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जर्जर हालत में है JP के नाम बना बक्सर का यह बस स्टैंड, बुनियादी सुविधाओं की कमी और गंदगी से यात्री परेशान

बक्सर का जो स्टैंड जिले को लाखों का राजस्व देता हो, आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. यहां से दूसरे प्रदेशों के लिए भी बसें खुलती हैं, लेकिन यात्रियों की सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. न यात्रियों के ठहरने की सुविधा, न पानी की सुविधा और न ही अन्य सुविधाएं. पढ़ें रिपोर्ट..

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Published : Dec 24, 2021, 8:36 AM IST

jai Prakash Narayan Bus Stand In Bad Condition
jai Prakash Narayan Bus Stand In Bad Condition

बक्सर: जिले को लाखों का राजस्व देने वाला बक्सर का जयप्रकाश नारायण अंतरराज्जीय बस स्टैंड वर्षों से अपनी बदहाली (jai Prakash Narayan Bus Stand In Bad Condition) पर आंसू बहा रहा है. शहर के बीचों-बीच बाईपास स्थित इस बस स्टैंड से रोजाना करीब 5 दर्जन से अधिक बसें बिहार के अलावे उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत अन्य राज्यों के लिए चलती हैं. बावजूद इसके स्टैंड में सुविधाओं का घोर अभाव है.

इसे भी पढ़ें- स्वास्थ्य केंद्र होते हुए भी इलाज के लिए 8 किलोमीटर दूर जाते हैं लोग, जर्जर अस्पताल में नहीं आते हैं डॉक्टर

हजारों लोग रोज इस स्टैंड से एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं, लेकिन यहां न तो पेयजल की (Lack of facilities at Jaiprakash Bus Stand of Buxar) व्यवस्था है, न ही यात्रियों के ठहरने का. शाम ढलते ही दूसरे प्रदेश से आने वाले यात्री सहम जाते हैं. क्योंकि जिला प्रशासन के अधिकारियो के द्वारा सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं किये गये हैं. अक्सर देखा जाता है कि बस स्टैंड में असामाजिक तत्वों का भी जमावड़ा लगा होता है.

बस स्टैंड के वाहन चालकों ने बताया कि साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद तत्कालीन स्थानीय सांसद जगदानंद सिंह ने 4 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से इस बस स्टैंड को मॉडल बस स्टैंड बनाने की घोषणा की थी. घोषणा करने के बाद भी वे कुछ कर नहीं सके और फिर 2014 में लोकसभा चुनाव हार गए.

जेपी के नाम पर बना बस स्टैंड की अवस्था दयनीय, देखें रिपोर्ट

इसे भी पढ़ें- CM नीतीश के गांव से ग्राउंड रिपोर्ट: भव्य अस्पताल, इलाज नदारद.. कल्याण बिगहा में बाकी सब ठीक है...

मौजूदा सांसद अश्विनी कुमार चौबे एक भी बार इस तरफ नहीं पहुंचे हैं. लोग कहते हैं कि चौबे जी केवल चुनाव के वक्त ही नजर आते हैं, नहीं तो बाकी समय भागलपुर से दिल्ली और दिल्ली से भागलपुर की यात्रा करते हैं. कभी कभार बक्सर आते हैं. जनता ने उन्हें नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट दिया था लेकिन इस बार उनका मोह भंग हो रहा है.

बता दें कि इस बस स्टैंड में यूं तो समस्याओं का आलम सालों भर है, लेकिन बरसात में स्थित नारकीय हो जाती है. नगर परिषद के कर्मचारी इस बस स्टैंड से राजस्व की वसूली तो करते हैं लेकिन साल में एक बार भी यहां की गंदगी साफ नहीं कराते हैं. गंदगी के कारण लोग और भी परेशान हैं.

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एनडीए के नेता बिहार में विकास पुरुष के तौर पर देखते हैं. वे काफी लंबे समय से सत्ता में हैं. सातवीं बार सीएम ने मुख्यमंत्री बने हैं. बावजूद इसके सूबे के कई इलाके आज भी ऐसे हैं जो विकास की राह देख रहे हैं. वहां के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं. लेकिन सरकार की योजनाएं उन तक नहीं पहुंच पाई है.

साल 2015 में बक्सर वासियों ने पहली बार जिले से प्रदेश को परिवहन मंत्री दिया. 5 सालों तक संतोष निराला नीतीश कैबिनेट में मंत्री रहे, लेकिन बावजूद इसके विकास के नाम पर वो एक ईंट भी नहीं रखवा पाए. स्थानीय लोग कहते हैं कि सांसद से लेकर विधायक तक वोट मांगने के लिए आते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद दोबारा इलाके में कदम तक नहीं रखते हैं. आलम ये है कि बक्सर का यह इलाका आज भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है.

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बक्सर: जिले को लाखों का राजस्व देने वाला बक्सर का जयप्रकाश नारायण अंतरराज्जीय बस स्टैंड वर्षों से अपनी बदहाली (jai Prakash Narayan Bus Stand In Bad Condition) पर आंसू बहा रहा है. शहर के बीचों-बीच बाईपास स्थित इस बस स्टैंड से रोजाना करीब 5 दर्जन से अधिक बसें बिहार के अलावे उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत अन्य राज्यों के लिए चलती हैं. बावजूद इसके स्टैंड में सुविधाओं का घोर अभाव है.

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हजारों लोग रोज इस स्टैंड से एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं, लेकिन यहां न तो पेयजल की (Lack of facilities at Jaiprakash Bus Stand of Buxar) व्यवस्था है, न ही यात्रियों के ठहरने का. शाम ढलते ही दूसरे प्रदेश से आने वाले यात्री सहम जाते हैं. क्योंकि जिला प्रशासन के अधिकारियो के द्वारा सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं किये गये हैं. अक्सर देखा जाता है कि बस स्टैंड में असामाजिक तत्वों का भी जमावड़ा लगा होता है.

बस स्टैंड के वाहन चालकों ने बताया कि साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद तत्कालीन स्थानीय सांसद जगदानंद सिंह ने 4 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से इस बस स्टैंड को मॉडल बस स्टैंड बनाने की घोषणा की थी. घोषणा करने के बाद भी वे कुछ कर नहीं सके और फिर 2014 में लोकसभा चुनाव हार गए.

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मौजूदा सांसद अश्विनी कुमार चौबे एक भी बार इस तरफ नहीं पहुंचे हैं. लोग कहते हैं कि चौबे जी केवल चुनाव के वक्त ही नजर आते हैं, नहीं तो बाकी समय भागलपुर से दिल्ली और दिल्ली से भागलपुर की यात्रा करते हैं. कभी कभार बक्सर आते हैं. जनता ने उन्हें नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट दिया था लेकिन इस बार उनका मोह भंग हो रहा है.

बता दें कि इस बस स्टैंड में यूं तो समस्याओं का आलम सालों भर है, लेकिन बरसात में स्थित नारकीय हो जाती है. नगर परिषद के कर्मचारी इस बस स्टैंड से राजस्व की वसूली तो करते हैं लेकिन साल में एक बार भी यहां की गंदगी साफ नहीं कराते हैं. गंदगी के कारण लोग और भी परेशान हैं.

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एनडीए के नेता बिहार में विकास पुरुष के तौर पर देखते हैं. वे काफी लंबे समय से सत्ता में हैं. सातवीं बार सीएम ने मुख्यमंत्री बने हैं. बावजूद इसके सूबे के कई इलाके आज भी ऐसे हैं जो विकास की राह देख रहे हैं. वहां के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं. लेकिन सरकार की योजनाएं उन तक नहीं पहुंच पाई है.

साल 2015 में बक्सर वासियों ने पहली बार जिले से प्रदेश को परिवहन मंत्री दिया. 5 सालों तक संतोष निराला नीतीश कैबिनेट में मंत्री रहे, लेकिन बावजूद इसके विकास के नाम पर वो एक ईंट भी नहीं रखवा पाए. स्थानीय लोग कहते हैं कि सांसद से लेकर विधायक तक वोट मांगने के लिए आते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद दोबारा इलाके में कदम तक नहीं रखते हैं. आलम ये है कि बक्सर का यह इलाका आज भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है.

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