बक्सर: कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन में हजारों प्रवासी श्रमिकों के पास घर लौट आने के सिवा कोई चारा नहीं था. उस समय राज्य सरकार ने भी वादे किए कि अपने राज्य और जिले में रोजगार दिया जाएगा. लेकिन उन दावों की पोल अब खुलती नजर आ रही है. कोरोनाकाल में घर लौटे मजदूर अब एक बार फिर पलायन को मजबूर नजर आने लगे हैं.
यूं तो बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के लिए जिला प्रशासन की ओर से युद्ध स्तर पर रोजगार मुहैया कराया जा रहा है. लेकिन घर लौटे मजदूरों की संख्या इतनी बड़ी है कि अब तक सभी को रोजगार नहीं मिल पाया है. जिसके कारण मजदूरों के सामने बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है.
मजदूरों ने बताई आपबीती
रोजगार की तलाश में भटक रहे कुछ प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि कोरोना के कारण 90% जगह पर काम बंद हो गए हैं. हमारे सामने रोजी-रोटी की संकट उत्पन्न हो गयी है. परिवार भुखमरी की कगार पर है. इस महीना में पीडीएस दुकानदारों ने अब तक राशन भी मुहैया नहीं कराया है. जिससे परेशानियां और भी बढ़ गई है.
प्रशासनिक स्तर पर तैयारी जारी
दूसरे प्रदेश से आए मजदूरों के लिए जिलाधिकारी अमन समीर ने महीनों पहले ही मास्टर प्लान तैयार कर सभी विभाग के अधिकारियों को अलर्ट कर दिया था. डीएम ने बैठक कर यह स्पष्ट कर दिया था कि जिस विभाग में मशीन से काम कराया जा रहा था, वहां मानव बल का उपयोग किया जाएगा. इसके तहत पथ निर्माण, पुल निर्माण, विकास निगम, जल संसाधन विभाग के साथ जल जीवन हरियाली, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना और तमाम छोटे-बड़े औद्योगिक ईकाई में मानव बल से ही काम लिया जाएगा. लगभग 8 हजार लोगों को मनरेगा के तहत जॉबकार्ड भी दिया गया.
डीएम का मास्टर प्लान आ रहा काम
प्रवासी श्रमिकों की परेशानी पर जिलाधिकारी अमन समीर ने बताया कि सभी को अपने ही जिले में रोजगार मुहैया कराऊंगा. मनरेगा, जल जीवन हरियाली, पथ निर्माण विभाग समेत सभी विभागों में काम दिया जा रहा है. इसके अलावा कृषि का कलस्टर भी डेवलप किया जा रहा है. आने वाले दिनों में रोजगार मेला का भी आयोजन सभी विभागों की ओर से किया जाएगा. उन्होंने मजदूरों से धैर्य से काम लेने की अपील की.