बक्सर: बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था के बदहाली का आलम सूबे के हर जिले से देखने को मिल रहा है. कहीं, अस्पतालों की इमारत जर्जर हैं. तो कहीं, अस्पताल प्रशासन का पूरा का पूरा महकमा चौपट हो गया है. सुशासन बाबू के राज में बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहाल है. प्रदेश के लोग भगवान भरोसे हैं. इसी का एक और उदाहरण सूबे से आने वाले कद्दावर नेता और केन्द्र में स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभाले अश्वनी चौबे के संसदीय क्षेत्र का है. केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री का संसदीय क्षेत्र बक्सर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल गर्त में जा चुका है.
सरकारी अस्पताल का आलम यह है कि डॉक्टर साहब घर पर अराम फरमा रहें हैं. सदर अस्पातल में कार्यरत कर्मियों की मिली भगत के चलते अस्पताल में धड़ल्ले से फर्जीवाड़ा का खेल चल रहा है. ऑन ड्यूटी डॉक्टर अस्पताल में गायब मिलते हैं. लेकिन फिर भी नित दिन उनकी हाजरी लग जाती है. और महीने के अंत में पूरा तनख्वाह 'डॉक्टर साब' के खाते में चला जाता है. फर्जीवाड़ा का यह पूरा खेल ईटीवी की पड़ताल में सामने आया है.
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रोस्टर में ऑन ड्यूटी डॉक्टर मिले गायब
राज्य सरकार कोरोना काल में भले ही रिकवरी रेट के मामले में तीसरे नंबर पर आने पर भले ही अपनी पीठ थपथपा ले. लेकिन अस्पतालों का बदहाली का आलम यह है कि रोस्टर में ऑन ड्यूटी दिखाए जाने वाले डॉक्टर साहब अस्पताल से गायब रहते हैं. दरअसल, जिले के सदर अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों के सब्र का बांध उस वक्त टूट गया. जब रोस्टर ड्यूटी में तैनात एक साथ आधा दर्जन से अधिक डॉक्टर सदर अस्पताल से गायब मिले. डॉक्टरों के कैबिन से अनुपस्थित रहने के बावजूद भी रोस्टर डिस्पले में उन्हें उपस्थित दिखाया जा रहा था. जिसे देखकर मरीज घंटों कतारबद्ध बैठ टकटकी लगाए अपने और अपनों के बीमारी के उपचार होने का इंतजार करते रहे.
मरीजों ने इटीवी भारत के टीम को दी सूचना
मरीजों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार जब इटीवी भारत के टीम अस्पताल पहुंचकर पड़ताल करना शुरू की. तो स्थित उससे भी ज्यादा बुरी थी. मेन गेट पर लगे डिस्प्ले पर डॉक्टर साहब का नाम प्रकाशित हो रहा था. मरीज ओपीडी के सामने ठिठुरते हुए अपने बारी का इंतजार कर रहे थे. जबकि डॉक्टर साहब के जगह उनके कैबिन में सिर्फ उनकी कुर्सी टेबल ही ड्यूटी कर रही थी. साहब अस्पताल से गायब थे.
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लम्बे समय से चल रहा है यह फर्जीवाड़ा का यह खेल
सदर अस्पताल के सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मियों ने जैसे ही अस्पताल प्रशासन को मीडिया कर्मियो के आने की सूचना दी. पूरे अस्पताल में हड़कम्प मच गया. आनन-फानन में डिस्प्ले बोर्ड पर प्रकाशित होने वाले स्वास्थ्य कर्मियो की सूची और दवा के लिस्ट को तत्काल रोककर मॉनिटर में लगे पेनड्राइव को निकाल लिया गया. साथ ही गायब चिकित्सकों को फोन कर सूचना दी जाने लगी. उसी दौरान अस्पताल में मौजूद एक स्वास्थ्यकर्मी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि फर्जी हाजरी बनाने का यह काला कारोबार वर्षो से चल रहा है. सरकारी अस्पताल के जगह डॉक्टर साहब अपना निजी क्लिनीक चलाते हैं. जबकि रोस्टर में नाम यहां प्रकाशित किया जाता है.
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राजनीतिक संरक्षण के चलते स्वास्थ्य व्यवस्था ठप
सरकारी अस्पताल के स्वास्थय कर्मियों के मनमानी के पीछे राजनेताओं का हाथ होने का मामला सामने आया है. कहा जाता है कि, केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र होने के कारण यहां वही स्वास्थ्यकर्मी ड्यूटी करते हैं. जो मन्त्री जी के खास हैं. जिसके चलते लाख शिकायत मिलने के बावजूद कोई किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं, कार्रवाई करने वाले अधिकारियों पर उल्टे ही कार्रवाई कर उनका तबादला कर दिया जाता है.
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क्या कहते हैं मरीज
सदर अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे सोनू कुमार ने बताया कि डिस्प्ले पर प्रकाशित होने वाले डॉक्टर का नाम पढ़कर 4 घण्टे से इलाज कराने की इंतजार में बैठे हैं. लेकिन अभी तक डॉक्टर साहब नहीं पहुंचे हैं. जबकि रोस्टर डिस्पले में उनकी उपस्थिति दिखाई जा रही है. मरीज ने कहा कि इससे बड़ा और दुर्भाग्य क्या होगा कि जिस बक्सर के लोगों ने भारत सरकार में 2 बार स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री दिया हो. उसके बाद भी वहां के अस्पताल बदहाल हैं.
वहीं, सदर अस्पताल में अपनी बेटी के इलाज कराने पहुंची सरिता देवी ने अपना भड़ास निकालते हुए कहा कि डॉक्टर को खोजते-खोजते सुबह से दोपहर आ गई. लेकिन ना तो नर्स मिली और ना ही डॉक्टर साहब मिले. अगर अस्पताल की ऐसी हालत है तो इसे बन्द ही कर देना चाहिए. सरिता देवी ने कहा कि, 'जहां रुई से लेकर सुई तक खरीदने के बाद भी इलाज करने के लिए डॉक्टर नहीं रहते हैं. छोटे-छोटे जांच के लिए निजी जांच घर मे भेज दिया जाता है. जहां केवल पैसे का दोहन किया जाता है. फिर सरकारी अस्पताल का क्या मतलब रह जाता है. इसे बंद कर देना चाहिए. मरीज से ज्यादा तो यह अस्पताल बीमार है'.
हम नहीं सीएस बताएंगे आपको
अस्पताल में डॉक्टरों की रोस्टर ड्यूटी लगाने वाले अस्पताल प्रबंधक दुष्यंत सिंह से जब इस मामले को लेकर पूछा गया. तो उनका जवाब भी सीधा था. हम नहीं सीएस बताएंगे. वहीं, प्रभारी सीएस डॉक्टर नरेश कुमार ने कहा कि जांच के बाद करवाई होगी.