बक्सर: जिले में एक ऐसा मतदान केंद्र है जहां पहुंचने के लिए मतदाता अभी से 'रास्ता' ढूंढ रहे हैं. दरअसल, चुनाव आयोग ने मतदान केंद्र तो बना दिया, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है. मामला सदर प्रखंड के कमरपुर पंचायत में बूथ संख्या 33 और 164 का है.
मतदान के दिन कैसे पहुंचेंगे मतदाता?
ऐसे हाल में बड़ा सवाल ये है कि इस मतदान केंद्र पर पोलिंग पार्टी कैसे पहुंचेगी? और पहुंच भी गई तो दिव्यांग, बुजुर्ग और महिला मतदाता इस मतदान केंद्र तक कैसे पहुंचेंगे? गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले ही चरण में जिले के चारों विधानसभा सीट पर 28 अक्टूबर को मतदान होना है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस बार 1265 की जगह 1844 मतदान केंद्र बनाया है जहां 12 लाख 43 हजार 761 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
क्या कहते हैं ग्रामीण?
इस मतदान केंद्र के मतदाता नीतीश कुमार ने बताया कि केंद्र पर ना तो कोई वाहन आ सकता है, और ना ही व्हीलचेयर के माध्यम से कोई दिव्यांग मतदाता पहुंच सकते हैं. खेतों में जल जमाव की स्थिति बनी हुई है. खेतों की मेढ़ के सहारे, पगडंडियों पर ही लोग हर बार मतदान करने आते थे. लेकिन इस बार बरसात अधिक होने के कारण खेतों में भी चारों तरफ पानी ही पानी है. ऐसे में कई लोग मतदान करने से वंचित रह जाएंगे. उन्होंने कहा कि जो सरकारी रास्ते हैं उसपर दबंगों ने मकान बना लिया है. इस कारण लोगों को परेशानी होती है.
अफसरों की लापरवाही
स्थानीय मोहन यादव और लक्ष्मण प्रसाद ने बताया कि जिला प्रशासन के अधिकारियों से बार-बार गुहार लगाने के बाद भी अब तक इस मतदान केंद्र पर आने के लिए रास्ते की व्यवस्था नहीं की गयी है. हर बार जब भी चुनाव आता है तो अधिकारी आश्वासन देते हैं कि अगले चुनाव से पहले यहां रास्ता बना दिया जाएगा. लेकिन चुनाव खत्म होने के साथ ही उनके वादे भी खत्म हो जाते हैं.
कोरोना काल में चुनाव
गौरतलब है कि कोरोना काल मे जहां विश्व के 70 देशों में मतदान को टाल दिया गया. वहीं, बिहार पहला राज्य है जहा कोरोना काल में मतदान हो रहा है. निर्वाचन आयोग द्वारा पूरी तैयारी और गाइडलाइंस जारी करने के बाद भी कई ऐसे मतदान केंद्र है जहां पहुंचकर मतदान करना और कराना एक चुनौती है.
मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में स्वीप कार्यक्रम भी कराया जा रहा है. लेकिन कई ऐसे मतदान केंद्र है, जहां पर मतदाताओं के पहुंचने के लिए रास्ता ही नहीं है. इस कारण वृद्ध और दिव्यांग मतदाता ऐसे मतदान केंद्रों पर मतदान करने से वंचित रह सकते हैं.