बक्सर: कोरोना वैश्विक महामारी के बीच 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही एनडीए के 2 सहयोगी दल लोजपा और जदयू के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. बाढ़ और कोरोना से जूझ रहा हर व्यक्ति इस महासंकट से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है. वहीं इस विकट परिस्थिति में भी कुछ राजनीतिक पार्टी के नेताओं को चुनाव की ही चिंता सता रही है.
चुनावी समीकरण बैठाने में लगे हैं स्थानीय नेता
जिले में कोरोना तीसरे चरण में पहुंच चुका है. प्रशासनिक अधिकारी से लेकर स्वास्थ्यकर्मी और सुरक्षाकर्मी लगातार संक्रमित हो रहे हैं. कोरोना योद्धाओं के भी हौसले पस्त हो रहे हैं. ऐसे में न तो प्रशासनिक अधिकारी और न ही आम लोग चुनाव में जाना चाहते हैं. सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर दैनिक मजदूरी करने वाला भी सरकार से चुनाव की तैयारी को छोड़कर लोगों के जीवन बचाने के लिए गुहार लगा रहे हैं. उसके बाद भी स्थानीय नेता चुनावी समीकरण बैठाने में लगे हुए हैं.
गठबंधन के 2 दल आमने-सामने
बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने के बाद एनडीए के अंदर खींचतान की सियासत शुरू हो गई है. जदयू पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने चिराग पासवान पर पलटवार करते हुए कहा कि बिहार की राजनीति में दखलअंदाजी करने से पहले चिराग पासवान को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के क्लास में ट्रेनिंग ले लेनी चाहिए थी. क्योंकि सोने का चम्मच लेकर राजनीति में पैदा होने वाले लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विरासत में मिली राजनीति का सता सुख भोग रहे हैं. न तो वह राम विलास पासवान की तरह संघर्ष किए हैं और ना ही नीतीश कुमार की तरह राजनीति की आग में तपे हैं.
चिराग पासवान के बढ़ते कद से परेशान कुछ नेता
विदित हो कि एक सप्ताह पूर्व लोजपा जिला अध्यक्ष अखिलेश कुमार सिंह ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा था कि राजनीति में चिराग पासवान के बढ़ रहे कद से कुछ नेताओं को अपनी कुर्सी जाने का डर सता रहा है.