ETV Bharat / state

लॉकडाउन का प्रभाव: लोगों का छीन गया रोजगार, तो कफन चुन रहा यह परिवार

बक्सर में लगे लॉकडाउन के कारण गरीब काफी परेशान हैं. नगर थाना क्षेत्र के किला मैदान के आसपास झोपड़पट्टी में रहने वाला गरीब परिवार इन दिनों श्मशान घाट पर बिखरे पड़े कफन को चुन कर लाता है. इसको बेचकर मिले पैसे से घर चलाता है.

lockdown
lockdown
author img

By

Published : Jul 17, 2020, 12:39 PM IST

Updated : Jul 17, 2020, 1:12 PM IST

बक्सरः कोरोना वैश्विक महामारी ने मेहनत करने वाले इंसान को भी हाथ फैलाने पर मजबूर कर दिया है. दैनिक मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले लोगों को इस संक्रमण के डर से अब कोई काम देने के लिए भी तैयार नहीं है. जिसके कारण शहर के झोपड़पट्टी में रहने वाला कई ऐसे परिवार हैं. जिसके घर का चूल्हा ठंडा पड़ने लगा है.

श्मशान बना सहारा
बता दें कि बक्सर में कई ऐसे परिवार हैं, जिनसे लॉकडाउन के कारण रोजगार छिन गया है. जिसके कारण वो प्रतिदिन श्मशान घाट पर बिखरे पड़े कफन को चुन कर लाते है, उसे धोते है और सुखाने के बाद, उसे बेचकर जो आमदनी होती है. उसी से अपना परिवार चलाते हैं.

lockdown
कफन चुनता व्यक्ति

क्या कहते है लोग
नगर थाना क्षेत्र के किला मैदान के आसपास झोपड़पट्टी में रहने वाले लालबाबू बताते हैं कि प्रशासन की तरफ से पूरे लॉकडाउन में हम लोगों को कोई मदद नहीं मिला था. बीच में अनलॉक हुआ तो दैनिक मजदूरी कर हमलोगों ने किसी तरह से अपना परिवार का भरण पोषण किया. लेकिन 10 जुलाई से ही बक्सर में फिर लॉकडाउन लग गया. अब कोई काम देने के लिए भी तैयार नहीं है.

देखें पूरी रिपोर्ट

वहीं, लालबाबू ने बताया कि परिवार के भरण-पोषण के लिए प्रतिदिन श्मशान घाट में जाकर मृतक के शरीर पर से उतरा हुआ कफन को हम लोग चुनकर लाते है और उसी को साफ कर बेचते है, उससे जो पैसा मिलता है, उसी से अपने परिवार का गुजारा कर रहे है.

कफन बेच कर रहे परिवार का गुजारा
सदर डीएसपी के आवास के पास झोपड़पट्टी में रहने वाली एतवारी देवी ने बताया कि डीएसपी कोठी में प्रतिदिन झाड़ू लगाने पर 30 रुपये मिलता था. उसी से किसी तरह 100 लोगों का गुजारा होता था. लेकिन इस कोरोना वायरस के कारण वहां से भी काम छूट गया, तो अब सारा परिवार श्मशान घाट में जाकर प्रतिदिन कफन चुनकर लाता है और उसी से परिवार चल रहा है.

बक्सरः कोरोना वैश्विक महामारी ने मेहनत करने वाले इंसान को भी हाथ फैलाने पर मजबूर कर दिया है. दैनिक मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले लोगों को इस संक्रमण के डर से अब कोई काम देने के लिए भी तैयार नहीं है. जिसके कारण शहर के झोपड़पट्टी में रहने वाला कई ऐसे परिवार हैं. जिसके घर का चूल्हा ठंडा पड़ने लगा है.

श्मशान बना सहारा
बता दें कि बक्सर में कई ऐसे परिवार हैं, जिनसे लॉकडाउन के कारण रोजगार छिन गया है. जिसके कारण वो प्रतिदिन श्मशान घाट पर बिखरे पड़े कफन को चुन कर लाते है, उसे धोते है और सुखाने के बाद, उसे बेचकर जो आमदनी होती है. उसी से अपना परिवार चलाते हैं.

lockdown
कफन चुनता व्यक्ति

क्या कहते है लोग
नगर थाना क्षेत्र के किला मैदान के आसपास झोपड़पट्टी में रहने वाले लालबाबू बताते हैं कि प्रशासन की तरफ से पूरे लॉकडाउन में हम लोगों को कोई मदद नहीं मिला था. बीच में अनलॉक हुआ तो दैनिक मजदूरी कर हमलोगों ने किसी तरह से अपना परिवार का भरण पोषण किया. लेकिन 10 जुलाई से ही बक्सर में फिर लॉकडाउन लग गया. अब कोई काम देने के लिए भी तैयार नहीं है.

देखें पूरी रिपोर्ट

वहीं, लालबाबू ने बताया कि परिवार के भरण-पोषण के लिए प्रतिदिन श्मशान घाट में जाकर मृतक के शरीर पर से उतरा हुआ कफन को हम लोग चुनकर लाते है और उसी को साफ कर बेचते है, उससे जो पैसा मिलता है, उसी से अपने परिवार का गुजारा कर रहे है.

कफन बेच कर रहे परिवार का गुजारा
सदर डीएसपी के आवास के पास झोपड़पट्टी में रहने वाली एतवारी देवी ने बताया कि डीएसपी कोठी में प्रतिदिन झाड़ू लगाने पर 30 रुपये मिलता था. उसी से किसी तरह 100 लोगों का गुजारा होता था. लेकिन इस कोरोना वायरस के कारण वहां से भी काम छूट गया, तो अब सारा परिवार श्मशान घाट में जाकर प्रतिदिन कफन चुनकर लाता है और उसी से परिवार चल रहा है.

Last Updated : Jul 17, 2020, 1:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.