजन राम ने बताया कि बाढ़ के पानी में सब्जी से लेकर धान मवेशी का चारा सब कुछ डूब गया है. कई लोग घर छोड़कर पलायन कर गए है. उसके बाद वहीं जिला प्रशासन की तरफ से ना तो सामुदायिक किचन चलाया जा रहा है. और ना ही लोगों के लिए कहीं रहने की व्यवस्था की गई है.
'पिछले साल भी बाढ़ के कारण जो फसलें बर्बाद हो गई उसका मुआवजा आज तक किसी को नहीं मिला. जबकि सरकार बाढ़ के नाम पर हजारों करोड़ों रुपया, खर्चा करने का दावा करती है.' : रामभजन राम, मुखिया
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गौरतलब है कि जिले में बाढ़ की स्थिति गम्भीर है. गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. गंगा, दियारा के कई गांवों को बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं. उसके बाद भी जिले में कहीं भी ना तो सामुदायिक किचन चलाया जा रहा है और ना ही, बाढ़ पीड़ितों को अब तक किसी तरह की मदद पहुंचाई गई है. जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बिहार सरकार के अधिकारी बाढ़ को लेकर कितना गम्भीर है.
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