बक्सर: इन दिनों दक्षिण बिहार के कई इलाकों में भयंकर सुखाड़ से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है. धान के कटोरे के नाम से पूरे देश में विख्यात शाहाबाद (Rice Bowl Shahabad) के बक्सर जिले में अब तक ना तो इंद्र की कृपा बरसी और ना ही अधिकारियों ने ही दरियादिली दिखाई. जिसके कारण 80 प्रतिशत से अधिक धान के बिचड़े खेतो में ही सूख गए है. इस नुकसान से किसानों के अरमानों पर दरार पड़ गए हैं. अब तक जिले में 10 प्रतिशत भी धान की रोपनी नहीं हो पाई है.
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ग्राउंड जीरो के क्या हैं हालात?: सूखे की स्थिति का जायजा लेने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम जिले के सदर प्रखंड के जगदीशपुर पंचायत के कुल्हड़िया गांव में पहुंची तो वहां मात्र 1.3 प्रतिशत ही अब तक धान की रोपनी हो पायी है. अधिकांश किसानों के बिचड़े खेतो में ही सूख गए हैं. ऐसे में अब किसान आसमान की तरफ टकटकी निगाहें लगाकर बैठे हैं. बता दें कि ना तो इन गांवों में नहरों की कोई सुविधा है और ना ही बारिश हो रही है. किसानों की मानें तो पिछले 1 सप्ताह से एग्रीकल्चर फीडर से 16 घंटे बिजली मिल रही है, लेकिन अधिकांश ट्यूबवेल और चापाकल सूख गए हैं. जिस वजह से किसानों को बिजली का भी विशेष लाभ नहीं मिल पा रहा है.
बारिश के इंतजार में किसान: गौरतलब है कि 25 मई से रोहिणी नक्षत्र की शुरूवात होती है. जिले के 80% किसान इस नक्षत्र में इस उम्मीद पर धान की बिचड़ा डाल देते है. 5 जुलाई से पहले वह धान की रोपनी कर लेंगे खेतों में अच्छी पैदावार होगी, लेकिन आलम ये है की जुलाई महीने समापन की ओर है और अब तक धान की रोपनी नहीं हो पाई है. बिचड़े भी खेतों में ही सूख गए हैं. वैसे किसान जिन्होंने आदरा नक्षत्र में बिचड़ा डाला था, अब उनकी भी उम्मीदें टूटने लगी है. खेतों के साथ उनके माथे पर भी दरार पड़ने लगे हैं.
इन जिलों में हुई कम बारिश: कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो बिहार के गया, अरवल, औरंगाबाद, बांका, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, जमुई, कैमूर, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, नालंदा, नवादा, वैशाली में सबसे कम बारिश हुई है. जिसको देखते हुए किसानों को एग्रीकल्चर फीडर से 16 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जा रही है. साथ ही साथ डीजल अनुदान की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है. जब इस मामले को लेकर जिले के कृषि अधिकारी से बात हुई तो उन्होंने कहा कि हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
पलायन करने को मजबूर हुए किसान: सुखाड़ के हालात को लेकर ईटीवी भारत की टीम किसानों से बात की तो किसानों का दर्द छलक आया. किसानों ने बताया कि हमारे गांव में ना तो नहर की कोई सुविधा है और ना ही इंद्र की कृपा बरस रही है. जिसके कारण हालात बेहद ही गंभीर हैं. खेतों में ही खड़े-खड़े धान के बिचड़े सूख गए है. जमींदार मालगुजारी के पैसे के लिए दबाव बना रहा है. ऐसी हालत में मजदूरी करने के लिए हम लोग दूसरे प्रदेशों में जाने की तैयारी कर रहे हैं. नेता और अधिकारी झूठे आश्वासन देकर किसानों को गुमराह कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर नहरों में पानी उपलब्ध करा देने की झूठी खबर फैलायी जा रही है लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि नहरों में पानी नहीं आया है.
सहायता नहीं मिलने से किसान नाराज: किसानों का कहना है कि चुनाव जीतकर जाने के बाद कोई नेता अब तक इन गांव में नहीं आया. जिससे अपने परेशानियों को साझा किया जाए. अधिकारी भी बड़े-बड़े किसानों के दरवाजे पर ही चक्कर लगाकर निकल जाते हैं लेकिन छोटे किसानों की बात भी सुनने वाला कोई नहीं है. यदि फसल की पैदावार नहीं हुई तो कर्ज के बोझ तले दबे किसान कई सालों तक इससे उबर नही पाएंगे. बच्चों का भविष्य अधर में लटक जाएगा, बिटिया बिन ब्याही रह जाएगी. सरकार ने अब तक इस जिले को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया है. अंत समय में नहरों के पानी छोड़ कर केवल कोरम पूराकर अधिकारी झूठी रिपोर्ट भेज देंगे.
सरकार से सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग: किसानों के इस समस्या को लेकर जब सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी (Congress MLA Sanjay Tiwari) उर्फ मुन्ना तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि स्थिति बेहद ही गंभीर है. किसानों के खेतों में ही बिछड़े सूख गए हैं. आलम यह है कि इलाके में धान की रोपनी ना के बराबर हुआ है. ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह को पत्र लिखकर इस जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने का मांग की जाएगी.
विशेषज्ञों ने कहा- 'खेती के लिए स्थिति खराब': जिले में सुखाड़ की स्थिति को लेकर जब कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ मांधाता सिंह से हमारे संवाददाता ने बात की तो उन्होंने बताया कि स्थिति बेहद ही गंभीर है. बहुत ही सीमित मात्रा में धान की रोपनी अपने संसाधनों के सहारे कुछ किसानों ने किया है लेकिन वैसे किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, जिन्होंने रोहिणी नक्षत्र में इस उम्मीद पर धान का बिचड़ा डाले थे कि 5 जुलाई से पहले वह धान की रोपनी कर पाएंगे. बारिश नहीं होने के कारण उनके धान के बिचड़े सूख गए. अब यदि बारिश हो भी जाती है तो पैदावार कम होने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. खर्च बढ़ेंगे और फसल में बीमारियां लगने की संभावना बनी रहेगी.
"जिले में हल्की बारिश हो रही है. किसानों को भरपूर बिजली की सप्लाई की जा रही है. लगभग 8 से 10% किसानों ने अपने संसाधन से अब तक धान की रोपनी कर चुके हैं. स्थिति की लगातार आकलन कर प्रदेश मुख्यालय को इसका रिपोर्ट प्रतिदिन भेजा जा रहा है. किसानों का हरसंभव सुविधा मुहैया कराया जाएगा" -मनोज कुमार, कृषि पदाधिकारी
1 लाख हेक्टर से अधिक जमीन: गौरतलब है कि पूरे जिले में 1 लाख 47 हजार 763 किसानों के द्वारा 97 हजार 701 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. कृषि विभाग के अधिकारियों का यह दावा है कि 8-10 % भूमि पर किसानों ने ट्यूबेल एवं अन्य संसाधनों के सहारे धान की रोपनी किया है. लेकिन बारिश नहीं होने के कारण धान की बिछड़े खेतों में ही सूख गया है. किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि मौसम की बेरुखी ऐसे ही बनी रही तो भोजन के लाले पड़ जाएंगे.
"जिले में सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री को मैंने पत्र लिखा है और मांग की गयी है कि जिले को सुखाड़ ग्रस्त घोषित किया जाए. किसानों की समस्या को दूर किया जा सके जिसके लिए प्रतिदिन सुबह 11बजे से लेकर शाम 5 बजे तक जिला अतिथि गृह में बैठकर पूरे जिले से आने वाले किसानों की समस्याओं को सुनता हूं" -संजय तिवारी, कांग्रेस विधायक
"ना तो बारिश हो रही है और ना नहर की व्यवस्था है. बोरिंग के पानी से कितान फसल होगा. कई किसानों ने धान के बिचड़े खेतो में ही सूख गए है. सरकार और अधिकारियों से अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है. सबसे ज्यादा प्रभावित छोटे किसान हुए हैं. रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करना किसानों ने शुरू कर दिया है. मुफ्त बिजली का क्या फायदा, जब अधिकतर बोरिंग खराब हो चुके है" - विनोद गोंड, किसान