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आलू और टमाटर पर मौसम की मार, औने-पौने दाम में फसल बेचने को मजबूर किसान

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Published : Jan 21, 2021, 9:07 AM IST

Updated : Jan 21, 2021, 9:14 AM IST

बदलते मौसम के चलते जिले में आलू और टमाटर के फसल पर ग्रहण लग गया है. फसल पीले पड़ने शुरू हो गए हैं. नुकसान से बचने के लिए किसान अब फसल को औने-पौने दाम में बेच रहे हैं.

बक्सर में मौसम की मार
बक्सर

बक्सर: पिछले एक सप्ताह से मौसम में हो रहे उतार चढ़ाव के कारण किसानों की परेशानी बढ़ गई है. खेत में लगे फसलों को अब पाला मारने लगा है. जिस कारण फसलों के पत्ते पीले होकर सूखने लगे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की माने तो 28 जनवरी तक इसी तरह मौसम में उतार चढ़ाव देखने को मिलेगा. जिसने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है.

यह भी पढ़ें: जिसे उंगली पकड़कर चलना सिखाया, 19 साल बाद वही हाथ पकड़कर घर लाया

टमाटर और आलू के फसल पर पड़ रहा है अधिक प्रभाव
बदलते मौसम का सबसे अधिक असर टमाटर और आलू के फसल पर देखने को मिल रहा है. जिले के किसानों ने 950 हेक्टेयर भूमि पर टमाटर फसल की फसल लगाई है. लेकिन मौसम के मिजाज को देखते हुए वे नुकसान से बचने के लिए टमाटर को बाजार में औने-पौने दाम में बेचना शुरू कर दिए हैं. सब्जी की खेती करने वाले किसान कन्हैया कुमार ने बताया कि, फसलों को पाला मारने लगा है. नुकसान से बचने के लिए टमाटर को तोड़कर बाजार में ले जा रहे है. लेकिन शादी विवाह के सीजन होने के बावजूद टमाटर की सही कीमत नहीं मिल पा रही है. बाजार में 5 रुपए किलो के भाव से भी टमाटर नहीं खरीदी जा रही है. जबकि 150 रुपए प्रति किलो टमाटर की बीज खरीद कर फसल की बुआई की थी. कन्हैया ने कहा कि यही हालत गोभी के फसल की भी है. बाजार में 7 रुपए किलो के दर से भी कोई दुकानदार गोभी खरीदने को तैयार नहीं है.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: रूपेश हत्याकांड: हर दिन नए मोड़ पर जांच, 10वें दिन भी पुलिस के हाथ खाली

28 जनवरी तक बना रहेगा मौसम में उतार-चढ़ाव
किसानों के इस परेशानी को लेकर जिला कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर मंधाता सिंह ने कहा कि, 28 जनवरी तक मौसम में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. उन्होंने कहा कि किसान अपने खेतों की नियमित रूप से मोनिटरिंग करते रहें. यदि खेत के किसी भी हिस्सा में पता सूखने का लक्षण दिखाई दे तो तत्काल दवा का छिड़काव करें. उन्होंने कहा कि नियमित रूप से धूप नहीं निकलने और तापमान में गिरावट आने के कारण फसलों पर इसका असर दिखाई दे रहा है. किसानों को नुकसान से बचाने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र पर किसान फोन कर जानकारी ले सकते हैं.

गौरतलब है कि, मौसम में हो रहे उतार चढ़ाव ने किसानों के साथ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों का भी चिंता बढ़ा दी है. यही कारण है कि कृषि वैज्ञानिक खेतों में जाकर फसलों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.

बक्सर: पिछले एक सप्ताह से मौसम में हो रहे उतार चढ़ाव के कारण किसानों की परेशानी बढ़ गई है. खेत में लगे फसलों को अब पाला मारने लगा है. जिस कारण फसलों के पत्ते पीले होकर सूखने लगे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की माने तो 28 जनवरी तक इसी तरह मौसम में उतार चढ़ाव देखने को मिलेगा. जिसने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है.

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टमाटर और आलू के फसल पर पड़ रहा है अधिक प्रभाव
बदलते मौसम का सबसे अधिक असर टमाटर और आलू के फसल पर देखने को मिल रहा है. जिले के किसानों ने 950 हेक्टेयर भूमि पर टमाटर फसल की फसल लगाई है. लेकिन मौसम के मिजाज को देखते हुए वे नुकसान से बचने के लिए टमाटर को बाजार में औने-पौने दाम में बेचना शुरू कर दिए हैं. सब्जी की खेती करने वाले किसान कन्हैया कुमार ने बताया कि, फसलों को पाला मारने लगा है. नुकसान से बचने के लिए टमाटर को तोड़कर बाजार में ले जा रहे है. लेकिन शादी विवाह के सीजन होने के बावजूद टमाटर की सही कीमत नहीं मिल पा रही है. बाजार में 5 रुपए किलो के भाव से भी टमाटर नहीं खरीदी जा रही है. जबकि 150 रुपए प्रति किलो टमाटर की बीज खरीद कर फसल की बुआई की थी. कन्हैया ने कहा कि यही हालत गोभी के फसल की भी है. बाजार में 7 रुपए किलो के दर से भी कोई दुकानदार गोभी खरीदने को तैयार नहीं है.

देखें रिपोर्ट

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28 जनवरी तक बना रहेगा मौसम में उतार-चढ़ाव
किसानों के इस परेशानी को लेकर जिला कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर मंधाता सिंह ने कहा कि, 28 जनवरी तक मौसम में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. उन्होंने कहा कि किसान अपने खेतों की नियमित रूप से मोनिटरिंग करते रहें. यदि खेत के किसी भी हिस्सा में पता सूखने का लक्षण दिखाई दे तो तत्काल दवा का छिड़काव करें. उन्होंने कहा कि नियमित रूप से धूप नहीं निकलने और तापमान में गिरावट आने के कारण फसलों पर इसका असर दिखाई दे रहा है. किसानों को नुकसान से बचाने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र पर किसान फोन कर जानकारी ले सकते हैं.

गौरतलब है कि, मौसम में हो रहे उतार चढ़ाव ने किसानों के साथ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों का भी चिंता बढ़ा दी है. यही कारण है कि कृषि वैज्ञानिक खेतों में जाकर फसलों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.

Last Updated : Jan 21, 2021, 9:14 AM IST
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