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जांबाज! बिहार के युवा नंदन ने हिमालय की काला नाग पहाड़ी पर लहराया तिरंगा, सबसे युवा पर्वतारोही का रिकॉर्ड - कलानाग पर्वत चोटी पर पहुंचे बक्सर के नंदन चौबे

बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले नंदन चौबे (Mountaineer Nandan Choube) ने हिमालय पर्वत श्रृंखला की काला नाग पहाड़ी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर रिकॉर्ड बनाया है, जो 6387 मीटर ऊंची है. अगले साल वह 25 वर्ष की उम्र में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी करेंगे. नंदन अगर ऐसा कर लेते हैं तो वे एवरेस्ट फतह करने वाले सबसे युवा बिहारी होंगे. पढ़ें पूरी खबर...

नंदन चौबे, पर्वतारोही
नंदन चौबे, पर्वतारोही
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Published : May 24, 2022, 2:40 PM IST

बक्सरः बिहार के बक्सर में एक युवा ने अपने हौंसले और लगन के दम पर उस उंचाई को पार कर लिया, जहां पहुंचना हर किसी के लिए आसान नहीं होता. हम बात कर रहे हैं बक्सर के एक छोटे से गांव संरेजा के रहनेवाले युवा नंदन चौबे (Nandan Choubey of Buxar Achieved success on Kalanag Mountain Peak) की. जो प्रदेश के इस छोटे से जिले से निकलकर हिमालय पर्वत श्रृंखला की उस चोटी पर पहुंचा गए, जिसकी ऊंचाई 6387 मीटर के करीब है. बिहार से इकलौते और सबसे कम उम्र के पर्वतारोही नंदन चौबे ने काला नाग पहाड़ी (Kalanag mountain peak of himalaya) पर चढ़ाई की है. इस जांबाज युवा को मिली कामयाबी के बाद ईटीवी भारत ने उनसे विस्तृत बातचीत की.

ये भी पढ़ेंः माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराना चाहती हैं नालंदा की मिताली, पैसे की कमी बन रही बाधा

15 दिनों में पूरी की लंबी और कठिन चढ़ाईः बक्सर के चौसा प्रखंड का सरेंजा गांव के रहनेवाले युवा नंदन चौबे ने हिमालय पर्वत श्रृंखला के कलानाग पर्वत चोटी पर सफलतापूर्वक पहुंचने का रिकॉर्ड बनाया है, जो 6387 मीटर ऊंची है. करीब चौबीस वर्षीय नंदन की इस सफलता से ना सिर्फ बक्सर जिला बल्कि प्रदेश का भी नाम रोशन हुआ है. नंदन चौबे ने यह कारनामा 15 दिनों की लंबी और कठिन चढ़ाई के बाद कर दिखाया है. कलानाग पर्वत हिमालय पर्वत श्रृंखला में शामिल पर्वत की चोटी है, जो कि उत्तराखंड में स्थित है. इसकी चढ़ाई उन्होंने अपने चार अन्य साथियों के साथ शुरू की थी और उन्हें सफलता प्राप्त की. बक्सर पहुंचे युवा पर्वतारोही नंदन चौबे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि पर्वतारोहण सभी प्रकार के स्पोर्ट्स में सबसे खतरनाक है. पहाड़ की चढ़ाई शुरू करने के बाद कई तरह की परेशानियां सामने आती हैं. जान जाने की भी आशंका बनी रहती है. इसके बावजूद वो पर्वतारोहण के माध्यम से अपने जिले, राज्य और देश का नाम रोशन करना चाहते हैं.

अगले साल करेंगे माउंट एवरेस्ट की चढ़ाईः नंदन का इरादा माउंट एवरेस्ट पर फतह करने की भी है. अगले वर्ष वह माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने वाले हैं, जिससे पूर्व प्री-एवरेस्ट कहे जाने वाले माउंट सतोपंथ 7075 मीटर की चढ़ाई के लिए 25 मई से वह अपनी चढ़ाई शुरू कर देंगे. अगले साल वह 25 वर्ष की उम्र में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी करेंगे. नंदन अगर ऐसा कर लेते हैं तो वे एवरेस्ट फतह करने वाले सबसे युवा बिहारी होंगे. हालांकि अपने इस अभियान के लिए किसी प्रकार की भी मदद ना मिलने से वो निराश भी हैं. नंदन को ना केवल चढ़ाई के दौरान परिस्थितियों से लड़ना है, बल्कि अपने सपने को पूरा करने के लिए पैसों के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ रहा है.

काला नाग पहाड़ी पर नंदन
काला नाग पहाड़ी पर नंदन

'अभियान के लिए कम से कम डेढ़ लाख रुपये की आवश्यकता है. लेकिन काफी कोशिश के बाद वह केवल 60 -70 हजार रुपये ही जुटा पाए हैं. ऐसे में 25 मई तक यदि पैसों का इंतजाम नहीं हुआ तो शायद वह अपनी चढ़ाई पूरी नहीं कर पाए. शायद सरकार और प्रशासन खेलों का महत्व नहीं समझ पा रही है. तत्कालीन जिला पदाधिकारी राघवेंद्र सिंह से मिलकर अपने अभियान से जुड़ी फाइल सौंपी थी. मदद करने का आश्वासन भी दिया गया था. लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं मिली है. लोगों से अनुरोध है कि 25 मई को मेरी यात्रा शुरू होने से पूर्व मेरी मदद करें'- नंदन चौबे, पर्वतारोही

ये भी पढ़ें: छपरा में युवा संवाद में बोले आईपीएस विकास वैभव- बिहार के युवाओं में काफी प्रतिभा

बिहार के लोगों को जागरूक करना है उद्देश्यः नंदन ने बताया कि उनका उद्देश्य बिहार में पर्वतारोहण के खेल को आगे बढ़ाना है. इस स्पोर्ट्स को आगे बढ़ाना और जलवायु परिवर्तन एंव तेजी से कम होते भूमिगत जल सहित अनेक मुद्दों के प्रति बिहार के लोगों को जागरूक करना भी है. नंदन ने लोगों से अपील भी की है कि कोई भी घूमने जाना चाहता है तो उसे भारत दर्शन करना चाहिए. ऊपरवाले ने बेहद खूबसूरत जगह बनाया है. आप हिमालय पर्वत श्रृंखला को देखने जाए, वहां के दर्रे और झील को देखने जाएं. पर्यावरण के प्रति भी लोगों को जागरूक करते हुए युवा पर्वतारोही ने कहा कि जिस तरह आप शेविंग करते हैं, सैलून जातें हैं, पार्लर जातें हैं, अपना घर साफ रखतें हैं, वैसे ही गली साफ रखें , पहाड़ों को भी साफ रखिए. पर्यावरण का भी ख्याल रखना चाहिए. तभी आनेवाली पीढ़ी को आप कुछ अच्छा दे सकतें हैं.

हैदराबाद में हुई नंदन की स्कूलिंगः गौरतलब है कि नंदन चौबे के पिता अमरनाथ चौबे झारखंड में सिंचाई विभाग में कार्यरत हैं. नंदन चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं. दो भाई नौकरी में हैं. उन्होंने 6,387 मीटर ऊंची चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर वहां तिरंगा भी फहराया. नंदन ने आगे बताया कि उनकी स्कूलिंग हैदराबाद से हुई है. 12वीं के बाद उन्होंने पटना एनएन कॉलेज से बीबीए की पढ़ाई की. नंदन ने जेआईएम यानि जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ मॉनिटरिंग और एनआईएम नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ मॉनिटरिंग से ट्रेनिंग ली. इसके बाद अपने शौक को पूरा करने की तरफ कार्य करना शुरू किया. अब जल्द ही वह उत्तराखंड के 7075 मीटर ऊंची माउंट सतो पथ जिसे प्री एवरेस्ट भी कहा जा सकता है, उसकी चढ़ाई चढ़ने जा रहे हैं. उन्होंने अपने अनुभव के बारे में बताया कि उनकी चढ़ाई काफी कठिन रही. लेकिन, उन्हें उम्मीद थी कि वह इसे अवश्य पूरा कर लेंगे. उन्होंने कहा कि पर्वतारोहियों को कुछ सहायता मिले तो वह महंगी और काफी खतरनाक माने जाने वाली इस एडवेंचर और भी बेहतर कर सकेंगे.

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बक्सरः बिहार के बक्सर में एक युवा ने अपने हौंसले और लगन के दम पर उस उंचाई को पार कर लिया, जहां पहुंचना हर किसी के लिए आसान नहीं होता. हम बात कर रहे हैं बक्सर के एक छोटे से गांव संरेजा के रहनेवाले युवा नंदन चौबे (Nandan Choubey of Buxar Achieved success on Kalanag Mountain Peak) की. जो प्रदेश के इस छोटे से जिले से निकलकर हिमालय पर्वत श्रृंखला की उस चोटी पर पहुंचा गए, जिसकी ऊंचाई 6387 मीटर के करीब है. बिहार से इकलौते और सबसे कम उम्र के पर्वतारोही नंदन चौबे ने काला नाग पहाड़ी (Kalanag mountain peak of himalaya) पर चढ़ाई की है. इस जांबाज युवा को मिली कामयाबी के बाद ईटीवी भारत ने उनसे विस्तृत बातचीत की.

ये भी पढ़ेंः माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराना चाहती हैं नालंदा की मिताली, पैसे की कमी बन रही बाधा

15 दिनों में पूरी की लंबी और कठिन चढ़ाईः बक्सर के चौसा प्रखंड का सरेंजा गांव के रहनेवाले युवा नंदन चौबे ने हिमालय पर्वत श्रृंखला के कलानाग पर्वत चोटी पर सफलतापूर्वक पहुंचने का रिकॉर्ड बनाया है, जो 6387 मीटर ऊंची है. करीब चौबीस वर्षीय नंदन की इस सफलता से ना सिर्फ बक्सर जिला बल्कि प्रदेश का भी नाम रोशन हुआ है. नंदन चौबे ने यह कारनामा 15 दिनों की लंबी और कठिन चढ़ाई के बाद कर दिखाया है. कलानाग पर्वत हिमालय पर्वत श्रृंखला में शामिल पर्वत की चोटी है, जो कि उत्तराखंड में स्थित है. इसकी चढ़ाई उन्होंने अपने चार अन्य साथियों के साथ शुरू की थी और उन्हें सफलता प्राप्त की. बक्सर पहुंचे युवा पर्वतारोही नंदन चौबे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि पर्वतारोहण सभी प्रकार के स्पोर्ट्स में सबसे खतरनाक है. पहाड़ की चढ़ाई शुरू करने के बाद कई तरह की परेशानियां सामने आती हैं. जान जाने की भी आशंका बनी रहती है. इसके बावजूद वो पर्वतारोहण के माध्यम से अपने जिले, राज्य और देश का नाम रोशन करना चाहते हैं.

अगले साल करेंगे माउंट एवरेस्ट की चढ़ाईः नंदन का इरादा माउंट एवरेस्ट पर फतह करने की भी है. अगले वर्ष वह माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने वाले हैं, जिससे पूर्व प्री-एवरेस्ट कहे जाने वाले माउंट सतोपंथ 7075 मीटर की चढ़ाई के लिए 25 मई से वह अपनी चढ़ाई शुरू कर देंगे. अगले साल वह 25 वर्ष की उम्र में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी करेंगे. नंदन अगर ऐसा कर लेते हैं तो वे एवरेस्ट फतह करने वाले सबसे युवा बिहारी होंगे. हालांकि अपने इस अभियान के लिए किसी प्रकार की भी मदद ना मिलने से वो निराश भी हैं. नंदन को ना केवल चढ़ाई के दौरान परिस्थितियों से लड़ना है, बल्कि अपने सपने को पूरा करने के लिए पैसों के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ रहा है.

काला नाग पहाड़ी पर नंदन
काला नाग पहाड़ी पर नंदन

'अभियान के लिए कम से कम डेढ़ लाख रुपये की आवश्यकता है. लेकिन काफी कोशिश के बाद वह केवल 60 -70 हजार रुपये ही जुटा पाए हैं. ऐसे में 25 मई तक यदि पैसों का इंतजाम नहीं हुआ तो शायद वह अपनी चढ़ाई पूरी नहीं कर पाए. शायद सरकार और प्रशासन खेलों का महत्व नहीं समझ पा रही है. तत्कालीन जिला पदाधिकारी राघवेंद्र सिंह से मिलकर अपने अभियान से जुड़ी फाइल सौंपी थी. मदद करने का आश्वासन भी दिया गया था. लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं मिली है. लोगों से अनुरोध है कि 25 मई को मेरी यात्रा शुरू होने से पूर्व मेरी मदद करें'- नंदन चौबे, पर्वतारोही

ये भी पढ़ें: छपरा में युवा संवाद में बोले आईपीएस विकास वैभव- बिहार के युवाओं में काफी प्रतिभा

बिहार के लोगों को जागरूक करना है उद्देश्यः नंदन ने बताया कि उनका उद्देश्य बिहार में पर्वतारोहण के खेल को आगे बढ़ाना है. इस स्पोर्ट्स को आगे बढ़ाना और जलवायु परिवर्तन एंव तेजी से कम होते भूमिगत जल सहित अनेक मुद्दों के प्रति बिहार के लोगों को जागरूक करना भी है. नंदन ने लोगों से अपील भी की है कि कोई भी घूमने जाना चाहता है तो उसे भारत दर्शन करना चाहिए. ऊपरवाले ने बेहद खूबसूरत जगह बनाया है. आप हिमालय पर्वत श्रृंखला को देखने जाए, वहां के दर्रे और झील को देखने जाएं. पर्यावरण के प्रति भी लोगों को जागरूक करते हुए युवा पर्वतारोही ने कहा कि जिस तरह आप शेविंग करते हैं, सैलून जातें हैं, पार्लर जातें हैं, अपना घर साफ रखतें हैं, वैसे ही गली साफ रखें , पहाड़ों को भी साफ रखिए. पर्यावरण का भी ख्याल रखना चाहिए. तभी आनेवाली पीढ़ी को आप कुछ अच्छा दे सकतें हैं.

हैदराबाद में हुई नंदन की स्कूलिंगः गौरतलब है कि नंदन चौबे के पिता अमरनाथ चौबे झारखंड में सिंचाई विभाग में कार्यरत हैं. नंदन चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं. दो भाई नौकरी में हैं. उन्होंने 6,387 मीटर ऊंची चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर वहां तिरंगा भी फहराया. नंदन ने आगे बताया कि उनकी स्कूलिंग हैदराबाद से हुई है. 12वीं के बाद उन्होंने पटना एनएन कॉलेज से बीबीए की पढ़ाई की. नंदन ने जेआईएम यानि जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ मॉनिटरिंग और एनआईएम नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ मॉनिटरिंग से ट्रेनिंग ली. इसके बाद अपने शौक को पूरा करने की तरफ कार्य करना शुरू किया. अब जल्द ही वह उत्तराखंड के 7075 मीटर ऊंची माउंट सतो पथ जिसे प्री एवरेस्ट भी कहा जा सकता है, उसकी चढ़ाई चढ़ने जा रहे हैं. उन्होंने अपने अनुभव के बारे में बताया कि उनकी चढ़ाई काफी कठिन रही. लेकिन, उन्हें उम्मीद थी कि वह इसे अवश्य पूरा कर लेंगे. उन्होंने कहा कि पर्वतारोहियों को कुछ सहायता मिले तो वह महंगी और काफी खतरनाक माने जाने वाली इस एडवेंचर और भी बेहतर कर सकेंगे.

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