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मौसम की मार से बक्सर के किसान बेहाल, बारिश से तिलहन और दलहन की फसल को भारी नुकसान - ईटीवी न्यूज

बक्सर के किसान मौसम की मार से बेहाल हैं. जिले में 3 और 4 फरवरी को हुई आफत की बारिश से तिलहन और दलहन की फसल को नुकसान (oilseeds and pulses crop damage in Buxar) पहुंची है. जिले के चौसा, सिमरी, ब्रह्मपुर, डुमराव के अलावा बक्सर प्रखण्ड के दियारा इलाके में किसान बड़े पैमाने पर तिलहनी और दलहन की खेती करते हैं. गेहूं को छोड़कर सभी फसलों बारिश से नुकसान हुआ है.

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Published : Feb 6, 2022, 6:50 AM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर जिले में माघ महीने में सावन भादो की तरह हुई बारिश (rain in buxar district) ने पिछले 8 सालों का रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. जिले में 3 और 4 फरवरी को हुए इस मूसलाधार बारिश ने तिलहन और दलहन की फसल को भारी नुकसान (crop damage in Buxar due to rain) पहुंचाया है. कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर्ड 2 लाख 9 हजार किसानों द्वारा 1 लाख 6 हजार हेक्टेयर भूमि पर रवि फसल की बुवाई की गई है. जिले के चौसा, सिमरी, ब्रह्मपुर, डुमराव इलाके में किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर तिलहन और दलहन फसल की बुवाई की गई है. वही, पूरे जिले में लगभग 30 हजार हेक्टेयर भूमि पर तिलहन और दलहनी की खेती हुई है. किसानों के लिए यह आफत की बारिश बन गई है.

क्या कहते हैं किसान
तिलहन एवं दलहन फसल की खेती करने वाले किसान राजेश चौधरी ने बताया कि इस बारिश से रवि के सभी फसलों को भारी नुकसान हुआ है. सरसों की फसल खेतों में गिर गई है. मसूर, अरहर एवं अन्य दलहन फसल के फूल तेज आंधी बारिश से गिर गये हैं. गेंहू के खेतों में जल जमाव होने से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. नदाव गांव के उरवर्क विक्रेता दुकानदार 266 रुपये की यूरिया 500 रुपये बेच रहे हैं. किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: बक्सर में यूरिया की किल्लत, खाद के लिए यूपी पर निर्भर हुए किसान

क्या कहते हैं वैज्ञानिक
किसानों की इस परेशानी को लेकर जब कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मांधाता सिंह से पूछा गया तो उन्होंने भी यह माना कि गेहूं की फसल को छोड़कर जिले में 2 दिनों तक हुई बारिश ने तिलहन और दलहन की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. जिन किसानों के खेतों में जल जमाव की स्थिति है, वे तत्काल पानी निकाल दें. यूरिया नहीं भी मिल रहा है तो अपने खेतों में नैनो यूरिया या एनपीके और सल्फर का छिड़काव करें. इससे गेहूं की फसल का रंग पीला नहीं होगा.

ये भी पढ़ें: Bihar MLC Elections: एनडीए ने झोंकी ताकत, आरा-बक्सर से राधा चरण सेठ होंगे एनडीए के प्रत्याशी

बताते चलें नवंबर महीने में रवि फसल की बुवाई के समय किसानों को डीएपी नहीं मिला. उसके बाद भी किसानों ने खरपतवार के सहारे अपने खेतों की बुवाई की. जब फसलों में फूल और बाली आने लगे तो 3 और 4 फरवरी को हुई मूसलाधार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

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बक्सर: बिहार के बक्सर जिले में माघ महीने में सावन भादो की तरह हुई बारिश (rain in buxar district) ने पिछले 8 सालों का रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. जिले में 3 और 4 फरवरी को हुए इस मूसलाधार बारिश ने तिलहन और दलहन की फसल को भारी नुकसान (crop damage in Buxar due to rain) पहुंचाया है. कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर्ड 2 लाख 9 हजार किसानों द्वारा 1 लाख 6 हजार हेक्टेयर भूमि पर रवि फसल की बुवाई की गई है. जिले के चौसा, सिमरी, ब्रह्मपुर, डुमराव इलाके में किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर तिलहन और दलहन फसल की बुवाई की गई है. वही, पूरे जिले में लगभग 30 हजार हेक्टेयर भूमि पर तिलहन और दलहनी की खेती हुई है. किसानों के लिए यह आफत की बारिश बन गई है.

क्या कहते हैं किसान
तिलहन एवं दलहन फसल की खेती करने वाले किसान राजेश चौधरी ने बताया कि इस बारिश से रवि के सभी फसलों को भारी नुकसान हुआ है. सरसों की फसल खेतों में गिर गई है. मसूर, अरहर एवं अन्य दलहन फसल के फूल तेज आंधी बारिश से गिर गये हैं. गेंहू के खेतों में जल जमाव होने से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. नदाव गांव के उरवर्क विक्रेता दुकानदार 266 रुपये की यूरिया 500 रुपये बेच रहे हैं. किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है.

देखें रिपोर्ट

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क्या कहते हैं वैज्ञानिक
किसानों की इस परेशानी को लेकर जब कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मांधाता सिंह से पूछा गया तो उन्होंने भी यह माना कि गेहूं की फसल को छोड़कर जिले में 2 दिनों तक हुई बारिश ने तिलहन और दलहन की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. जिन किसानों के खेतों में जल जमाव की स्थिति है, वे तत्काल पानी निकाल दें. यूरिया नहीं भी मिल रहा है तो अपने खेतों में नैनो यूरिया या एनपीके और सल्फर का छिड़काव करें. इससे गेहूं की फसल का रंग पीला नहीं होगा.

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बताते चलें नवंबर महीने में रवि फसल की बुवाई के समय किसानों को डीएपी नहीं मिला. उसके बाद भी किसानों ने खरपतवार के सहारे अपने खेतों की बुवाई की. जब फसलों में फूल और बाली आने लगे तो 3 और 4 फरवरी को हुई मूसलाधार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

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