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मिड डे मील मामले में नहीं हुई NGO पर कार्रवाई, बचा रहे शिक्षा विभाग के अधिकारी

बक्सर के आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय में शुक्रवार को मिड डे मील में मेंढक मिलने (Frog Found in Mid Day Meal in Buxar) के बाद दूसरे दिन भी एनजीओ ने रद्दी खाना सप्लाई किया. पर्दे के पीछे से एनजीओ के साथ कई बड़े अधिकारी खड़े है. प्रधानाचार्य ने कई बार अधिकारियों को पत्र लिखकर बताया फिर भी एनजीओ पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. पढ़ें पूरी खबर..

बक्सर
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Published : Oct 11, 2022, 4:02 PM IST

Updated : Oct 11, 2022, 4:41 PM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर में जिला मुख्यालय में समाहरणालय से महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय में मिड डे मील में मेंढक मिलने के बाद भी एनजीओ पर कार्रवाई (No Action in Mid Day Meal Case in Buxar) नहीं की गई. आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय के बच्चो को पिछले चार दिनों से भोजन नही दिया जा रहा है. जिसके कारण पढ़ने आने वाले बच्चे भूखे ही रह रहे है. बार-बार शिक्षा विभाग के अधिकारियो से लिखित शिकायत करने के बाद भी अधिकारी चुप्पी साधे हुए है और एनजीओ को बचाने की कोशिश हो रही है

ये भी पढ़ेंः OMG : मिड डे मील के भोजन में मिला मेंढक, मासूम बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़




NGO नही दे रही गाइड लाइन के अनुसार भोजन: एनजीओ द्वारा स्कूल में खराब भोजन सप्लाई करने पर स्कूल प्रशासन और विद्यालय शिक्षा समिति के द्वारा बैठक कर सोमवार से भोजन लेना ही बंद कर दिया गया. बार-बार शिक्षा विभाग के अधिकारियो से लिखित शिकायत करने के बाद भी अधिकारी चुप्पी साधे हुए है और एनजीओ को बचाने की कोशिश हो रही है. विभागीय सूत्रों की माने तो अगले तीन महीने तक का एनजीओ से मिलने वाला कमीशन लेकर एनजीओ को राशन उपलब्ध करा दिया गया है.

एमडीएम में मेंढक मिलने के बाद एनजीओ के काले करतूत आया सामने: दरअसल बीते शुक्रवार को भोजन में मरा हुआ मेंढक मिलने की बात सामने आने के बाद जहां बच्चों को भोजन नहीं करने दिया गया वहीं, दूसरे दिन शनिवार को एक बार फिर भोजन की गुणवत्ता खराब होने के कारण बच्चों को भोजन से वंचित रहना पड़ा. सोमवार को जब पुनः विद्यालय में भोजन पहुंचा तो एक बार फिर गुणवत्ता खराब होने की शिकायत की गई और भोजन लौटा दिया गया. भोजन लौटाने के पश्चात विद्यालय शिक्षा समिति की एक बैठक की गई जिसमें यह तय किया गया कि जब तक एनजीओ अच्छी गुणवत्ता वाला भोजन नही उपलब्ध कराएगा बच्चों को भोजन नहीं दिया जाएगा. जिसके कारण विद्यालय आने वाले बच्चों को भूखा ही रहना पड़ रहा है.


शिक्षा विभाग के अधिकारियो की दलील: विद्यालय शिक्षा समिति एवं स्कूल प्रशासन के द्वारा बार बार लिखित शिकायत करने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी एनजीओ पर करवाई करने की बजाए शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल के इस निर्णय का अप्रत्यक्ष रूप से विरोध कर रहे है. अधिकारियो की माने तो भोजन के गुणवत्ता की जांच करने के उपरांत बच्चों को भोजन प्रदान करना चाहिए. बच्चों को भोजन से वंचित रखना कतई उचित नहीं है.

पर्दे के पीछे से एनजीओ के साथ खड़े है कई बड़े अधिकारी: विद्यालय के शिक्षक उमेश कुमार ने बताया कि भोजन की गुणवत्ता तो पूर्व में भी खराब रहती थी. लेकिन शुक्रवार को तो हद हो गई जब भोजन में मरा हुआ मेंढक मिला. उसे देखने के बाद बच्चों ने स्वतः भोजन करने से इंकार कर दिया. दूसरे दिन भी भोजन पहुंचाया गया तो उस दिन खिचड़ी के साथ दिया गया चोखा खराब हो चुका था. जिसके कारण बच्चे भोजन से वंचित रह गए, तीसरे दिन सोमवार को भोजन विलंब से पहुंचा लेकिन, जब पहुंचा तो उसमें मेंन्यू के हिसाब से भोजन नहीं था. मिश्रित दाल की जगह केवल चने की दाल थी, जिसमें दाल कम और पानी ज्यादा था वहीं, हरी सब्जी के नाम पर आलू के साथ दो-चार कद्दू के टुकड़े भेजे गए थे. ऐसे में भोजन को वापस कर दिया गया और तुरंत ही विद्यालय शिक्षा समिति की एक बैठक बुलाई गई. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जब तक भोजन की गुणवत्ता में सुधार नहीं होता तब तक भोजन नहीं लिया जाएगा.


इस विद्यालय में 500 से ज्यादा बच्चे हैं नामांकित: आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय दो पालियों में चलता है. जिसमें दोनों पालियों को मिलाकर 500 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. पहले दिन भोजन में मेंढक मिलने की बात सामने आने के बाद जहां दोनों पालियो के बच्चों ने भोजन नहीं किया वही दूसरे दिन पुनः एक पाली के बच्चों को भोजन नहीं दिया गया. तीसरे और चौथे दिन भी यही स्थिति बनी हुई है.

फूड क्वालिटी टेस्टिंग और खाने की जांचनी होगी स्थिति :शिक्षा विभाग के डीपीओ मोहम्मद नाज़िश अली से जब फोन पर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि न्यायालय के निर्देशानुसार बच्चों को एनजीओ के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. एनजीओ को फिलहाल 3 महीने का राशन उपलब्ध कराया जा चुका है. ऐसे में यदि विद्यालय शिक्षा समिति के माध्यम से भोजन बनाने की योजना भी बनाई जाए तो वह तीन माह बाद ही सम्भव होगा. तीन महीने तक बच्चों को बिना भोजन के तो रखा नहीं जा सकता. ऐसे में विद्यालय के प्रधानाध्यापक तथा शिक्षा समिति के लोग भोजन की गुणवत्ता की जांच और वीडियोग्राफी कराने के बाद ही भोजन प्राप्त करें, जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य विभाग की एक टीम फूड क्वालिटी की टेस्टिंग भी कर सकती है.



कहते हैं अनुमंडल पदाधिकारी : भोजन की गुणवत्ता खराब होने की शिकायत पर एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि, जिलाधिकारी ने इस पूरे मामले पर संज्ञान लिया है. जल्द ही डीएम के द्वारा कोई निर्णय लिया जाएगा.


ये भी पढ़ेंः शेखपुरा में मध्याह्न भोजन खाने से दर्जनों बच्चे बीमार, सदर अस्पताल में भर्ती

बक्सर: बिहार के बक्सर में जिला मुख्यालय में समाहरणालय से महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय में मिड डे मील में मेंढक मिलने के बाद भी एनजीओ पर कार्रवाई (No Action in Mid Day Meal Case in Buxar) नहीं की गई. आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय के बच्चो को पिछले चार दिनों से भोजन नही दिया जा रहा है. जिसके कारण पढ़ने आने वाले बच्चे भूखे ही रह रहे है. बार-बार शिक्षा विभाग के अधिकारियो से लिखित शिकायत करने के बाद भी अधिकारी चुप्पी साधे हुए है और एनजीओ को बचाने की कोशिश हो रही है

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NGO नही दे रही गाइड लाइन के अनुसार भोजन: एनजीओ द्वारा स्कूल में खराब भोजन सप्लाई करने पर स्कूल प्रशासन और विद्यालय शिक्षा समिति के द्वारा बैठक कर सोमवार से भोजन लेना ही बंद कर दिया गया. बार-बार शिक्षा विभाग के अधिकारियो से लिखित शिकायत करने के बाद भी अधिकारी चुप्पी साधे हुए है और एनजीओ को बचाने की कोशिश हो रही है. विभागीय सूत्रों की माने तो अगले तीन महीने तक का एनजीओ से मिलने वाला कमीशन लेकर एनजीओ को राशन उपलब्ध करा दिया गया है.

एमडीएम में मेंढक मिलने के बाद एनजीओ के काले करतूत आया सामने: दरअसल बीते शुक्रवार को भोजन में मरा हुआ मेंढक मिलने की बात सामने आने के बाद जहां बच्चों को भोजन नहीं करने दिया गया वहीं, दूसरे दिन शनिवार को एक बार फिर भोजन की गुणवत्ता खराब होने के कारण बच्चों को भोजन से वंचित रहना पड़ा. सोमवार को जब पुनः विद्यालय में भोजन पहुंचा तो एक बार फिर गुणवत्ता खराब होने की शिकायत की गई और भोजन लौटा दिया गया. भोजन लौटाने के पश्चात विद्यालय शिक्षा समिति की एक बैठक की गई जिसमें यह तय किया गया कि जब तक एनजीओ अच्छी गुणवत्ता वाला भोजन नही उपलब्ध कराएगा बच्चों को भोजन नहीं दिया जाएगा. जिसके कारण विद्यालय आने वाले बच्चों को भूखा ही रहना पड़ रहा है.


शिक्षा विभाग के अधिकारियो की दलील: विद्यालय शिक्षा समिति एवं स्कूल प्रशासन के द्वारा बार बार लिखित शिकायत करने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी एनजीओ पर करवाई करने की बजाए शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल के इस निर्णय का अप्रत्यक्ष रूप से विरोध कर रहे है. अधिकारियो की माने तो भोजन के गुणवत्ता की जांच करने के उपरांत बच्चों को भोजन प्रदान करना चाहिए. बच्चों को भोजन से वंचित रखना कतई उचित नहीं है.

पर्दे के पीछे से एनजीओ के साथ खड़े है कई बड़े अधिकारी: विद्यालय के शिक्षक उमेश कुमार ने बताया कि भोजन की गुणवत्ता तो पूर्व में भी खराब रहती थी. लेकिन शुक्रवार को तो हद हो गई जब भोजन में मरा हुआ मेंढक मिला. उसे देखने के बाद बच्चों ने स्वतः भोजन करने से इंकार कर दिया. दूसरे दिन भी भोजन पहुंचाया गया तो उस दिन खिचड़ी के साथ दिया गया चोखा खराब हो चुका था. जिसके कारण बच्चे भोजन से वंचित रह गए, तीसरे दिन सोमवार को भोजन विलंब से पहुंचा लेकिन, जब पहुंचा तो उसमें मेंन्यू के हिसाब से भोजन नहीं था. मिश्रित दाल की जगह केवल चने की दाल थी, जिसमें दाल कम और पानी ज्यादा था वहीं, हरी सब्जी के नाम पर आलू के साथ दो-चार कद्दू के टुकड़े भेजे गए थे. ऐसे में भोजन को वापस कर दिया गया और तुरंत ही विद्यालय शिक्षा समिति की एक बैठक बुलाई गई. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जब तक भोजन की गुणवत्ता में सुधार नहीं होता तब तक भोजन नहीं लिया जाएगा.


इस विद्यालय में 500 से ज्यादा बच्चे हैं नामांकित: आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय दो पालियों में चलता है. जिसमें दोनों पालियों को मिलाकर 500 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. पहले दिन भोजन में मेंढक मिलने की बात सामने आने के बाद जहां दोनों पालियो के बच्चों ने भोजन नहीं किया वही दूसरे दिन पुनः एक पाली के बच्चों को भोजन नहीं दिया गया. तीसरे और चौथे दिन भी यही स्थिति बनी हुई है.

फूड क्वालिटी टेस्टिंग और खाने की जांचनी होगी स्थिति :शिक्षा विभाग के डीपीओ मोहम्मद नाज़िश अली से जब फोन पर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि न्यायालय के निर्देशानुसार बच्चों को एनजीओ के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. एनजीओ को फिलहाल 3 महीने का राशन उपलब्ध कराया जा चुका है. ऐसे में यदि विद्यालय शिक्षा समिति के माध्यम से भोजन बनाने की योजना भी बनाई जाए तो वह तीन माह बाद ही सम्भव होगा. तीन महीने तक बच्चों को बिना भोजन के तो रखा नहीं जा सकता. ऐसे में विद्यालय के प्रधानाध्यापक तथा शिक्षा समिति के लोग भोजन की गुणवत्ता की जांच और वीडियोग्राफी कराने के बाद ही भोजन प्राप्त करें, जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य विभाग की एक टीम फूड क्वालिटी की टेस्टिंग भी कर सकती है.



कहते हैं अनुमंडल पदाधिकारी : भोजन की गुणवत्ता खराब होने की शिकायत पर एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि, जिलाधिकारी ने इस पूरे मामले पर संज्ञान लिया है. जल्द ही डीएम के द्वारा कोई निर्णय लिया जाएगा.


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Last Updated : Oct 11, 2022, 4:41 PM IST
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