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कुछ देर में महाराज कमल बहादुर सिंह का राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

देश की पहली लोकसभा के सदस्य और तत्कालीन डुमरांव राज के अंतिम महाराजा कमल बहादुर सिंह के निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही उन्होंने इसे राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति बताया.

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महाराज कमल बहादुर सिंह का राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
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Published : Jan 6, 2020, 11:51 AM IST

बक्सर: स्वतंत्र भारत के पहली लोकसभा के सदस्य और तत्कालीन डुमरांव राज के अंतिम महाराजा कमल बहादुर सिंह की सोमवार को अंतिम यात्रा निकाली गई. उनका अंतिम संस्कार बक्सर चरित्र वन श्मशान घाट पर किया जाएगा. पूर्व सांसद के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करने के निर्देश दिया है.

'स्वर्णिम और गौरवशाली युग का अंत'
शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंह के निधन के साथ ही एक स्वर्णिम और गौरवशाली युग का अंत हो गया. उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों के विकास के लिए बड़े पैमाने पर अपनी भूमि और संसाधनों का दान किया था. उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति हुई है.

Buxar
महाराज कमल बहादुर सिंह के पार्थिव शरीर के साथ उनके परिजन

शाहाबाद से हुए थे निर्वाचित
महाराजा कमल बहादुर सिंह छह सालों से अस्वस्थ चल रहे थे. 94 साल की उम्र में रविवार को उनका निधन हो गया. उन्होंने सुबह 5.10 बजे अपनी भोजपुर कोठी में अंतिम सांस ली. कमल सिंह आजादी के बाद पहले आम चुनाव में शाहाबाद से सांसद निर्वाचित हुए थे. साल 1957 में दूसरे आम चुनाव में बक्सर संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आया. यहां से भी जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनकर लोकसभा में भेजा.

Buxar
महाराज के शोकमग्न परिजन

शिक्षा और स्वास्थ क्षेत्र में किए जमीन और संसाधन दान
कमल सिंह ने पुराने शाहाबाद जिले (अब बक्सर, सासाराम, भोजपुर, कैमूर) के अलावा उत्तर प्रदेश के इलाके में खास तौर पर शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में मुक्त हस्त से जमीन और संसाधन दान दिए.

बक्सर: स्वतंत्र भारत के पहली लोकसभा के सदस्य और तत्कालीन डुमरांव राज के अंतिम महाराजा कमल बहादुर सिंह की सोमवार को अंतिम यात्रा निकाली गई. उनका अंतिम संस्कार बक्सर चरित्र वन श्मशान घाट पर किया जाएगा. पूर्व सांसद के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करने के निर्देश दिया है.

'स्वर्णिम और गौरवशाली युग का अंत'
शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंह के निधन के साथ ही एक स्वर्णिम और गौरवशाली युग का अंत हो गया. उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों के विकास के लिए बड़े पैमाने पर अपनी भूमि और संसाधनों का दान किया था. उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति हुई है.

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महाराज कमल बहादुर सिंह के पार्थिव शरीर के साथ उनके परिजन

शाहाबाद से हुए थे निर्वाचित
महाराजा कमल बहादुर सिंह छह सालों से अस्वस्थ चल रहे थे. 94 साल की उम्र में रविवार को उनका निधन हो गया. उन्होंने सुबह 5.10 बजे अपनी भोजपुर कोठी में अंतिम सांस ली. कमल सिंह आजादी के बाद पहले आम चुनाव में शाहाबाद से सांसद निर्वाचित हुए थे. साल 1957 में दूसरे आम चुनाव में बक्सर संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आया. यहां से भी जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनकर लोकसभा में भेजा.

Buxar
महाराज के शोकमग्न परिजन

शिक्षा और स्वास्थ क्षेत्र में किए जमीन और संसाधन दान
कमल सिंह ने पुराने शाहाबाद जिले (अब बक्सर, सासाराम, भोजपुर, कैमूर) के अलावा उत्तर प्रदेश के इलाके में खास तौर पर शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में मुक्त हस्त से जमीन और संसाधन दान दिए.

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