बक्सर: कोरोना से पूरे भारत में हाहाकार मचा हुआ है. बिहार में भी संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. बढ़ते संक्रमण के प्रभाव को रोकने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा संपूर्ण बिहार में 15 मई तक लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई है. जिसके बाद दैनिक मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले लोग एक बार फिर सहम गए हैं.
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कोरोना ने ग्रामीण इलाकों में दी दस्तक
जिले में कोरोना संक्रमण नगर परिषद क्षेत्र से निकलकर ग्रामीण इलाकों में दस्तक दे दिया है. जिसका परिणाम है कि सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों में संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बेड तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. कुछ लोगों की माने तो सरकार को यह निर्णय बहुत पहले ही ले लेना चाहिए था.
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'सरकार को पहले गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था कर लेना चाहिए था. उसके बाद लॉकडाउन कि घोषणा होना चाहिए था. साल 2020 में सरकार ने जो लॉकडाउन लगाया था. उसका जख्म अभी तक भरा नहीं है. बीमार बच्चों के इलाज तक हमलोग नहीं करा पाए थे. कई दिनों तक घर का चूल्हा ठंढा पड़ा रहा. मेहनत करने वाले लोग भीख मांगने के लिए मजबूर हो गए थे'.- सुरेश राम, रिक्शा चालक
'इस बार लंबा समय तक लॉकडाउन लग गया तो पूरा परिवार सड़क पर आ जायेगा. हमलोग भुखे मर जाएंगे. मेरे परिवार का क्या होगा. खाने को घर पर दो वक्त की रोटी तक नहीं है'. - नरेश कुमार, जलेबी बेचने वाले
'जिले के 5 पंचायत इटाढ़ी, नावानगर, धनसोइ, हरपुर जयपुर और चौसा कोरोना संक्रमण से काफी प्रभावित है. वार्ड स्तर तक डोर टू डोर सर्वे कराकर संक्रमित मरीजों की पहचान की जा रही है. जिससे कोरोना संक्रमण के चेन को ब्रेक किया जा सके'. - अमन समीर, जिलाधिकारी
गैरतलब है कि लॉकडाउन की घोषणा होते ही पुलिस एवं जिला प्रशासन के अधिकारी सक्रिय हो गए हैं. जिलाधिकारी अमन समीर के द्वारा 5 मई को 11 बजे प्रेस कांफ्रेंस कर विस्तृत जानकारी दी जाएगी. हालांकि सड़क पर पुलिस की चहलकदमी देख लोग घरों में ही दुबक गए हैं.