बक्सर: गंगा नदी (Ganga River) को स्वच्छ बनाने के लिए मोदी सरकार द्वारा अलग विभाग का गठन किया गया था. इसके बाद भी जन भागीदारी और जन जागरूकता के अभाव में नमामि गंगे योजना धरातल पर नहीं उतर पाई. अब तक 20 अरब 37 करोड़ से अधिक राशि केंद्र और राज्य की सरकारों ने खर्च कर दिया.
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2014 में बतौर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में गंगा की सफाई का जिक्र किया था. उन्होंने गंगा को नमन करते हुए कहा था कि 'ना मैं यहां खुद आया हूं, ना किसी ने मुझे लाया है. मुझे तो गंगा मां ने बुलाया है.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआती साल में गंगा की सफाई को लेकर गंभीरता दिखाई थी. इसके लिए गंगा संरक्षण मंत्रालय बनाया गया और इसकी जिम्मेदारी साध्वी उमा भारती को सौंपी गई.
2018 तक गंगा को साफ करने का लक्ष्य रखा गया था. 10 जुलाई 2014 को सरकार के पहले बजट में अगले 6 साल में गंगा जल मार्ग का विकास करने की बात कही गई थी. इसके लिए 4200 करोड़ रुपये का प्रस्ताव पास किया गया. इसके अलावा सरकार ने 5 साल के लिए एकमुश्त 20 अरब 37 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ समन्वित गंगा संरक्षण मिशन, 'नमामि गंगे' शुरू करने की बात कही थी. गंगा संरक्षण मंत्रालय ने दावा किया था कि 2018 तक गंगा साफ हो जाएगी.
इसके बाद डेडलाइन मार्च 19 तक बढ़ा दी गई. कहा गया कि मार्च 2019 तक 80 फीसदी तक गंगा साफ हो जाएगी. इसके बाद भी जब गंगा नदी साफ नहीं हो पाई तो सरकार लगातार समय सीमा बढ़ाती जा रही है. तमाम प्रयासों के बावजूद गंगा सफाई पर अब भी सवाल उठ रहे हैं. गंगा की सफाई के लिए सरकार के प्रयासों का मूल्यांकन करने वाली एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि गंगा सफाई के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी गंगा की सफाई को लेकर सरकार को फटकार लगा चुका है.
नमामि गंगे योजना को धरातल पर उतारने और जन भागीदारी को बढ़ाने के लिए बक्सर जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा शहर के एमपी हाई स्कूल में भिन्न-भिन्न विद्यालय के छात्र-छात्राओं के बीच नमामि गंगे चित्रकारी प्रतियोगिता का आयोजन कराया गया. छात्र- छात्राओं ने तस्वीर बनाकर लोगों को गंगा का महत्व बताने का प्रयास किया. एमपी हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक विजय मिश्रा ने कहा, 'नमामि गंगे योजना को धरातल पर उतारने के लिए सरकार चाहे जो भी प्रयास कर ले, लेकिन जब तक उसमें जनभागीदारी नहीं होगी तब तक यह संभव नहीं है.'
"अभी भी अधिकांश लोग गंगा के महत्व को नहीं समझ पा रहे हैं. लोगों को जागरूक करने और इस अभियान से जोड़ने के उद्देश्य से बच्चों के बीच चित्रकारी प्रतियोगिता कराई गई. इस तरह के आयोजन से बच्चों में गंगा की स्वच्छता की भावना जागृत होगी."- विजय मिश्रा, प्रधानाध्यापक, एमपी हाई स्कूल, बक्सर
प्रतियोगिता में भाग ले रहे छात्र संतोष कुमार ने कहा, 'चित्रकारी के माध्यम से गंगा नदी के प्रदूषण के तमाम कारणों को मैंने दर्शाने का प्रयास किया है ताकि लोग जागरूक हो सकें.' चित्रकारी प्रतियोगिता में शामिल छात्र-छात्राओं के बीच पहुंचे जिला उप निर्वाचन पदाधिकारी आशुतोष राय ने कहा, 'यह कहना बड़ा ही मुश्किल है कि किस बच्चे की तस्वीर सबसे खूबसूरत है. बच्चों ने एक से बढ़कर एक तस्वीर बनाई है.'
"हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मरण तक सभी संस्कार गंगा नदी पर निर्भर हैं. इसके बाद भी लोग गंगा नदी को दूषित करने में लगे हुए हैं और इसके महत्व को नहीं समझते हैं. गंगा को स्वच्छ बनाने और इस नदी के संरक्षण के लिए देश के प्रत्येक व्यक्ति को आगे आना चाहिए. आज हमारी गंगा मां कूड़े-कचरे के बोझ में दबकर कराह रही है."- आशुतोष राय, जिला उपनिर्वाचन पदाधिकारी
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